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4 दिन में 56 लोगों की सड़क हादसे में मौत, रोजाना 16 युवा गंवा रहे जान, इतनी खतरनाक क्यों उत्तराखंड की सड़कें? - लगातार सड़क हादसे हो रहे

सड़कें किसी भी प्रदेश की आर्थिक विकास की रीढ़ होती है, लेकिन जब ये ही सड़क खून से लथपथ होने से लगे तो वो सरकार और लोगों को सोचने पर भी मजबूर कर देती है. उत्तराखंड में बढ़ते सड़क हादसे और उनमें होती युवाओं की मौत ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. उत्तराखंड में रोजना 16 युवा अपनी जान गंवा रहे हैं. वहीं, पिछले 4 दिनों में हुए सड़क हादसों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

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सड़क हादसे
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Published : Jun 10, 2022, 9:00 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में लगातार हो रहे सड़क हादसों ने एक बार फिर प्रदेश के कमजोर होते इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बहस तेज कर दी है. बीते चार (सोमवार से गुरुवार) दिनों में हुई 56 मौतों ने एक बार सड़क सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उत्तराखंड में बढ़ते सड़क हादसे सरकार और प्रशासन-पुलिस के लिए चिंता सबब बनते जा रहे हैं. उत्तराखंड में लगातार बढ़ते सड़क हादसों के पीछे आखिर क्या कारण हैं?

उत्तरकाशी में 26 लोगों की मौत: उत्तराखंड में हाल फिलहाल में सबसे बड़ा हादसा उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री मार्ग पर हुआ था, जिसमें एक साथ 26 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद शासन पूरी तरह से हिल गया. हादसे में मरने वाले सभी लोग मध्य प्रदेश के पन्ना के थे. पीएम मोदी ने भी इस हादसे पर दु:ख व्यक्त किया था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद उत्तराखंड आए थे और घटना स्थल का जायजा लिया था.

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उत्तरकाशी बस हादसे में 26 लोगों की मौत हुई थी.
पढ़ें- Uttarakhand: वो दो महीने जब सोते नहीं हैं ड्राइवर! ये जिला हादसे में नंबर वन

टिहरी में 6 लोगों की मौत: इस हादसे के बाद से ही उत्तराखंड में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों की जान भी जा रही है. उत्तरकाशी सड़क हादसे से अभी उत्तराखंड उबरा भी नहीं था कि दो दिन बाद ही टिहरी में धराली में भीषण हादसा हुआ, जिसमें पांच लोगों की एक साथ जान गई. सभी लोग कार में सवार थे और कार खाई में गिर गई थी. इस हादसे में तीन लोग घायल भी हुए थे. इसे बाद उसी दिन टिहरी में एक और सड़क हादसा हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

देहरादून और हरिद्वार में सड़क हादसे: उत्तरकाशी और टिहरी सड़क हादसे के बाद सात, आठ और 9 जून को देहरादून में अलग-अलग जगहों पर सड़क हादसे हुए. इन हादसों में दो लोगों ने अपनी जान गंवाई. इतना ही नहीं, 6 से 9 जून के बीच हरिद्वार में भी अलग-अलग सड़क हादसों में 8 लोगों ने अपनी जान गंवाई. इसके अलावा 9 जून को पौड़ी जिले में कार खाई में गिरने एक व्यक्ति की मौत हो गई.

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नैनीताल में कार खाई में गिरी.
पढ़ें-
चंपावत: यात्रियों से भरी बोलेरो खाई में गिरी, तीन लोगों की मौत, मुआवजे का ऐलान

सड़क हादसों का जून: उत्तराखंड के लिए जून का पहला सप्ताह काफी खराब है. सड़़क हादसा से न सिर्फ गढ़वाल, बल्कि कुमाऊं भी हिल गया है. कुमाऊं में भी बीते तीन दिनों के अंदर कई सड़क हादसे हो चुके हैं. चंपावत में 6 जून को हुए सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी. यहां बता दें कि इस साल अभी तक प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे में चंपावत में ही हुए हैं. चंपावत में पांच महीन के अंदर 26 लोगों की जान गई है और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

नैनीताल में पांच लोगों की मौत: नैनीताल में भी 9 जून (गुरुवार) देर शाम को एक गाड़ी खाई में गिर गई थी, इसमें 5 लोगों की मौत हो गई. जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया. कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तरकाशी, टिहरी, नैनीताल और चंपावत में ही तीन दिनों के अंदर 40 लोगों की मौत सिर्फ सड़क हादसे में हुई है. यानी हर दो घंटे में एक व्यक्ति सड़क हादसे में अपनी जान गंवा रहा है.

