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कर्नाटक में एक व्यक्ति ने अपनी मृत्यु से पहले ही तैयार कर ली कब्र, जानें क्या है वजह?

कर्नाटक के दावणगेरे (Davangere of Karnataka) में रहने वाले एक व्यक्ति को अपनी जिंदगी से मोह भंग हो गया है. इसलिए उन्होंने मृत्यु से पहले ही अपनी कब्र (his grave before death) भी तैयार करवा ली है.

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Published : Mar 9, 2022, 4:45 PM IST

दावणगेरे (कर्नाटक): आमतौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद मिट्टी खोदी जाती है और कब्र बनाई जाती है. लेकिन यहां एक शख्स को अपनी जान से इतनी घृणा हो गई कि उसने मौत से पहले ही अपनी कब्र तैयार कर ली. दावणगेरे के हरिहर तालुक के जरेकट्टे गांव के निवासी टिप्पन्ना राव जीवन से ऊब गए हैं और उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले एक मकबरा बनवाया.

70 वर्षीय टिप्पन्ना ने पंद्रह साल पहले मकबरे का निर्माण कराया और इसे मराली मन्नीगे (बैक टू द मिट्टी) नाम दिया है. टिप्पन्ना राव का कहना है कि दूसरों के सामने भीख मांगने से मरना बेहतर है. उन्होंने अपने पैसे से कब्र बनाई है. उन्होंने अपने बच्चों से कहा कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें इसी कब्र में दफनाया जाए. उसने मकबरे के सामने एक छोटा सा मंदिर भी बनवाया है और यहां आने वालों के आराम करने के लिए लॉज भी बनवाया.

यह भी पढ़ें- राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारिवलन को SC ने दी जमानत

वे जारेकट्टे गांव के मूल निवासी हैं, जिन्होंने हाल ही में दावणगेरे में भी अपना घर बनाया है और वहीं रहते हैं. यदि उनके पास समय होता है तो वे मराली मन्नीगे स्थान पर आ जाते हैं और विश्राम करते हैं. वे हर दिन यहां का दौरा करते हैं और जानवरों के साथ समय बिताते हैं. साथ ही असहाय लोगों की मदद भी करते हैं. टिप्पन्ना राव ने कहा कि मैं जीवन से थक गया हूं इसलिए मैंने मरने की उम्मीद में एक मकबरा बनाया. लेकिन भगवान ने मुझे मौत नहीं दी. मैंने अपने पैसे से यह मकबरा बनाया है. मैंने इसे 15 साल पहले बनाया था. मैंने अपने परिवार से कहा है कि मुझे यहां दफनाना.

दावणगेरे (कर्नाटक): आमतौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद मिट्टी खोदी जाती है और कब्र बनाई जाती है. लेकिन यहां एक शख्स को अपनी जान से इतनी घृणा हो गई कि उसने मौत से पहले ही अपनी कब्र तैयार कर ली. दावणगेरे के हरिहर तालुक के जरेकट्टे गांव के निवासी टिप्पन्ना राव जीवन से ऊब गए हैं और उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले एक मकबरा बनवाया.

70 वर्षीय टिप्पन्ना ने पंद्रह साल पहले मकबरे का निर्माण कराया और इसे मराली मन्नीगे (बैक टू द मिट्टी) नाम दिया है. टिप्पन्ना राव का कहना है कि दूसरों के सामने भीख मांगने से मरना बेहतर है. उन्होंने अपने पैसे से कब्र बनाई है. उन्होंने अपने बच्चों से कहा कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें इसी कब्र में दफनाया जाए. उसने मकबरे के सामने एक छोटा सा मंदिर भी बनवाया है और यहां आने वालों के आराम करने के लिए लॉज भी बनवाया.

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वे जारेकट्टे गांव के मूल निवासी हैं, जिन्होंने हाल ही में दावणगेरे में भी अपना घर बनाया है और वहीं रहते हैं. यदि उनके पास समय होता है तो वे मराली मन्नीगे स्थान पर आ जाते हैं और विश्राम करते हैं. वे हर दिन यहां का दौरा करते हैं और जानवरों के साथ समय बिताते हैं. साथ ही असहाय लोगों की मदद भी करते हैं. टिप्पन्ना राव ने कहा कि मैं जीवन से थक गया हूं इसलिए मैंने मरने की उम्मीद में एक मकबरा बनाया. लेकिन भगवान ने मुझे मौत नहीं दी. मैंने अपने पैसे से यह मकबरा बनाया है. मैंने इसे 15 साल पहले बनाया था. मैंने अपने परिवार से कहा है कि मुझे यहां दफनाना.

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