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Hate Speech : हेट स्पीच के बावजूद 'माननीयों' के सम्मान में कोई कमी नहीं होती ? - law commission hate speech

हेट स्पीच के बावजूद राजनीतिक पार्टियां वैसे उम्मीदवारों को टिकट प्रदान करती हैं, जो जिताऊ उम्मीदवार हैं. एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि हेट स्पीच को लेकर कमोबेश सभी पार्टियों का रवैया एक जैसा रहा है. वर्तमान संसद में 33 ऐसे सांसद हैं, जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं.

ADR
एडीआर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 3, 2023, 2:39 PM IST

नई दिल्ली : मार्च 2017 में लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में हेट स्पीच को लेकर बड़ी टिप्पणी की थी. कमीशन ने कहा था कि अभी तक किसी भी कानून में हेट स्पीच को परिभाषित नहीं किया गया है. हालांकि, बोलने की आजादी (फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन) के साथ-साथ ही उनमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिसे आधार बनाकर तार्किक नियंत्रण लगाए जाते रहे हैं. कोर्ट की ओर से भी ऐसे कई फैसले आए हैं, जहां पर रिजनेबल रेस्ट्रिक्शन को एक्सप्लेन किया गया है.

अगर आप इन आदेशों पर गौर करें, तो आम तौर पर अपमानजनक, धमकी देने वाली, परेशान करने वाली, या फिर किसी भी जाति, धर्म, निवास और जन्म स्थान के खिलाफ की जाने वाली टिप्पणियों को हेट स्पीच माना जाता है. या फिर वैसे भाषण जो हिंसा या हेट या फिर भेदभाव को बढ़ावा देता है, उसे हेट स्पीच कहा जाता है.

आम तौर पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलनी चाहिए. इन्हें टिकट देना हेट स्पीच को बढ़ावा देने जैसा है. इसके बावजूद लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों को टिकट प्रदान करती रहीं हैं. एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में इसका अध्ययन किया है. विधायकों और सांसदों के शपथ पत्रों का विश्लेषण करने के बाद एडीआर ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट पर आप गौर करेंगे, तो आपको आश्चर्च होगा.

हेट स्पीच को लेकर वर्तमान संसद में 33 सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज हैं. इनमें से सात सांसद यूपी से, चार सांसद तमिलनाडु से, तीन-तीन सांसद बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना से, दो-दो सांसद असम, गुजरात, महाराष्ट्र और प.बंगाल से तथा एक-एक सांसद झारखंड, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा और पंजाब से हैं.

पार्टी के आधार पर बात करें तो सबसे ज्यादा मामले भाजपा सांसदों के खिलाफ दर्ज हैं. भाजपा के 22 सांसदों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. इसके बाद कांग्रेस के दो सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज हैं. आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, डीएमके, एआईयूडीएफ, डीएमके, पीएमके, शिवसेना यू, वीसीके और एक निर्दलीय सांसद के खिलाफ मामले दर्ज हैं.

जहां तक विधायकों की बात है तो 74 विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. इनमें से बिहार और यूपी से नौ-नौ विधायकों के खिलाफ, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना से छह-छह विधायक, असम और तमिलनाडु से पांच-पांच विधायक, दिल्ली, गुजरात और प.बंगाल से चार-चार विधायक, झारखंड, उत्तराखंड से तीन-तीन विधायक, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और त्रिपुरा से दो-दो विधायक और मध्य प्रदेश और ओडिशा से एक-एक विधायक शामिल हैं.

सबसे ज्यादा भाजपा के 20 विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. 13 विधायक कांग्रेस से, छह आप से, पांच सपा से, पांच वाईएसआरसीपी से, डीएमके और राजद से चार-चार विधायक हैं. पिछले पांच सालों में रिकॉग्नाइज्ड पार्टियों ने 480 वैसे उम्मीदवारों को टिकट प्रदान किए हैं, जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज थे.

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकारें, उन्हें हेट स्पीच के मामले में हर हाल में मामला दर्ज करना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर किसी ने शिकायत की हो या न की हो, इससे इस तरह के मामले पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, प्रशासन को मामला दर्ज करना ही होगा. जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस तरह के अपराध को गंभीर और देश के धार्मिक तानेबाने को तोड़ने वाला बताया था.