फाइलों में धूल फांकती जांच: उत्तराखंड में अभीतक जीतने भी बड़े सड़क हादसे हुए हैं, सभी के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए जाते हैं. उत्तरकाशी सड़क हादसे में 26 लोगों की मौत के बाद भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. ये मजिस्ट्रेट जांच कब पूरी होती है, किसको दोषी बनाया जाता है और किसके ऊपर कार्रवाई होती है, ये वो सवाल हैं, जो कभी बाहर नहीं आ पाते और फाइलों में ही दफन हो जाते हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी हादसे के बाद कहां थे 'सरकार', एक हजार KM दूर से घटनास्थल पहुंचे CM शिवराज

कुछ ही दिन रहती है गंभीरता: प्रदेश में बड़ा सड़क हादसा होने के बाद सरकार, शासन, प्रशासन और पुलिस नींद से तो जागती है, लेकिन कुछ ही समय के लिए. बड़े सड़क हादसों के बाद धरातल पर सरकार के मंत्री से लेकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी कार्रवाई करते हुए तो दिखते हैं, लेकिन नाम मात्र को. हालांकि, कुछ दिनों बाद जैसे ही मामला ठंडा होता है, सभी फिर ने नींद में चले जाते हैं. ये बात हम ऐसी ही नहीं कर कह रहे हैं, इसके पीछे भी बड़ी वजह है.

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नैनीताल में कार खाई में गिरी.

दरअसल, उत्तरकाशी में बीती 5 जून को जिस हाईवे से बस खाई में गिरने से 26 लोगों की मौत हुई थी, उसी हाईवे पर नवंबर 2018 में एक और सड़क हादसा हुआ था, जिसमें 14 लोगों की जान गई थी. फिर भी हादसे रोकने के लिए कोई कदम उठाया नजर नहीं आया.

उत्तराखंड में सड़क हादसे और मौत: उत्तराखंड पुलिस और परिवहन विभाग से मिले बीते कुछ साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो उत्तराखंड में स्थिति काफी खराब है. साल 2020 और 2021 में उत्तराखंड के अंदर करीब 1,041 सड़क हादसे हुए, जिसमें 674 लोगों की मौत हुई. इसमें 430 लोगों की जान तो सिर्फ ओवर स्पीड के कारण ही गई. वहीं, 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में कुल 1405 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 820 लोगों की मौत हुई है. इस साल भी 1079 लोग ओवरस्पीड का शिकार हुए हैं.

ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा सड़क हादसे:

  • उत्तराखंड में 80 प्रतिशत सड़क हादसे ग्रामीण इलाकों में हुए हैं. साल 2020 में उधम सिंह नगर में 203 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 123 लोगों की मौत हुई. 203 में से 124 शहरी क्षेत्र में हुए और 80 लोगों की जान गई.
  • इस तरह से देहरादून में भी ग्रामीण क्षेत्र में 148 सड़क हादसे हुए, जिसमें 130 लोगों की मौत हुई. जबकि शहरी क्षेत्रों में 180 सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें 65 लोगों की मौत हुई है. हरिद्वार में ग्रामीण क्षेत्रों में 182 सड़क हादसे हुए, जिसमें 112 लोगों की मौत हुई. इसमें से शहरी क्षेत्र में 118 सड़क हादसे हुए, जिसमें 72 लोगों की जान गई.
  • नैनीताल जिले में भी ग्रामीण क्षेत्र में 72 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 42 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में अगर देखें तो 125 सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें 59 लोगों की मौत हुई है.
  • टिहरी जनपद की अगर बात करें तो ग्रामीण क्षेत्र में 46 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 81 लोगों की मौत हुई है.
  • चमोली में ग्रामीण क्षेत्र में 25 सड़क हादसे हुए हैं और 25 लोगों की मौत हुई है जबकि चमोली के शहरी क्षेत्र में दो सड़क हादसे हुए हैं एक व्यक्ति की मौत हुई है.
  • उत्तरकाशी में 15 ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 12 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 8 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 6 लोगों की मौत हुई है.
  • रुद्रप्रयाग में भी 18 सड़क हादसे ग्रामीण क्षेत्र में हुए हैं, जिसमें 16 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में एक सड़क हादसा हुआ है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई है.
  • अल्मोड़ा में भी ग्रामीण क्षेत्र में सात सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई है शहरी क्षेत्र में एक सड़क हादसा हुआ है जिसमें किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है.
  • चंपावत में ग्रामीण क्षेत्र में 11 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 9 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 5 लोगों की मौत हुई है.
  • पिथौरागढ़ में ग्रामीण क्षेत्र में पांच सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई है और शहरी क्षेत्र में 3 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई है.
  • बागेश्वर में ग्रामीण क्षेत्र में दो सड़क हादसे हुए हैं और 4 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 3 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई है.
  • पौड़ी क्षेत्र में भी अट्ठारह सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 18 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 24 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई है.
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    सड़क हादसों का आंकड़ा

