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सात साल के बाल पुरस्कार विजेता विराट ने किलिमंजारो पर्वत पर की फतह

पिछले साल महज 7 साल की उम्र में नन्हे विराट (7-YEAR-OLD HYDERABADI VIRAT) ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर्वत (Mount Kilimanjaro) पर चढ़ाई कर हर किसी को हैरान कर दिया था. इस नन्हे विराट को इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. हैदराबाद के 7 वर्षीय विराट चंद्रा को किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ने के लिए खेल में बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसकी वजह से विराट एक बार फिर चर्चा में हैं.

7-YEAR-OLD HYDERABADI SUMMITS KILIMANJARO
हैदराबाद के विराट ने किलिमंजारो पर्वत पर की चढ़ाई
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Published : Mar 19, 2022, 4:14 PM IST

हैदराबाद : पर्वतारोहण (Mountaineering) के लिए बहुत अधिक शारीरिक शक्ति और मानसिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. पर्वतारोहियों को विभिन्न प्रकार की मौसम स्थितियों का सामना करना पड़ता है. ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच, एक 7 वर्षीय बच्चे विराट (7-YEAR-OLD HYDERABADI VIRAT) ने किलिमंजारो पर्वत (Mount Kilimanjaro) पर चढ़ाई की है, और अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के बच्चों में से एक बन गया है. इस असाधारण उपलब्धि को स्वीकार करते हुए भारत सरकार (Government Of India) ने बालक को बाल शक्ति पुरस्कार (Bal Shakti Puraskar) से सम्मानित किया है. हैदराबाद के तिरुमलागिरी के वंडर किड के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें.....

विराट चंद्र तेलुकुंता सरथ चंद्र और माधवी के पुत्र हैं. 7 साल की उम्र में उन्होंने तंजानिया में किलिमंजारो पर्वत (7 Year Old Has Scaled Mount Kilimanjaro) पर चढ़ाई करके सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. उन्होंने कहा कि उनके परिवार में एक पर्वतारोही से प्रेरणा मिली. उन्होंने अपने माता-पिता के साथ पर्वतारोहण में अपनी रुचि के बारे में चर्चा की. फिर कोच भरत तम्मिनेनी से संपर्क किया. 7 वर्षीय विराट जो कभी अपने माता-पिता और घर से दूर नहीं रहा था पर्वतारोहण के अपने पहले प्रयास में सबसे ऊंची चोटी को फतह करने के लिए दृढ़ था. विराट ने मार्च 2021 में अपने सपने को साकार किया.

  • Hyderabad| 9-yr-old Telukunta Virat Chandra awarded with PM Bal Puraskar in Sports for scaling Mt Kilimanjaro last year

    "I used to run for 6-7km every day, did sit-ups, suryanamaskar...meditation. It was very cold there, but we focussed on summit point despite body aches"he said pic.twitter.com/w3T59IpBQD

    — ANI (@ANI) January 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

किलिमंजारो अफ्रीका का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 5,895 मीटर है. पहाड़ के आधार पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होगा लेकिन जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ता है, तापमान शून्य से नीचे गिर जाता है. प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बावजूद, विराट के माता-पिता लगभग 3,720 मीटर तक चोटी के आधे रास्ते में उनके साथ थे. उन्होंने उन्हें कहानियों और उत्साहजनक शब्दों से प्रेरित किया. विराट ने अपनी बाकी की यात्रा अपने कोच भरत के साथ पूरी की. विराट साढ़े छह दिनों में पहाड़ पर चढ़कर यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ियों में से एक बन गए हैं. चढ़ाई के लिए निकलने से पहले उन्होंने एक महीने तक कठोर प्रशिक्षण लिया.

पढ़ें : बेटे को बचाने के लिए मां ने कभी 1400 किमी का सफर स्कूटी से तय की थी, अब वह यूक्रेन में जा फंसा

विराट चंद्रा ने बताया कि मैं हर दिन 6-7 किमी दौड़ता था. इसके साथ ही उठक-बैठक सूर्यनमस्कार और मेडिटेशन करता था. किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ते समय चंद्रा ने अत्यधिक ठंड के मौसम, उंगलियों के दर्द, हाथ दर्द जैसी चुनौतियों का सामना किया. उन्होंने कहा कि वहां बहुत ठंड थी, लेकिन हमने शरीर में दर्द के बावजूद शिखर बिंदु पर ध्यान केंद्रित किया.

विराट के माता-पिता ने अपने बेटे को उसके सपने को साकार करने के लिए उतनी ही मेहनत की है. वे भी उसका साथ देने के लिए पर्वतारोही बने. जब वे बेस कैंप में रुके, तो विराट ने अपने कोच के साथ चढ़ाई पूरी की. विराट के पिता सरथ ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को सख्त प्रशिक्षण से गुजरने के लिए प्रोत्साहित किया. माधवी ने कहा कि माता-पिता के सहयोग से बच्चे चमत्कार कर सकते हैं. चढ़ाई के दौरान जब मुझे आधे रास्ते से बेस कैंप में लौटना पड़ा तो मैं टूट गई. मैं विराट के साथ शिखर पर जाना चाहताी थी, लेकिन सांस लेने में तकलीफ के कारण मुझे वहीं रहना पड़ा. यह मेरे लिए कठिन था, क्योंकि मैं हमेशा उसके साथ रही हूं. जब वो बेस कैंप पर लौटा तो उसका पहला शब्द यही था कि मां मैंने कर दिखाया. विराट की मां ने आगे कहा कि इतनी कम उम्र में पर्वतारोहण मुश्किल है और वह चाहती है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को उनके सपनों का पीछा करने दें.

