नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च, 2023 तक उच्चतम न्यायालय में कुल 69,379 मामले लंबित हैं. अदालत में 50,129 दाखिले के मामले और 19,250 नियमित सुनवाई के मामले लंबित हैं. दाखिले के मामलों में 40,405 मामले ऐसे हैं, जिनमें सभी प्रारंभिक कार्यवाही पूरी हो चुकी हैं और वे सुनवाई के लिए तैयार हैं.
इसके अलावा 9,724 मामले ऐसे हैं, जिनमें प्रारंभिक कार्यवाही पूरी नहीं हुई है और वे सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं. नियमित सुनवाई के मामलों में 19,225 मामले ऐसे हैं, जिनकी प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 25 मामले ऐसे हैं, जिनमें प्रारंभिक सुनवाई पूरी नहीं हुई है और वे सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं. प्रारंभिक तैयारी में प्रक्रिया शुल्क, नोटिस की तामील, दलीलों को पूरा करना आदि शामिल हैं.
आज 14.05% ऐसे मामले हैं जिनमें प्रारंभिक तैयारी पूरी नहीं हुई है. कुल 463 संवैधानिक बेंच के मामले लंबित हैं. 313 पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के समक्ष लंबित हैं, 15 सात न्यायाधीशों की खंडपीठ के समक्ष और 135 नौ न्यायाधीशों की खंडपीठ के समक्ष लंबित हैं. 47 मुख्य मामले हैं और 416 जुड़े हुए मामले हैं. बता दें कि पिछले साल जब पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने पदभार संभाला तो उन्होंने संवैधानिक पीठों का गठन किया जो नियमित रूप से मामलों की सुनवाई करेंगी.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में भी यह प्रथा जारी रही है. हर हफ्ते दो से तीन दिनों के लिए संविधान बेंच बैठती है और नियमित आधार पर मामलों की सुनवाई करती है, जिससे मामलों का त्वरित निस्तारण होता है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए विमुद्रीकरण और आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाएं वर्षों से लंबित थीं और मामलों की सुनवाई के लिए नियमित बेंच गठित होने के बाद उनका निष्कर्ष निकाला गया था.