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हादसे: उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद में हो रहे लगातार हादसे ये बताते हैं कि सबसे अधिक सड़क हादसे ग्रामीण क्षेत्रों से गुजरने वाली सड़कों पर ही हो रहे हैं. जबकि शहरों से निकलने वाली सड़कें अभी भी काफी हद तक महफूज हैं. उत्तराखंड में नेशनल हाईवे पर मरने वालों की संख्या 62 प्रतिशत बताई गई है जबकि, स्टेट हाईवे पर मरने वालों की संख्या 19 प्रतिशत बताई गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या 70.8% बताई गई है जबकि, खुले स्थानों पर जो सड़क हादसे हो रहे हैं उसकी संख्या 58% बताई गई है. उत्तराखंड में सबसे अधिक सड़क हादसे ओवर स्पीड के हो रहे हैं. यानि हर साल लगभग 74% लोग ओवर स्पीड में अपनी जान गंवा रहे हैं.

चारधाम यात्रा में बढ़ते है सड़क हादसे: उत्तराखंड में हर साल चार धाम यात्रा के दौरान प्रदेश में लाखों करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. लिहाजा, ऐसे में सड़कों पर अधिक गाड़ियां होने की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा होता है. देश के दूसरे राज्यों से आने वाले लोग अपनी गाड़ी से ही पहाड़ का सफर करते हैं, जबकि कई ड्राइवरों को पहाड़ पर गाड़ी चलाने का अनुभव सही से नहीं होता. यह भी एक बड़ी वजह है कि उत्तराखंड में सड़क हादसे लगातार होते हैं.

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चिंताजनक आंकड़े..

ड्राइवरों की फिटनेस पर भी देना होगा ध्यान: परिवहन विभाग को सिर्फ गाड़ियों की ही नहीं, बल्कि ड्राइवरों की फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा. अक्सर देखने में आता है कि ट्रैवल एजेंट या फिर खुद गाड़ी मालिक लगातार चारधाम यात्रा पर गाड़ी चलाते रहते हैं. चारधाम यात्रा का एक रूट करीब 9 दिनों में पूरा होता है. जब ड्राइवर 9 दिन का सफर पूरा करके ऋषिकेश या फिर हरिद्वार पहुंचता तो उसे आराम नहीं मिलता, बल्कि दूसरे टूर के लिए बुकिंग तैयार रहती है. कई बार तो ऐसा होता है कि ड्राइवर साथ के साथ वापस हो जाता है. इस वजह से ड्राइवर दो-दो दिनों तक सो भी नहीं पाते है. नींद पूरी नहीं होने और थकावट होने की वजह से कई बार ड्राइवरों की आंख भी लग जाती है और वो हादसे का शिकार हो जाते है. शासन प्रशासन को इस बात पर भी गौर करना होगा की गाड़ियों के साथ पहाड़ों पर चढ़ने वाले ड्राइवर भी फिट हों.

15-29 साल के युवाओं की मौत ज्यादा: केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा 2020 में सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में दोपहिया वाहन सड़क हादसे में सबसे ज्यादा औसतन 15 से 29 साल के युवाओं की मौत हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, औसतन 16 युवा हर रोज सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं. सड़क दुर्घटना में औसतन 25 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हो जाते हैं. भारत में शहरों के ट्रांसपोर्ट प्लानिंग और डिजाइनिंग की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है.

