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सिक्किम में फंसे झारखंड के करीब 150 मजदूर, सेना और स्थानीय लोगों का मिल रहा पूरा सहयोग, सीएम हेमंत से घर वापसी की अपील - हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट

सिक्किम में आई भीषण बाढ़ में झारखंड के करीब 150 मजदूर फंस गए हैं. सभी झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. हादसे के बाद सेना के जवान और स्थानीय लोग उनकी पूरी मदद कर रहे हैं. Workers from Jharkhand stranded in Sikkim

Workers from Jharkhand stranded in Sikkim
सिक्किम में फंसे झारखंड के करीब 150 मजदूर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2023, 10:10 PM IST

सिक्किम में फंसे झारखंड के करीब 150 मजदूर

गुमला: झारखंड के करीब 150 से ज्यादा मजदूर सिक्किम के बाढ़ ग्रस्त इलाके में फंसे हुए हैं. सभी अपनी घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. सभी मजदूर गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा जिले के रहने वाले हैं. मजदूरों से फोन पर अपने फंसे होने की जानकारी दी है. ईटीवी भारत से फोन पर मजदूर बबलू साहू ने अपने फंसे होने से लेकर सिक्किम में हुए भीषण हादसे के बारे में पूरी जानकारी साझा की है.

यह भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में गुमला के मजदूर की मौत, परिजनों ने लगाई शव पैतृक गांव लाने की गुहार

सिक्किम में फंसे गुमला जिले के उरमीडांट टोली के रहने वाले मजदूर बबलू साहू ने बताया कि हादसे के बाद इलाके में कुल 300 से 400 लोग फंसे हुए हैं. जिसमें करीब 100 से 150 लोग झारखंड के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि सेना के जवानों के साथ-साथ स्थानीय लोग उन्हें समय-समय पर खाना और पानी उपलब्ध करा रहे हैं. उन सभी को सिक्किम ईस्ट के शिरवानी में एक गवर्नमेंट सेकेंडरी स्कूल में ठहराया गया है. उन्हें वहां दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन भयावह हादसे को देखने के बाद वे सभी डरे हुए हैं और अपने घर वापस लौटना चाहते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जो कंपनी उन्हें काम करने के लिए वहां लेकर गई थी, हादसे के बाद से कंपनी से उनका संपर्क नहीं हुआ है. उन्होंने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से घर वापसी की गुहार लगाई है.

कैसा था हादसे का मंजर: मजदूर बबलू साहू ने बताया कि वे और बाकी मजदूर तीस्ता हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में काम करते हैं. हादसे वाले दिन रात के अचानक दो बजे अचानक नदी का पानी वे जहां रह रहे थे वहां पहुंच गया. देखते ही देखते उनका पूरा आशियाना जलमग्न हो गया. चारों तरफ हो हल्ला मच गया. लोग एक-दूसरे को ढूंढने लगे. वे जहां रहा करते थे वह पूरा मलबा से भर चुका था. किसी तरह वे सभी वहां से बाहर निकले. बाद में सेना के जवानों और स्थानीय लोगों ने उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया. बबलू साहू बताते हैं कि वे इस मंजर को भूल नहीं सकते. उन्हें लगा कि अब वे नहीं बचेंगे. लेकिन सेना और स्थानीय लोगों ने उनकी जान बचा ली. बबलू साहू ने बताया कि सिक्किम के राज्यपाल भी उनसे हादसे के बाद मिलने आए थे. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया है कि जैसे ही जाने की सुविधा होगी, उन्हें उनके घर वापस भेज देंगे.

सिक्किम में कैसे हुआ हादसा: इस पूरे हादसे का कारण बादल फटने को बताया जा रहा है. सिक्किम में ल्होनक झील पह बादल फटा था. जिससे इतनी बड़ी तबाही हुई थी. बादल फटने के बाद झील का पानी बहकर तीस्ता नदी में आ गया. जिससे तीस्ता नदी पर बना जोंगथन डैम टूट गया और फिर पूरा इलाका जलमग्न हो गया. इस हादसे में अब तक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. वहीं कुल 102 लोग लापता बताए जा रहे हैं. इसमें सेना के भी 23 जवान लापता हैं.

सिक्किम में फंसे झारखंड के करीब 150 मजदूर

गुमला: झारखंड के करीब 150 से ज्यादा मजदूर सिक्किम के बाढ़ ग्रस्त इलाके में फंसे हुए हैं. सभी अपनी घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. सभी मजदूर गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा जिले के रहने वाले हैं. मजदूरों से फोन पर अपने फंसे होने की जानकारी दी है. ईटीवी भारत से फोन पर मजदूर बबलू साहू ने अपने फंसे होने से लेकर सिक्किम में हुए भीषण हादसे के बारे में पूरी जानकारी साझा की है.

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सिक्किम में फंसे गुमला जिले के उरमीडांट टोली के रहने वाले मजदूर बबलू साहू ने बताया कि हादसे के बाद इलाके में कुल 300 से 400 लोग फंसे हुए हैं. जिसमें करीब 100 से 150 लोग झारखंड के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि सेना के जवानों के साथ-साथ स्थानीय लोग उन्हें समय-समय पर खाना और पानी उपलब्ध करा रहे हैं. उन सभी को सिक्किम ईस्ट के शिरवानी में एक गवर्नमेंट सेकेंडरी स्कूल में ठहराया गया है. उन्हें वहां दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन भयावह हादसे को देखने के बाद वे सभी डरे हुए हैं और अपने घर वापस लौटना चाहते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जो कंपनी उन्हें काम करने के लिए वहां लेकर गई थी, हादसे के बाद से कंपनी से उनका संपर्क नहीं हुआ है. उन्होंने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से घर वापसी की गुहार लगाई है.

कैसा था हादसे का मंजर: मजदूर बबलू साहू ने बताया कि वे और बाकी मजदूर तीस्ता हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में काम करते हैं. हादसे वाले दिन रात के अचानक दो बजे अचानक नदी का पानी वे जहां रह रहे थे वहां पहुंच गया. देखते ही देखते उनका पूरा आशियाना जलमग्न हो गया. चारों तरफ हो हल्ला मच गया. लोग एक-दूसरे को ढूंढने लगे. वे जहां रहा करते थे वह पूरा मलबा से भर चुका था. किसी तरह वे सभी वहां से बाहर निकले. बाद में सेना के जवानों और स्थानीय लोगों ने उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया. बबलू साहू बताते हैं कि वे इस मंजर को भूल नहीं सकते. उन्हें लगा कि अब वे नहीं बचेंगे. लेकिन सेना और स्थानीय लोगों ने उनकी जान बचा ली. बबलू साहू ने बताया कि सिक्किम के राज्यपाल भी उनसे हादसे के बाद मिलने आए थे. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया है कि जैसे ही जाने की सुविधा होगी, उन्हें उनके घर वापस भेज देंगे.

सिक्किम में कैसे हुआ हादसा: इस पूरे हादसे का कारण बादल फटने को बताया जा रहा है. सिक्किम में ल्होनक झील पह बादल फटा था. जिससे इतनी बड़ी तबाही हुई थी. बादल फटने के बाद झील का पानी बहकर तीस्ता नदी में आ गया. जिससे तीस्ता नदी पर बना जोंगथन डैम टूट गया और फिर पूरा इलाका जलमग्न हो गया. इस हादसे में अब तक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. वहीं कुल 102 लोग लापता बताए जा रहे हैं. इसमें सेना के भी 23 जवान लापता हैं.

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