ETV Bharat / bharat

'सरस्वती' के साथ मिली 'लक्ष्मी', खूब लहलहा रही प्रभामणि की खेती

कर्नाटक के चामराजनगर जिले के अटागुलिपुरम गांव की रहने वाली प्रभामणी ने एकीकृत खेती और प्राकृतिक खेती के विषयों पर कई किताबें पढ़ीं हैं. अब इन किताबों से मिले ज्ञान से हर दिन 1500 रुपये कमा रही हैं.

author img

By

Published : Mar 4, 2021, 3:48 PM IST

प्रभामणी
prabha mani

बेंगलुरु : कहतें हैं की ज्ञान कभी खाली नहीं जाता, ये कहावत कर्नाटक के चामराजनगर जिले के अटागुलिपुरम गांव की रहने वाली प्रभामणी पर एकदम सटीक बैठती है.

प्रभामणी ने एकीकृत खेती और प्राकृतिक खेती के विषयों पर कई किताबें पढ़ीं है और अब इन किताबों से मिले हुए ज्ञान से प्रभामणि हर दिन 1500 रुपये कमा रही हैं.

दरअसल, प्रभामणि के पति प्रकाश के पैसे मोनोकल्चर खेती करने के चलते बर्बाद हो गए. यहां तक की उसने अपनी पांच एकड़ जमीन भी लीज पर दे दी. जिसके बाद प्रभामणि और प्रकाश को मजदूरी के लिए जाना पड़ा. इस दौरान प्रभामणि के भाई ने कृषि से संबंधित कुछ किताबें उसे दीं और कृषि के कुछ यूट्यूब लिंक भी भेजे. इन किताबों को पढ़कर प्रभामणि ने एकीकृत और प्राकृतिक खेती के बारे में सीखा. बाद में उसने अपने पति को नर्सरी शुरू करने के लिए मना लिया और केमिकल फ्री सब्जियों की पैदावार की. शुरुआत में इन दोनों को समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे इनका प्रयास सफल होने लगा.

किताबों से मिले हुए ज्ञान से प्रभामणि कर रहींं हैं खेती

पढ़ें: कृषि कानूनों के समर्थक किसान ने दिखाया आइना, बंजर जमीन पर सब्जियां उगाकर मुनाफा किया दोगुना

अब उनके पास करीब 10 एकड़ जमीन है. जिसमें ये विभिन्न मौसमों में गाजर, बीन्स, लौकी, कद्दू, प्याज, चुकंदर, पुदीना, धनिया आदि सहित 20 से ज्यादा प्रकार की सब्जियां और जड़ी-बूटियां उगाते हैं. इतना ही नहीं केला, गोभी और गन्ना भी एकीकृत खेती के रूप में काफी बढ़ रहे हैं. यहां तक की प्रभामणि और प्रकाश के पिता-माता और बच्चे भी उनकी खेती में मदद करते हैं.

बेंगलुरु : कहतें हैं की ज्ञान कभी खाली नहीं जाता, ये कहावत कर्नाटक के चामराजनगर जिले के अटागुलिपुरम गांव की रहने वाली प्रभामणी पर एकदम सटीक बैठती है.

प्रभामणी ने एकीकृत खेती और प्राकृतिक खेती के विषयों पर कई किताबें पढ़ीं है और अब इन किताबों से मिले हुए ज्ञान से प्रभामणि हर दिन 1500 रुपये कमा रही हैं.

दरअसल, प्रभामणि के पति प्रकाश के पैसे मोनोकल्चर खेती करने के चलते बर्बाद हो गए. यहां तक की उसने अपनी पांच एकड़ जमीन भी लीज पर दे दी. जिसके बाद प्रभामणि और प्रकाश को मजदूरी के लिए जाना पड़ा. इस दौरान प्रभामणि के भाई ने कृषि से संबंधित कुछ किताबें उसे दीं और कृषि के कुछ यूट्यूब लिंक भी भेजे. इन किताबों को पढ़कर प्रभामणि ने एकीकृत और प्राकृतिक खेती के बारे में सीखा. बाद में उसने अपने पति को नर्सरी शुरू करने के लिए मना लिया और केमिकल फ्री सब्जियों की पैदावार की. शुरुआत में इन दोनों को समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे इनका प्रयास सफल होने लगा.

किताबों से मिले हुए ज्ञान से प्रभामणि कर रहींं हैं खेती

पढ़ें: कृषि कानूनों के समर्थक किसान ने दिखाया आइना, बंजर जमीन पर सब्जियां उगाकर मुनाफा किया दोगुना

अब उनके पास करीब 10 एकड़ जमीन है. जिसमें ये विभिन्न मौसमों में गाजर, बीन्स, लौकी, कद्दू, प्याज, चुकंदर, पुदीना, धनिया आदि सहित 20 से ज्यादा प्रकार की सब्जियां और जड़ी-बूटियां उगाते हैं. इतना ही नहीं केला, गोभी और गन्ना भी एकीकृत खेती के रूप में काफी बढ़ रहे हैं. यहां तक की प्रभामणि और प्रकाश के पिता-माता और बच्चे भी उनकी खेती में मदद करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.