आमतौर पर ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि किसी तरह सड़क निर्माण हो जाए. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों में सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारण का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है.

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उत्तराखंड की चिंता

सड़क दुर्घटनाओं से ऐसे बचें: कार या दोपहिया वाहन से यात्रा कर रहे हैं तो अपनी गाड़ी की गति हमेशा नियंत्रित रखें. ताकि यदि अचानक से कोई वाहन या जानवर सामने से आ जाए तो आप हादसे से बच सकें. तकरीबन 60% हादसे नींद की वजह से होते हैं. यदि आप रात में सफर तय कर रहे हैं तो अपने ड्राइवर से बातें करते रहे, ताकि न तो उसे नींद लगे और आप सड़क हादसों से भी बचे रहें. वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें. करीब 20 प्रतिशत हादसे वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करने या किसी को मैसेज भेजने की वजह से होते हैं.

  • शराब पीकर या नशा करने के बाद तो वाहन बिल्कुल न चलाए.
  • हमेशा यू-टर्न या मोड़ पर गाड़ी बहुत संभाल कर निकाले.
  • रात के समय डिपर का प्रयोग अवश्य करें.
  • ओवरटेक हमेशा सीधी साइड से ही करें.
  • ट्रक और ओवरलोडेड वाहनों के पास से गुजरते समय पास और हॉर्न का उचित उपयोग करें.
  • भीड़ वाले रास्तों पर अपने वाहन की गति हमेशा धीमी ही रखें.
  • ट्रैफिक नियमों को अनदेखा न करें.

क्या कहते हैं मंत्री: उत्तराखंड के परिवहन मंत्री चंदनराम दास का कहना है कि ये सही है कि पहाड़ों पर सड़क हादसे होते हैं, लेकिन बीते कुछ सालों से इनमें कमी आई है. केंद्र सरकार की योजना से बने ऑल वेदर रोड ने सफर अच्छा किया है. अमूमन सड़कें चौड़ी हुई हैं लेकिन कुछ जगह हैं जिन पर काम किया जा रहा है. लोगों को भी अपनी स्पीड और यातायात नियमों का पालन करना चाहिए तभी ये सड़क हादसे रुकेंगे. सरकार इस ओर गंभीर है और आने वाले दिनों में सड़कों के लिए वो खुद केंद्रीय परिवहन और सड़क मंत्री नितिन गडगरी से भी मिलेंगे.

देहरादून: उत्तराखंड में लगातार हो रहे सड़क हादसों ने एक बार फिर प्रदेश के कमजोर होते इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बहस तेज कर दी है. बीते चार (सोमवार से गुरुवार) दिनों में हुई 56 मौतों ने एक बार सड़क सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उत्तराखंड में बढ़ते सड़क हादसे सरकार और प्रशासन-पुलिस के लिए चिंता सबब बनते जा रहे हैं. उत्तराखंड में लगातार बढ़ते सड़क हादसों के पीछे आखिर क्या कारण हैं?

उत्तरकाशी में 26 लोगों की मौत: उत्तराखंड में हाल फिलहाल में सबसे बड़ा हादसा उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री मार्ग पर हुआ था, जिसमें एक साथ 26 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद शासन पूरी तरह से हिल गया. हादसे में मरने वाले सभी लोग मध्य प्रदेश के पन्ना के थे. पीएम मोदी ने भी इस हादसे पर दु:ख व्यक्त किया था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद उत्तराखंड आए थे और घटना स्थल का जायजा लिया था.

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उत्तरकाशी बस हादसे में 26 लोगों की मौत हुई थी.
पढ़ें- Uttarakhand: वो दो महीने जब सोते नहीं हैं ड्राइवर! ये जिला हादसे में नंबर वन

टिहरी में 6 लोगों की मौत: इस हादसे के बाद से ही उत्तराखंड में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों की जान भी जा रही है. उत्तरकाशी सड़क हादसे से अभी उत्तराखंड उबरा भी नहीं था कि दो दिन बाद ही टिहरी में धराली में भीषण हादसा हुआ, जिसमें पांच लोगों की एक साथ जान गई. सभी लोग कार में सवार थे और कार खाई में गिर गई थी. इस हादसे में तीन लोग घायल भी हुए थे. इसे बाद उसी दिन टिहरी में एक और सड़क हादसा हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

