पुणे : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर भारत प्रौद्योगिकी में प्रगति कर लेता है तो वह महाशक्ति बन सकता है. वह यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के ‘डीम्ड’ विश्वविद्यालय डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी (डीआईएटी) में छात्रों और शोधकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे.
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को नवाचार और अनुसंधान में प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा, सशस्त्र बलों, उद्योगों और शिक्षाविदों के सामूहिक प्रयासों के जरिए अनुसंधान और नवाचार में प्रगति के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा कुछ पहल शुरू की गई हैं तथा यह केवल परस्पर समझ और ज्ञान और बेहतर प्रथाओं को साझा करके ही हो सकता है.
सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने नई प्रतिभाओं को जोड़ने और आकर्षित करने तथा क्षेत्र से सशस्त्र बलों के कर्मियों से अनुभव और जानकारी प्राप्त करने के लिए 'आईडीईएक्स' (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) नामक एक मंच बनाया गया है क्योंकि इसका सुरक्षा महत्व है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र ने आईडीईएक्स के लिए ₹1,000 करोड़ आवंटित किए हैं. इसके अलावा, सरकार ने 300 स्टार्टअप को समर्थन देकर ‘एयरोस्पेस’ और रक्षा में अनुसंधान तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन देश को आत्मानिर्भर बनाना
रक्षामंत्री ने कहा, इस लक्ष्य की ओर, हमने रक्षा प्रौद्योगिकी और विनिर्माण के स्वदेशीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं. इन पहलों के लिए भविष्य के युद्ध के कौशल से सज्जित प्रौद्योगिकीविदों की बड़ी संख्या की आवश्यकता है.
रक्षामंत्री ने कहा डीआईएटी के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इसे 'राष्ट्रीय महत्व के संस्थान' का दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह संस्थान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी के महत्व पर गौर करते हुए भविष्य की प्रौद्योगिकियों की पहचान करने और मानव संसाधन को प्रशिक्षित कर रहा है.उन्होंने कहा, मैं केवल सुरक्षा के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. अगर हम अगले कुछ वर्षों में भारत को महाशक्ति बनाना चाहते हैं, तो यह उन्नत तकनीक के बिना संभव नहीं है और अगर इस प्रयास में कोई योगदान दे सकता है, तो ये आप जैसे लोग हैं जो ऐसा कर सकते हैं.
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नागपुर यात्रा का जिक्र करते हुए सिंह ने पांच महीने में एक निजी कंपनी द्वारा भारतीय सेना को एक लाख हथगोला की सफल आपूर्ति किए जाने का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि कंपनी ने इंडोनेशिया को इसी तरह के हथगोले उच्च कीमत पर निर्यात किए है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक हथगोले की भारत में कीमत ₹3,400 है और कंपनी ने इसी तरह के हथगोले इंडोनेशिया को ₹7,000 से अधिक कीमत पर निर्यात किए हैं.
रक्षामंत्री ने कहा, मेरा कहना है कि अगर हम प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ते हैं. देश एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है. राजनाथ सिंह ने कोविड अनुसंधान क्षेत्र में नौ पेटेंट प्राप्त करने के लिए संस्थानों के प्रयासों की भी सराहना की.
वहीं जीनोमिक्स में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने कहा कि 21वीं सदी में जीनोमिक्स (Genomics) एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा और इससे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई व स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि कोविड जीनोम अनुक्रमण के जरिए जीनोम के उस हिस्से का पता लगाया जा सकता है, जो अक्सर नहीं बदल रहा है और इससे टीका (Vaccine) के विकास में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) ने 1990 के दशक में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसी प्रकार 21वीं सदी में जीनोमिक्स एक प्रमुख क्षेत्र होगा और देश तथा सामाजिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा.
सिंह ने कहा कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या होने जा रही है और जीनोमिक्स ऐसी चुनौतियों से लड़ने में भी मददगार साबित हो सकता है. उन्होंने एनकेसी सेंटर फॉर जीनोमिक्स रिसर्च सेंटर (NKC Centre for Genomics Research Hyderabad) के उद्घाटन पर एक वीडियो संदेश में कहा कि स्वास्थ्य और इलाज के साथ ही इसका उपयोग उत्पादकता बढ़ाने में भी किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के खंडवा से छह बार सांसद रहे (दिवंगत) सांसद नंद कुमार सिंह चौहान (Nand Kumar Singh Chauhan) के नाम पर स्थापित एनकेसी केंद्र (NKC Centre for Genomics Research Hyderabad) कोविड जीनोम अनुक्रमण में काम करेगा और लोगों का जीवन बचाने में मदद करेगा. सिंह ने उम्मीद जतायी कि इस केंद्र की स्थापना से अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister of Madhya Pradesh Shivraj Singh Chauhan) ने डिजिटल तरीके से केंद्र का उद्घाटन किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना किसानों की आय को दोगुना करने का है और इसके लिए उत्पादकता में वृद्धि, लागत में कमी और फसल के नुकसान को कम करने और फसलों की सही कीमत किसानों को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों की जरूरत है. एनकेसी सेंटर की स्थापना न्यूक्लियोम इंफॉर्मेटिक्स (Nucleome Informatics) ने की है, जोकि एक प्रमुख जीनोमिक्स अनुसंधान सेवा प्रदाता है.
न्यूक्लियोम (Dushyant Singh Baghel MD & CEO Nucleome Informatics) ने कहा कि यह प्रयोगशाला दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी और सबसे उन्नत जीनोमिक्स अनुसंधान केंद्र (South Asia’s Largest and Most Advanced Genomics Facility) है, जो नवीनतम तीसरी पीढ़ी का अनुक्रमण करेगी और 5000 कोविड जीनोम और 500 मानव जीनोम का अनुक्रमण कर महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इसमें कहा गया है कि यह प्रयोगशाला कृषि, पशुपालन और दवा में भारत की क्षमता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगी. अगला एनकेसी सेंटर इंदौर में स्थापित किया जाएगा.
नंदकुमार सिंह के नाम पर न्यूक्लियोम ने एडवांस जीनोमिक्स सेंटर (NKC Centre for Genomics Research Hyderabad) शुरू किया है, जिस पर उनके बेटे बीजेपी नेता हर्षवर्धन सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है. इस लैब की स्थापना से कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति आयेगी और किसानों को फायदा होगा. जिसके चलते नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को पूरा करने में इसका बड़ा योगदान होगा.
वहीं न्यूक्लियोम इंफॉर्मेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ दुष्यंत सिंह बघेल (Dushyant Singh Baghel MD & CEO Nucleome Informatics) ने बताया कि न्यूक्लियोम मध्यप्रदेश के इंदौर में भी जीनोम सीक्वेंसिंग लैब की स्थापना करेगा. 50 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस प्रयोगशाला का उपयोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दक्षिण कोरियाई सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा परियोजनाओं के लिए किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इसके जरिए पौधों, जानवरों और मनुष्यों से संबंधित बड़े जीनोम को छोटे वायरस और फंगल जीनोम से सीक्वेंसिंग करेंगे. भारत इस प्रयोगशाला के साथ जीनोमिक्स में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर रहा है. साथ ही यह लैब लुप्तप्राय वन्यजीवों से संबंधित जीनोम पर भी काम करेगी.
(एजेंसी इनपुट)