विराट एक होनहार छात्र है जो एकेडमिक और एक्स्ट्रा करिकुलर में समान रूप से उत्कृष्ट है. वह अपने पिता की तरह उद्यमी बनना चाहता है. एक बार अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद, उनका लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्ज़को की चढ़ाई को स्केल करना है. युवा पर्वतारोही को सेवन समिट्स की उपलब्धि भी हासिल करने का भरोसा है.

हैदराबाद : पर्वतारोहण (Mountaineering) के लिए बहुत अधिक शारीरिक शक्ति और मानसिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. पर्वतारोहियों को विभिन्न प्रकार की मौसम स्थितियों का सामना करना पड़ता है. ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच, एक 7 वर्षीय बच्चे विराट (7-YEAR-OLD HYDERABADI VIRAT) ने किलिमंजारो पर्वत (Mount Kilimanjaro) पर चढ़ाई की है, और अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के बच्चों में से एक बन गया है. इस असाधारण उपलब्धि को स्वीकार करते हुए भारत सरकार (Government Of India) ने बालक को बाल शक्ति पुरस्कार (Bal Shakti Puraskar) से सम्मानित किया है. हैदराबाद के तिरुमलागिरी के वंडर किड के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें.....

विराट चंद्र तेलुकुंता सरथ चंद्र और माधवी के पुत्र हैं. 7 साल की उम्र में उन्होंने तंजानिया में किलिमंजारो पर्वत (7 Year Old Has Scaled Mount Kilimanjaro) पर चढ़ाई करके सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. उन्होंने कहा कि उनके परिवार में एक पर्वतारोही से प्रेरणा मिली. उन्होंने अपने माता-पिता के साथ पर्वतारोहण में अपनी रुचि के बारे में चर्चा की. फिर कोच भरत तम्मिनेनी से संपर्क किया. 7 वर्षीय विराट जो कभी अपने माता-पिता और घर से दूर नहीं रहा था पर्वतारोहण के अपने पहले प्रयास में सबसे ऊंची चोटी को फतह करने के लिए दृढ़ था. विराट ने मार्च 2021 में अपने सपने को साकार किया.

  • Hyderabad| 9-yr-old Telukunta Virat Chandra awarded with PM Bal Puraskar in Sports for scaling Mt Kilimanjaro last year

    "I used to run for 6-7km every day, did sit-ups, suryanamaskar...meditation. It was very cold there, but we focussed on summit point despite body aches"he said pic.twitter.com/w3T59IpBQD

    — ANI (@ANI) January 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

किलिमंजारो अफ्रीका का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 5,895 मीटर है. पहाड़ के आधार पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होगा लेकिन जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ता है, तापमान शून्य से नीचे गिर जाता है. प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बावजूद, विराट के माता-पिता लगभग 3,720 मीटर तक चोटी के आधे रास्ते में उनके साथ थे. उन्होंने उन्हें कहानियों और उत्साहजनक शब्दों से प्रेरित किया. विराट ने अपनी बाकी की यात्रा अपने कोच भरत के साथ पूरी की. विराट साढ़े छह दिनों में पहाड़ पर चढ़कर यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ियों में से एक बन गए हैं. चढ़ाई के लिए निकलने से पहले उन्होंने एक महीने तक कठोर प्रशिक्षण लिया.

पढ़ें : बेटे को बचाने के लिए मां ने कभी 1400 किमी का सफर स्कूटी से तय की थी, अब वह यूक्रेन में जा फंसा

विराट चंद्रा ने बताया कि मैं हर दिन 6-7 किमी दौड़ता था. इसके साथ ही उठक-बैठक सूर्यनमस्कार और मेडिटेशन करता था. किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ते समय चंद्रा ने अत्यधिक ठंड के मौसम, उंगलियों के दर्द, हाथ दर्द जैसी चुनौतियों का सामना किया. उन्होंने कहा कि वहां बहुत ठंड थी, लेकिन हमने शरीर में दर्द के बावजूद शिखर बिंदु पर ध्यान केंद्रित किया.

विराट के माता-पिता ने अपने बेटे को उसके सपने को साकार करने के लिए उतनी ही मेहनत की है. वे भी उसका साथ देने के लिए पर्वतारोही बने. जब वे बेस कैंप में रुके, तो विराट ने अपने कोच के साथ चढ़ाई पूरी की. विराट के पिता सरथ ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को सख्त प्रशिक्षण से गुजरने के लिए प्रोत्साहित किया. माधवी ने कहा कि माता-पिता के सहयोग से बच्चे चमत्कार कर सकते हैं. चढ़ाई के दौरान जब मुझे आधे रास्ते से बेस कैंप में लौटना पड़ा तो मैं टूट गई. मैं विराट के साथ शिखर पर जाना चाहताी थी, लेकिन सांस लेने में तकलीफ के कारण मुझे वहीं रहना पड़ा. यह मेरे लिए कठिन था, क्योंकि मैं हमेशा उसके साथ रही हूं. जब वो बेस कैंप पर लौटा तो उसका पहला शब्द यही था कि मां मैंने कर दिखाया. विराट की मां ने आगे कहा कि इतनी कम उम्र में पर्वतारोहण मुश्किल है और वह चाहती है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को उनके सपनों का पीछा करने दें.

विराट एक होनहार छात्र है जो एकेडमिक और एक्स्ट्रा करिकुलर में समान रूप से उत्कृष्ट है. वह अपने पिता की तरह उद्यमी बनना चाहता है. एक बार अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद, उनका लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्ज़को की चढ़ाई को स्केल करना है. युवा पर्वतारोही को सेवन समिट्स की उपलब्धि भी हासिल करने का भरोसा है.

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