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Aaditya L1: एरीज नैनीताल से सूर्य की गतिविधियों और आदित्य L1 पर रखी जाएगी नजर, जानें कैसे

Aaditya L1 Launch नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण संस्थान से सूर्य की गतिविधियों और आदित्य एल1 पर नजर रखी जाएगी, इसलिए सीरीज में आदित्य सपोर्ट सेल स्थापित किया गया है. ये जानकारी आर्यभट्ट प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक वीरेंद्र यादव ने दी है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 3:57 PM IST

एरीज नैनीताल से सूर्य की गतिविधियों और आदित्य L1 पर रखी जाएगी नजर

नैनीताल: चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंडिंग करने के बाद अब भारत ने अपना यान सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा है. भारत के इस अभियान में शामिल होने के लिए नैनीताल स्थित एरीज (ARIES) के दो वैज्ञानिक दीपांकर बनर्जी और डॉ. वैभव पंत भी श्रीहरिकोटा स्थित वेधशाला पहुंचे हैं, जहां से आज आदित्य एल1 को लॉन्च किया गया है. आर्यभट्ट प्रेक्षण संस्थान से भी आदित्य एल1 पर अध्ययन किया जाएगा और उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी, जिसको लेकर एरीज में आदित्य सपोर्ट सेल की स्थापना की गई है, जहां पर आदित्य एल1 के परिणाम देखे जा सकेंगे.

आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष में भारत का पहला सौर मिशन: शनिवार को नैनीताल के एरीज (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences) में कार्यक्रम के दौरान नैनीताल और आसपास के स्कूली छात्र-छात्राओं को सूर्य समेत आदित्य L1 की जानकारी देते हुए आदित्य L1 की लॉन्चिंग का लाइव प्रसारण भी दिखाया गया. आदित्य एल1 अंतरिक्ष में भारत का पहला सौर मिशन है. इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है. सूर्य से मिलने वाले प्रकाश और ऊर्जा के साथ ही सूर्य पर कई गतिशील परिवर्तन और विस्फोटक घटनाएं होती हैं, जिनकी विस्तृत जानकारी के लिए आदित्य एल1 मिशन महत्वपूर्ण डाटा प्रदान करेगा.

आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला: आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है. वेधशाला को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैगंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है, जो सूर्य और पृथ्वी की दिशा के साथ पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है. L1 बिंदु के चारों ओर हॅलो कक्षा में रखे गए उपग्रह के जरिए बिना किसी अवरोध और ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने की प्रमुख लाभ है.

आदित्य L1 पर विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग: आदित्य L1 पर विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य के वातावरण की सबसे बाहरी परत का अवलोकन करने के लिए सात उपकरण हैं. L1 के विशेष सुविधाजनक बिंदु का उपयोग करते हुए चार उपकरण सीधे सूर्य का अवलोकन करते हैं और शेष तीन उपकरण लैग्रेंज बिंदु L1 पर कणों और क्षेत्रों का यथास्थान अवलोकन करते हैं. आदित्य L1 सपोर्ट सेल (AL1SC) इसरो और एरीज का एक संयुक्त प्रयास है, जो अतिथि पर्यवेक्षकों के लिए अपने विज्ञान अवलोकन प्रस्ताव तैयार करने और विज्ञान डेटा का विश्लेषण करने के लिए एक सामुदायिक सेवा केंद्र के रूप में कार्य करेगा.

ये भी पढ़ें: Aaditya L-1 Launch : आदित्य-एल1 को पहुंचने में लगेंगे 125 दिन: इसरो प्रमुख

AL1SC के निम्न लक्ष्य हैं

1. आदित्य एल1 से प्राप्त डेटा का अधिकतम उपयोग करने के लिए इसरो के साथ संयुक्त रूप से काम करना
2. आदित्य L1 अवलोकनों के लिए प्रस्ताव तैयार करने में अतिथि पर्यवेक्षकों की सहायता के लिए विशिष्ट उपकरण विकसित करना
3. इसरो के परामर्श से आवश्यक विश्लेषण सॉफ्टवेयर (स्तर-2 से उच्च डेटा प्राप्त करने के के लिए) को डिजाइन और विकसित करना
4. डेटा विश्लेषण और प्रस्ताव तैयारी पर राष्ट्रीय उपयोगकर्ता समुदाय का आवधिक प्रशिक्षण स्थापित करना

