इंदौर : शहर में आवारा घुमने वाले स्ट्रीट डॉग के बारे में आप क्या सोचते हैं, अगर ये सवाल कोई करता है, तो ज्यादातर लोग यही जवाब देते हैं, कि वो गली मोहल्लों के इंसानों के लिए खतरा बने हुए हैं. कुत्तों के काटने की अक्सर घटनाएं भी सामने आती रहती हैं. नगर निगम की टीम कुत्तों को शहरों से पकड़कर जंगलों में भी छोड़ती हैं. लेकिन इस परेशानी का आज तक कोई हल नहीं निकल पाया है. वहीं एक छोटी सी मुहिम ने इस परेशानी को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. आज 40 स्ट्रीट डॉगों के साथ पूरी कॉलोनी के लोग बेहद खुश हैं.
प्यार की भाषा समझते हैं स्ट्रीट डॉग
क्या आपने कभी सोचा है, कि स्ट्रीट डॉग की भी कुछ जरूरतें हैं, जो खुद उसे पूरा नहीं कर सकते, उनकी भी कई जरूरतें होती हैं, खाना, पानी और रहने के लिए कोई जगह, जब जरूरतें पूरी नहीं होती हैं, तो मजबूरन वो क्या करें, लेकिन कुछ इंसान ऐसे हैं, जिन्हें यही स्ट्रीट डॉग प्यार करते हैं, उन्हें मारने पीटने के बावजूद उन्हें नहीं काटते, बल्कि उनसे प्यार करते हैं.
वंदना जैन ने बदली स्ट्रीट डॉग की जिन्दगी
श्रीनगर कॉलोनी में रहने वाली और स्ट्रीट डॉग को सहारा देने वाली वंदना जैन ने कॉलोनी में वृक्षारोपण का अभियान चलाया था, इस अभियान के दौरान उनकी मुलाकात मोहल्ले के स्ट्रीट डॉग से हुई, इसके बाद वंदना जैन ने श्वानों का जीवन भी बदलने का सोचा और अपने अभियान की शुरुआत कर दी, शुरुआती तौर पर मोहल्ले के श्वानों के लिए पीने का पानी, खाने की व्यवस्था की गई, ठंड को देखते हुए श्वानों के बिस्तर भी बनवाए गए और इन्हें श्वानों के नाम पर ही रखा गया. वंदना की इस मुहिम को देखकर रहवासी भी बेहद खुश हैं. उनका मानना है, कि अब स्ट्रीट डॉग उन्हें परेशान नहीं करते, बल्कि उनकी सुरक्षा करते हैं.
पराली से तैयार होता है डॉग का बिस्तर
स्ट्रीट डॉग का बिछौना तैयार करने के लिए खेतों में किसानों के द्वारा जलाई जा रही पराली का उपयोग किया जाता है, पराली की समस्या से पूरा देश परेशान है, लेकिन यहां पर उसका उपयोग श्वानों के बिछौने के लिए किया जाता है, इसी पराली से स्ट्रीट डॉग के बिस्तर तैयार किए जाते हैं. जिसे बनाने में करीब डेढ़ सौ रुपये का खर्च आता है. जिसे निगम के कर्मचारी तैयार करते हैं.
कॉलोनी में कम हुआ क्राइम रेट
इंदौर के श्रीनगर कॉलोनी में श्वानों के साथ अच्छा व्यवहार रखने से कॉलोनी को भी काफी फायदा हुआ है, श्वानों को खाने, पीने की व्यवस्था देने के बाद और उनसे दोस्ताना व्यवहार करने के बाद कॉलोनी में क्राइम रेट पूरी तरह से कम हो गया है. अब श्वान दिन में इन्हीं बिछौनों पर आराम करते हैं, और रात को जागकर मोहल्ले की रखवाली भी करते हैं, किसी भी प्रकार की गतिविधि होने पर श्वान लोगों को शोर मचा सचेत भी करते हैं. ऐसे में चोरी या डकैती जैसी घटना इस मोहल्ले में नहीं होती है.
वंदना ने समझी बेजुबान आंसुओं की भाषा
इस अभियान के चलते पूरे मोहल्ले में आवारा कुत्तों की समस्या से निजात तो मिला ही, साथ ही. मोहल्ले के लोगों ने स्ट्रीट डॉग को अपना साथी भी बना लिया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात में इस बात का जिक्र किया था, कि भारतीय नस्ल के श्वानों की देखरेख की जाए और उन बेजुबान श्वानों को पाला जाए. तो उससे अच्छा वफादार कोई नहीं हो सकता, बस यहीं से यह मुहिम और भी तेज हो गई.
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बदली कॉलोनी की तस्वीर
श्रीनगर कॉलोनी से शुरू हुई मुहिम ने जहां आवारा डॉग की जिन्दगी बदल दी, वहीं कॉलोनी की भी तस्वीर बदल गई है, इस अभियान की पूरे देश चर्चा है. और हर कोई इस नई मुहिम की तारीफ कर रहा है. यहीं नहीं सोशल मीडिया पर भी इस मुहिम की जमकर तारिफ की जा रही है. इस मुहिम को देखकर लोगों का आवारा डॉग के प्रति प्यार भी बढ़ता नजर आ रहा है.