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भारतीय दल के पहले जत्थे के आगमन के साथ अंटार्कटिका के लिए 41वें अभियान की शुरुआत - अंटार्कटिका

इस 41वें अभियान के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं. पहले कार्यक्रम में भारती स्टेशन पर ‘अमेरी आइस शेल्फ’ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है. इससे अतीत में भारत और अंटार्कटिका के बीच की कड़ी का पता लगाने में मदद मिलेगी.

अंटार्कटिका के लिए 41वें अभियान की शुरुआत
अंटार्कटिका के लिए 41वें अभियान की शुरुआत
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Published : Nov 16, 2021, 6:30 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय दल के पहले जत्थे के पहुंचने के साथ अंटार्कटिका के लिए 41वें वैज्ञानिक खोज अभियान की शुरुआत हो गई है.

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के मुताबिक 23 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों का पहला जत्था पिछले सप्ताह भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन मैत्री पहुंचा. चार अन्य जत्थे जनवरी 2022 के मध्य तक पोत एमवी वैसिलिय-गोलोवनिन और वायु सेवा के जरिए अंटार्कटिका पहुचेंगे.

विज्ञप्ति के मुताबिक इस 41वें अभियान के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं. पहले कार्यक्रम में भारती स्टेशन पर ‘अमेरी आइस शेल्फ’ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है. इससे अतीत में भारत और अंटार्कटिका के बीच की कड़ी का पता लगाने में मदद मिलेगी.

दूसरे कार्यक्रम में टोही सर्वेक्षण और मैत्री के पास 500 मीटर आइस कोर की ड्रिलिंग के लिए प्रारंभिक कार्य शामिल है. यह पिछले 10,000 वर्षों से एक ही जलवायु संग्रह से अंटार्कटिक जलवायु, पश्चिमी हवाओं, समुद्री-बर्फ और ग्रीनहाउस गैसों की समझ में सुधार करने में मदद करेगा.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: भारतीय दल के पहले जत्थे के पहुंचने के साथ अंटार्कटिका के लिए 41वें वैज्ञानिक खोज अभियान की शुरुआत हो गई है.

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के मुताबिक 23 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों का पहला जत्था पिछले सप्ताह भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन मैत्री पहुंचा. चार अन्य जत्थे जनवरी 2022 के मध्य तक पोत एमवी वैसिलिय-गोलोवनिन और वायु सेवा के जरिए अंटार्कटिका पहुचेंगे.

विज्ञप्ति के मुताबिक इस 41वें अभियान के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं. पहले कार्यक्रम में भारती स्टेशन पर ‘अमेरी आइस शेल्फ’ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है. इससे अतीत में भारत और अंटार्कटिका के बीच की कड़ी का पता लगाने में मदद मिलेगी.

दूसरे कार्यक्रम में टोही सर्वेक्षण और मैत्री के पास 500 मीटर आइस कोर की ड्रिलिंग के लिए प्रारंभिक कार्य शामिल है. यह पिछले 10,000 वर्षों से एक ही जलवायु संग्रह से अंटार्कटिक जलवायु, पश्चिमी हवाओं, समुद्री-बर्फ और ग्रीनहाउस गैसों की समझ में सुधार करने में मदद करेगा.

पीटीआई-भाषा

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