देहरादून और हरिद्वार में सड़क हादसे: उत्तरकाशी और टिहरी सड़क हादसे के बाद सात, आठ और 9 जून को देहरादून में अलग-अलग जगहों पर सड़क हादसे हुए. इन हादसों में दो लोगों ने अपनी जान गंवाई. इतना ही नहीं, 6 से 9 जून के बीच हरिद्वार में भी अलग-अलग सड़क हादसों में 8 लोगों ने अपनी जान गंवाई. इसके अलावा 9 जून को पौड़ी जिले में कार खाई में गिरने एक व्यक्ति की मौत हो गई.

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नैनीताल में कार खाई में गिरी.
पढ़ें- चंपावत: यात्रियों से भरी बोलेरो खाई में गिरी, तीन लोगों की मौत, मुआवजे का ऐलान

सड़क हादसों का जून: उत्तराखंड के लिए जून का पहला सप्ताह काफी खराब है. सड़़क हादसा से न सिर्फ गढ़वाल, बल्कि कुमाऊं भी हिल गया है. कुमाऊं में भी बीते तीन दिनों के अंदर कई सड़क हादसे हो चुके हैं. चंपावत में 6 जून को हुए सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी. यहां बता दें कि इस साल अभी तक प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे में चंपावत में ही हुए हैं. चंपावत में पांच महीन के अंदर 26 लोगों की जान गई है और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

नैनीताल में पांच लोगों की मौत: नैनीताल में भी 9 जून (गुरुवार) देर शाम को एक गाड़ी खाई में गिर गई थी, इसमें 5 लोगों की मौत हो गई. जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया. कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तरकाशी, टिहरी, नैनीताल और चंपावत में ही तीन दिनों के अंदर 40 लोगों की मौत सिर्फ सड़क हादसे में हुई है. यानी हर दो घंटे में एक व्यक्ति सड़क हादसे में अपनी जान गंवा रहा है.

फाइलों में धूल फांकती जांच: उत्तराखंड में अभीतक जीतने भी बड़े सड़क हादसे हुए हैं, सभी के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए जाते हैं. उत्तरकाशी सड़क हादसे में 26 लोगों की मौत के बाद भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. ये मजिस्ट्रेट जांच कब पूरी होती है, किसको दोषी बनाया जाता है और किसके ऊपर कार्रवाई होती है, ये वो सवाल हैं, जो कभी बाहर नहीं आ पाते और फाइलों में ही दफन हो जाते हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी हादसे के बाद कहां थे 'सरकार', एक हजार KM दूर से घटनास्थल पहुंचे CM शिवराज

कुछ ही दिन रहती है गंभीरता: प्रदेश में बड़ा सड़क हादसा होने के बाद सरकार, शासन, प्रशासन और पुलिस नींद से तो जागती है, लेकिन कुछ ही समय के लिए. बड़े सड़क हादसों के बाद धरातल पर सरकार के मंत्री से लेकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी कार्रवाई करते हुए तो दिखते हैं, लेकिन नाम मात्र को. हालांकि, कुछ दिनों बाद जैसे ही मामला ठंडा होता है, सभी फिर ने नींद में चले जाते हैं. ये बात हम ऐसी ही नहीं कर कह रहे हैं, इसके पीछे भी बड़ी वजह है.

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नैनीताल में कार खाई में गिरी.

दरअसल, उत्तरकाशी में बीती 5 जून को जिस हाईवे से बस खाई में गिरने से 26 लोगों की मौत हुई थी, उसी हाईवे पर नवंबर 2018 में एक और सड़क हादसा हुआ था, जिसमें 14 लोगों की जान गई थी. फिर भी हादसे रोकने के लिए कोई कदम उठाया नजर नहीं आया.

उत्तराखंड में सड़क हादसे और मौत: उत्तराखंड पुलिस और परिवहन विभाग से मिले बीते कुछ साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो उत्तराखंड में स्थिति काफी खराब है. साल 2020 और 2021 में उत्तराखंड के अंदर करीब 1,041 सड़क हादसे हुए, जिसमें 674 लोगों की मौत हुई. इसमें 430 लोगों की जान तो सिर्फ ओवर स्पीड के कारण ही गई. वहीं, 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में कुल 1405 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 820 लोगों की मौत हुई है. इस साल भी 1079 लोग ओवरस्पीड का शिकार हुए हैं.

ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा सड़क हादसे:

  • उत्तराखंड में 80 प्रतिशत सड़क हादसे ग्रामीण इलाकों में हुए हैं. साल 2020 में उधम सिंह नगर में 203 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 123 लोगों की मौत हुई. 203 में से 124 शहरी क्षेत्र में हुए और 80 लोगों की जान गई.
  • इस तरह से देहरादून में भी ग्रामीण क्षेत्र में 148 सड़क हादसे हुए, जिसमें 130 लोगों की मौत हुई. जबकि शहरी क्षेत्रों में 180 सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें 65 लोगों की मौत हुई है. हरिद्वार में ग्रामीण क्षेत्रों में 182 सड़क हादसे हुए, जिसमें 112 लोगों की मौत हुई. इसमें से शहरी क्षेत्र में 118 सड़क हादसे हुए, जिसमें 72 लोगों की जान गई.
  • नैनीताल जिले में भी ग्रामीण क्षेत्र में 72 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 42 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में अगर देखें तो 125 सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें 59 लोगों की मौत हुई है.
  • टिहरी जनपद की अगर बात करें तो ग्रामीण क्षेत्र में 46 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 81 लोगों की मौत हुई है.
  • चमोली में ग्रामीण क्षेत्र में 25 सड़क हादसे हुए हैं और 25 लोगों की मौत हुई है जबकि चमोली के शहरी क्षेत्र में दो सड़क हादसे हुए हैं एक व्यक्ति की मौत हुई है.
  • उत्तरकाशी में 15 ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 12 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 8 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 6 लोगों की मौत हुई है.
  • रुद्रप्रयाग में भी 18 सड़क हादसे ग्रामीण क्षेत्र में हुए हैं, जिसमें 16 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में एक सड़क हादसा हुआ है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई है.
  • अल्मोड़ा में भी ग्रामीण क्षेत्र में सात सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई है शहरी क्षेत्र में एक सड़क हादसा हुआ है जिसमें किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है.
  • चंपावत में ग्रामीण क्षेत्र में 11 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 9 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 5 लोगों की मौत हुई है.
  • पिथौरागढ़ में ग्रामीण क्षेत्र में पांच सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई है और शहरी क्षेत्र में 3 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई है.
  • बागेश्वर में ग्रामीण क्षेत्र में दो सड़क हादसे हुए हैं और 4 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 3 सड़क हादसे हुए हैं जिसमें किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई है.
  • पौड़ी क्षेत्र में भी अट्ठारह सड़क हादसे हुए हैं जिसमें 18 लोगों की मौत हुई है जबकि शहरी क्षेत्र में 24 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई है.
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    सड़क हादसों का आंकड़ा

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हादसे: उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद में हो रहे लगातार हादसे ये बताते हैं कि सबसे अधिक सड़क हादसे ग्रामीण क्षेत्रों से गुजरने वाली सड़कों पर ही हो रहे हैं. जबकि शहरों से निकलने वाली सड़कें अभी भी काफी हद तक महफूज हैं. उत्तराखंड में नेशनल हाईवे पर मरने वालों की संख्या 62 प्रतिशत बताई गई है जबकि, स्टेट हाईवे पर मरने वालों की संख्या 19 प्रतिशत बताई गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या 70.8% बताई गई है जबकि, खुले स्थानों पर जो सड़क हादसे हो रहे हैं उसकी संख्या 58% बताई गई है. उत्तराखंड में सबसे अधिक सड़क हादसे ओवर स्पीड के हो रहे हैं. यानि हर साल लगभग 74% लोग ओवर स्पीड में अपनी जान गंवा रहे हैं.

चारधाम यात्रा में बढ़ते है सड़क हादसे: उत्तराखंड में हर साल चार धाम यात्रा के दौरान प्रदेश में लाखों करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. लिहाजा, ऐसे में सड़कों पर अधिक गाड़ियां होने की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा होता है. देश के दूसरे राज्यों से आने वाले लोग अपनी गाड़ी से ही पहाड़ का सफर करते हैं, जबकि कई ड्राइवरों को पहाड़ पर गाड़ी चलाने का अनुभव सही से नहीं होता. यह भी एक बड़ी वजह है कि उत्तराखंड में सड़क हादसे लगातार होते हैं.

