हैदराबाद : TRS विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त मामले ने गुरुवार रात उस समय दिलचस्प मोड़ ले लिया जब एसीबी की विशेष अदालत ने उचित सबूतों के अभाव में तीनों आरोपियों की रिमांड ठुकरा दी. पुलिस को आरोपी रामचंद्र भारती, नंद कुमार और सिंह्याजी स्वामी को छोड़ना पड़ा. आरोपियों को बुधवार को हिरासत में ले लिया गया था. साइबराबाद पुलिस ने उन्हें अदालत के घंटों के दौरान मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया. देर रात आरोपियों को मजिस्ट्रेट के आवास पर ले गई.
मजिस्ट्रेट ने रिमांड देने से इनकार कर दिया क्योंकि पुलिस ने कथित अपराध से जुड़े सबूत खास तौर से कोई नकदी अदालत ने पेश नहीं किया. जोकि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत जरूरी सबूत माना जाता है. अदालत ने पुलिस को गिरफ्तारी से पहले सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करने और सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. शमशाबाद के डीसीपी जगदीश्वर रेड्डी ने खुलासा किया कि न्यायाधीश के आदेश के बाद आरोपियों को रिहा कर दिया गया.
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पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि फार्महाउस से कोई नकदी जब्त नहीं हुई है. यह टीआरएस नेताओं और कुछ स्थानीय टीवी चैनलों के दावों के बिल्कुल विपरीत था कि फार्महाउस में एक वाहन से कम से कम 15 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए थे. टीआरएस नेताओं ने दावा किया था कि चार विधायकों को अग्रिम भुगतान करने के लिए पैसा लाया गया था. जमीनी हालात को भांपते हुए टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री के.टी. रामा राव ने इससे पहले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को मामले पर बोलने से रोकने के लिए एक आदेश जारी किया था क्योंकि जांच जारी थी.
अदालत ने रिमांड रिपोर्ट का सत्यापन किया जिसमें पुलिस ने आरोपी से नकदी की बरामदगी का जिक्र नहीं किया. अदालत ने महसूस किया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 बिना किसी नकद जब्ती के मामले में अभियुक्तों पर लागू नहीं होती है. कथित तौर पर भाजपा के एजेंट बताए जाने वाले आरोपियों को बुधवार रात हैदराबाद के पास एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया गया था. जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम, महत्वपूर्ण पदों और अनुबंधों के साथ लुभाने की कोशिश कर रहे थे.
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एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की शिकायत पर पुलिस ने दिल्ली के रामचंद्र भारती, हैदराबाद के नंद कुमार और तिरुपति के सिंह्याजी स्वामी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 171-बी (रिश्वत) के साथ 171-ई (रिश्वत की सजा), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
शिकायतकर्ता के अनुसार, आरोपी ने उसे 100 करोड़ रुपये की पेशकश की. उन्होंने मौद्रिक लाभ के लिए केंद्र सरकार को सिविल अनुबंध कार्य और केंद्र सरकार के उच्च पदों को देने की पेशकश की और उन्हें भाजपा में शामिल होने का लालच दिया. विधायक ने पुलिस को बताया कि उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वह भाजपा में शामिल नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक मामले बनाए जाएंगे और ईडी व सीबीआई द्वारा छापे मारे जाएंगे और टीआरएस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार को गिरा दिया जाएगा.
आरोपी ने कथित तौर पर भाजपा में शामिल होने के लिए तीन अन्य विधायकों को 50-50 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी. रोहित रेड्डी की सूचना पर साइबराबाद पुलिस फार्महाउस पहुंची और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने तीनों से गुरुवार को एक अज्ञात स्थान पर पूछताछ की.