ये भी पढ़ें: Aditya L1 Launch : PSLV-C57 अपनी सबसे लंबी उड़ान पर निकला, Aditya-L1 अपनी तय कक्षा में पहुंचा, लांचिग सफल

एरीज नैनीताल से सूर्य की गतिविधियों और आदित्य L1 पर रखी जाएगी नजर

नैनीताल: चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंडिंग करने के बाद अब भारत ने अपना यान सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा है. भारत के इस अभियान में शामिल होने के लिए नैनीताल स्थित एरीज (ARIES) के दो वैज्ञानिक दीपांकर बनर्जी और डॉ. वैभव पंत भी श्रीहरिकोटा स्थित वेधशाला पहुंचे हैं, जहां से आज आदित्य एल1 को लॉन्च किया गया है. आर्यभट्ट प्रेक्षण संस्थान से भी आदित्य एल1 पर अध्ययन किया जाएगा और उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी, जिसको लेकर एरीज में आदित्य सपोर्ट सेल की स्थापना की गई है, जहां पर आदित्य एल1 के परिणाम देखे जा सकेंगे.

आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष में भारत का पहला सौर मिशन: शनिवार को नैनीताल के एरीज (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences) में कार्यक्रम के दौरान नैनीताल और आसपास के स्कूली छात्र-छात्राओं को सूर्य समेत आदित्य L1 की जानकारी देते हुए आदित्य L1 की लॉन्चिंग का लाइव प्रसारण भी दिखाया गया. आदित्य एल1 अंतरिक्ष में भारत का पहला सौर मिशन है. इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है. सूर्य से मिलने वाले प्रकाश और ऊर्जा के साथ ही सूर्य पर कई गतिशील परिवर्तन और विस्फोटक घटनाएं होती हैं, जिनकी विस्तृत जानकारी के लिए आदित्य एल1 मिशन महत्वपूर्ण डाटा प्रदान करेगा.

आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला: आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है. वेधशाला को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैगंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है, जो सूर्य और पृथ्वी की दिशा के साथ पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है. L1 बिंदु के चारों ओर हॅलो कक्षा में रखे गए उपग्रह के जरिए बिना किसी अवरोध और ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने की प्रमुख लाभ है.

आदित्य L1 पर विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग: आदित्य L1 पर विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य के वातावरण की सबसे बाहरी परत का अवलोकन करने के लिए सात उपकरण हैं. L1 के विशेष सुविधाजनक बिंदु का उपयोग करते हुए चार उपकरण सीधे सूर्य का अवलोकन करते हैं और शेष तीन उपकरण लैग्रेंज बिंदु L1 पर कणों और क्षेत्रों का यथास्थान अवलोकन करते हैं. आदित्य L1 सपोर्ट सेल (AL1SC) इसरो और एरीज का एक संयुक्त प्रयास है, जो अतिथि पर्यवेक्षकों के लिए अपने विज्ञान अवलोकन प्रस्ताव तैयार करने और विज्ञान डेटा का विश्लेषण करने के लिए एक सामुदायिक सेवा केंद्र के रूप में कार्य करेगा.

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AL1SC के निम्न लक्ष्य हैं

1. आदित्य एल1 से प्राप्त डेटा का अधिकतम उपयोग करने के लिए इसरो के साथ संयुक्त रूप से काम करना
2. आदित्य L1 अवलोकनों के लिए प्रस्ताव तैयार करने में अतिथि पर्यवेक्षकों की सहायता के लिए विशिष्ट उपकरण विकसित करना
3. इसरो के परामर्श से आवश्यक विश्लेषण सॉफ्टवेयर (स्तर-2 से उच्च डेटा प्राप्त करने के के लिए) को डिजाइन और विकसित करना
4. डेटा विश्लेषण और प्रस्ताव तैयारी पर राष्ट्रीय उपयोगकर्ता समुदाय का आवधिक प्रशिक्षण स्थापित करना

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