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चिंताजनक आंकड़े..

ड्राइवरों की फिटनेस पर भी देना होगा ध्यान: परिवहन विभाग को सिर्फ गाड़ियों की ही नहीं, बल्कि ड्राइवरों की फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा. अक्सर देखने में आता है कि ट्रैवल एजेंट या फिर खुद गाड़ी मालिक लगातार चारधाम यात्रा पर गाड़ी चलाते रहते हैं. चारधाम यात्रा का एक रूट करीब 9 दिनों में पूरा होता है. जब ड्राइवर 9 दिन का सफर पूरा करके ऋषिकेश या फिर हरिद्वार पहुंचता तो उसे आराम नहीं मिलता, बल्कि दूसरे टूर के लिए बुकिंग तैयार रहती है. कई बार तो ऐसा होता है कि ड्राइवर साथ के साथ वापस हो जाता है. इस वजह से ड्राइवर दो-दो दिनों तक सो भी नहीं पाते है. नींद पूरी नहीं होने और थकावट होने की वजह से कई बार ड्राइवरों की आंख भी लग जाती है और वो हादसे का शिकार हो जाते है. शासन प्रशासन को इस बात पर भी गौर करना होगा की गाड़ियों के साथ पहाड़ों पर चढ़ने वाले ड्राइवर भी फिट हों.

15-29 साल के युवाओं की मौत ज्यादा: केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा 2020 में सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में दोपहिया वाहन सड़क हादसे में सबसे ज्यादा औसतन 15 से 29 साल के युवाओं की मौत हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, औसतन 16 युवा हर रोज सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं. सड़क दुर्घटना में औसतन 25 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हो जाते हैं. भारत में शहरों के ट्रांसपोर्ट प्लानिंग और डिजाइनिंग की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है.

आमतौर पर ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि किसी तरह सड़क निर्माण हो जाए. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों में सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारण का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है.

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उत्तराखंड की चिंता

सड़क दुर्घटनाओं से ऐसे बचें: कार या दोपहिया वाहन से यात्रा कर रहे हैं तो अपनी गाड़ी की गति हमेशा नियंत्रित रखें. ताकि यदि अचानक से कोई वाहन या जानवर सामने से आ जाए तो आप हादसे से बच सकें. तकरीबन 60% हादसे नींद की वजह से होते हैं. यदि आप रात में सफर तय कर रहे हैं तो अपने ड्राइवर से बातें करते रहे, ताकि न तो उसे नींद लगे और आप सड़क हादसों से भी बचे रहें. वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें. करीब 20 प्रतिशत हादसे वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करने या किसी को मैसेज भेजने की वजह से होते हैं.

  • शराब पीकर या नशा करने के बाद तो वाहन बिल्कुल न चलाए.
  • हमेशा यू-टर्न या मोड़ पर गाड़ी बहुत संभाल कर निकाले.
  • रात के समय डिपर का प्रयोग अवश्य करें.
  • ओवरटेक हमेशा सीधी साइड से ही करें.
  • ट्रक और ओवरलोडेड वाहनों के पास से गुजरते समय पास और हॉर्न का उचित उपयोग करें.
  • भीड़ वाले रास्तों पर अपने वाहन की गति हमेशा धीमी ही रखें.
  • ट्रैफिक नियमों को अनदेखा न करें.

क्या कहते हैं मंत्री: उत्तराखंड के परिवहन मंत्री चंदनराम दास का कहना है कि ये सही है कि पहाड़ों पर सड़क हादसे होते हैं, लेकिन बीते कुछ सालों से इनमें कमी आई है. केंद्र सरकार की योजना से बने ऑल वेदर रोड ने सफर अच्छा किया है. अमूमन सड़कें चौड़ी हुई हैं लेकिन कुछ जगह हैं जिन पर काम किया जा रहा है. लोगों को भी अपनी स्पीड और यातायात नियमों का पालन करना चाहिए तभी ये सड़क हादसे रुकेंगे. सरकार इस ओर गंभीर है और आने वाले दिनों में सड़कों के लिए वो खुद केंद्रीय परिवहन और सड़क मंत्री नितिन गडगरी से भी मिलेंगे.

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