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पं. बंगाल में रेलवे परियोजना के लिए 45 वर्षों से जमीन का इंतजार, चुप है सरकार - रेल मंत्रालय मांग रहा जमीन

वर्ष 1974-75 में हावड़ा-चंपादंगा रेलवे लाइन के लिए 110 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना मंजूर की गई थी. 45 साल के इंतजार के बाद भी बरगछिया-चंपादंगा से 32 किमी का हिस्सा अभी भी पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा भूमि के गैर-अधिग्रहण के कारण रूका पड़ा है. पश्चिम बंगाल में रेल परियोजना के लिए 45 साल बाद भी जमीन का कर रही इंतजार.

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Published : Feb 9, 2021, 10:50 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में एक रेल परियोजना जो 45 साल पहले मंजूर हुई थी, उसके पूरा होने के लिए जमीन मिलने का इंतजार है. इस परियोजना की कुल लंबाई 110 किलोमीटर की है. रेलवे द्वारा हावड़ा-आमता खंड के 43 किमी खंड में काम किया जा रहा है, जबकि शेष भाग के लिए अभी भी इंतजार ही हो रहा है.

दरअसल, वर्ष 1974-75 में हावड़ा-चंपादंगा रेलवे लाइन के लिए 110 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना मंजूर की गई थी. 45 साल के इंतजार के बाद भी बरगछिया-चंपादंगा से 32 किमी का हिस्सा अभी भी पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा भूमि के गैर-अधिग्रहण के कारण रूका पड़ा है. इसके अलावा चंपादंगा-तारकेश्वर, अमता-बागनान और जंगीपारा-फुरफुरा शरीफ नई लाइनों को भी पूरा होने का इंतजार है. क्योंकि राज्य सरकार ने भारतीय रेलवे को जमीन उपलब्ध नहीं कराई है. इस रेल परियोजना की वर्तमान प्रत्याशित लागत 1286 करोड़ रुपये है लेकिन रेलवे अभी भी इसे ठीक करने में सक्षम नहीं है.

रेल मंत्रालय मांग रहा जमीन

रेल मंत्रालय के अनुसार अब चूंकि भूमि की लागत कई गुना बढ़ गई है, इसलिए परियोजना को तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, जब पश्चिम बंगाल सरकार रेलवे और पश्चिम सरकार के बीच निष्पादित मूल समझौता ज्ञापन के अनुसार भूमि मुफ्त उपलब्ध कराएगी. यह समझौता 1973 में हुआ था. पिछले हफ्ते आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे ने कई पत्र लिखे थे जिसमें वर्तमान टीएमसी सरकार और पूर्व वाम मोर्चा सरकार से इस परियोजना के पूरा होने के लिए भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था लेकिन केवल थोड़ी प्रगति हुई. उन्होंने कहा कि पहले परियोजनाओं को संसाधनों, भूमि या समय की स्पष्टता के बिना घोषित किया गया था. पश्चिम बंगाल में एक परियोजना है जो पिछले 45 वर्षों से लंबित है. हम राज्य सरकार से भूमि उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध कर रहे हैं ताकि हम खर्च कर सकें. पश्चिम बंगाल में परियोजनाओं को पूरा करने में कई स्थानीय मुद्दे हैं जो परियोजनाओं के कार्यान्वयन को रोकते हैं.

यह भी पढ़ें-मोदी MSP को कानूनी हैसियत दिलवाना चाहते थे, पर अब चुप्पी साध ली : हरसिमरत कौर

बंगाल में चल रही 53 परियोजनाएं

भारतीय रेलवे वर्तमान में पश्चिम बंगाल में 53 परियोजनाओं पर काम कर रहा है. जिसमें 16 नई लाइनें शामिल हैं. जो एक लागत पर 1,538 किमी की लंबाई को कवर करती हैं. 20117 करोड़ रुपये की लागत से चार गेज परिवर्तन परियोजना, 7,993 करोड़ रुपये की लागत से 1200 किमी की लंबाई को कवर करने वाली और 33 दोहरीकरण परियोजनाओं के लिए 20165 रुपये की लागत से 1725 किलोमीटर की लंबाई को कवर करती है.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में एक रेल परियोजना जो 45 साल पहले मंजूर हुई थी, उसके पूरा होने के लिए जमीन मिलने का इंतजार है. इस परियोजना की कुल लंबाई 110 किलोमीटर की है. रेलवे द्वारा हावड़ा-आमता खंड के 43 किमी खंड में काम किया जा रहा है, जबकि शेष भाग के लिए अभी भी इंतजार ही हो रहा है.

दरअसल, वर्ष 1974-75 में हावड़ा-चंपादंगा रेलवे लाइन के लिए 110 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना मंजूर की गई थी. 45 साल के इंतजार के बाद भी बरगछिया-चंपादंगा से 32 किमी का हिस्सा अभी भी पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा भूमि के गैर-अधिग्रहण के कारण रूका पड़ा है. इसके अलावा चंपादंगा-तारकेश्वर, अमता-बागनान और जंगीपारा-फुरफुरा शरीफ नई लाइनों को भी पूरा होने का इंतजार है. क्योंकि राज्य सरकार ने भारतीय रेलवे को जमीन उपलब्ध नहीं कराई है. इस रेल परियोजना की वर्तमान प्रत्याशित लागत 1286 करोड़ रुपये है लेकिन रेलवे अभी भी इसे ठीक करने में सक्षम नहीं है.

रेल मंत्रालय मांग रहा जमीन

रेल मंत्रालय के अनुसार अब चूंकि भूमि की लागत कई गुना बढ़ गई है, इसलिए परियोजना को तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, जब पश्चिम बंगाल सरकार रेलवे और पश्चिम सरकार के बीच निष्पादित मूल समझौता ज्ञापन के अनुसार भूमि मुफ्त उपलब्ध कराएगी. यह समझौता 1973 में हुआ था. पिछले हफ्ते आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे ने कई पत्र लिखे थे जिसमें वर्तमान टीएमसी सरकार और पूर्व वाम मोर्चा सरकार से इस परियोजना के पूरा होने के लिए भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था लेकिन केवल थोड़ी प्रगति हुई. उन्होंने कहा कि पहले परियोजनाओं को संसाधनों, भूमि या समय की स्पष्टता के बिना घोषित किया गया था. पश्चिम बंगाल में एक परियोजना है जो पिछले 45 वर्षों से लंबित है. हम राज्य सरकार से भूमि उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध कर रहे हैं ताकि हम खर्च कर सकें. पश्चिम बंगाल में परियोजनाओं को पूरा करने में कई स्थानीय मुद्दे हैं जो परियोजनाओं के कार्यान्वयन को रोकते हैं.

यह भी पढ़ें-मोदी MSP को कानूनी हैसियत दिलवाना चाहते थे, पर अब चुप्पी साध ली : हरसिमरत कौर

बंगाल में चल रही 53 परियोजनाएं

भारतीय रेलवे वर्तमान में पश्चिम बंगाल में 53 परियोजनाओं पर काम कर रहा है. जिसमें 16 नई लाइनें शामिल हैं. जो एक लागत पर 1,538 किमी की लंबाई को कवर करती हैं. 20117 करोड़ रुपये की लागत से चार गेज परिवर्तन परियोजना, 7,993 करोड़ रुपये की लागत से 1200 किमी की लंबाई को कवर करने वाली और 33 दोहरीकरण परियोजनाओं के लिए 20165 रुपये की लागत से 1725 किलोमीटर की लंबाई को कवर करती है.

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