आम तौर पर हेट स्पीच को लेकर आईपीसी की धारा 153 ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत दर्ज किए जाते हैं. हेट स्पीच के मामले में पुलिस तभी गिरफ्तार कर सकती है, जब उस कानून में तीन साल से अधिक की सजा का प्रावधान हो.

ये भी पढ़ें : ADR Report on Criminal Cases against Rajya Sabha MPs : राज्यसभा के 75 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले, मर्डर और रेप के भी मामले दर्ज

नई दिल्ली : मार्च 2017 में लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में हेट स्पीच को लेकर बड़ी टिप्पणी की थी. कमीशन ने कहा था कि अभी तक किसी भी कानून में हेट स्पीच को परिभाषित नहीं किया गया है. हालांकि, बोलने की आजादी (फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन) के साथ-साथ ही उनमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिसे आधार बनाकर तार्किक नियंत्रण लगाए जाते रहे हैं. कोर्ट की ओर से भी ऐसे कई फैसले आए हैं, जहां पर रिजनेबल रेस्ट्रिक्शन को एक्सप्लेन किया गया है.

अगर आप इन आदेशों पर गौर करें, तो आम तौर पर अपमानजनक, धमकी देने वाली, परेशान करने वाली, या फिर किसी भी जाति, धर्म, निवास और जन्म स्थान के खिलाफ की जाने वाली टिप्पणियों को हेट स्पीच माना जाता है. या फिर वैसे भाषण जो हिंसा या हेट या फिर भेदभाव को बढ़ावा देता है, उसे हेट स्पीच कहा जाता है.

आम तौर पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलनी चाहिए. इन्हें टिकट देना हेट स्पीच को बढ़ावा देने जैसा है. इसके बावजूद लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों को टिकट प्रदान करती रहीं हैं. एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में इसका अध्ययन किया है. विधायकों और सांसदों के शपथ पत्रों का विश्लेषण करने के बाद एडीआर ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट पर आप गौर करेंगे, तो आपको आश्चर्च होगा.

हेट स्पीच को लेकर वर्तमान संसद में 33 सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज हैं. इनमें से सात सांसद यूपी से, चार सांसद तमिलनाडु से, तीन-तीन सांसद बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना से, दो-दो सांसद असम, गुजरात, महाराष्ट्र और प.बंगाल से तथा एक-एक सांसद झारखंड, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा और पंजाब से हैं.

पार्टी के आधार पर बात करें तो सबसे ज्यादा मामले भाजपा सांसदों के खिलाफ दर्ज हैं. भाजपा के 22 सांसदों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. इसके बाद कांग्रेस के दो सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज हैं. आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, डीएमके, एआईयूडीएफ, डीएमके, पीएमके, शिवसेना यू, वीसीके और एक निर्दलीय सांसद के खिलाफ मामले दर्ज हैं.

जहां तक विधायकों की बात है तो 74 विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. इनमें से बिहार और यूपी से नौ-नौ विधायकों के खिलाफ, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना से छह-छह विधायक, असम और तमिलनाडु से पांच-पांच विधायक, दिल्ली, गुजरात और प.बंगाल से चार-चार विधायक, झारखंड, उत्तराखंड से तीन-तीन विधायक, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और त्रिपुरा से दो-दो विधायक और मध्य प्रदेश और ओडिशा से एक-एक विधायक शामिल हैं.

सबसे ज्यादा भाजपा के 20 विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. 13 विधायक कांग्रेस से, छह आप से, पांच सपा से, पांच वाईएसआरसीपी से, डीएमके और राजद से चार-चार विधायक हैं. पिछले पांच सालों में रिकॉग्नाइज्ड पार्टियों ने 480 वैसे उम्मीदवारों को टिकट प्रदान किए हैं, जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज थे.

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकारें, उन्हें हेट स्पीच के मामले में हर हाल में मामला दर्ज करना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर किसी ने शिकायत की हो या न की हो, इससे इस तरह के मामले पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, प्रशासन को मामला दर्ज करना ही होगा. जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस तरह के अपराध को गंभीर और देश के धार्मिक तानेबाने को तोड़ने वाला बताया था.

आम तौर पर हेट स्पीच को लेकर आईपीसी की धारा 153 ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत दर्ज किए जाते हैं. हेट स्पीच के मामले में पुलिस तभी गिरफ्तार कर सकती है, जब उस कानून में तीन साल से अधिक की सजा का प्रावधान हो.

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