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जम्मू-कश्मीर में 333 ग्लेशियर झील, इनमें 65 खतरनाक - Kashmir University

कश्मीर विश्वविद्यालय के भू-सूचना विज्ञान विभाग के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ. इरफान रशीद ने कहा कि हिंदू कुश, काराक्रम, हिमालय और तिब्बती पठार में ग्लेशियरों की संख्या सबसे अधिक है.

जम्मू-कश्मीर में 333 ग्लेशियर झील
जम्मू-कश्मीर में 333 ग्लेशियर झील
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Published : Jun 8, 2022, 10:09 AM IST

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में ग्लेशियर झीलें खतरनाक स्तर तक बढ़ गई हैं, जिससे इन ग्लेशियरों के आसपास रहने वाली आबादी को खतरा है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत, चीन और नेपाल में ग्लेशियर झीलों और जलाशयों में 40% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है. जो एक गंभीर खतरा है. ग्लेशियरों के पिघलने से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, बिहार और हिमाचल प्रदेश को खतरा है.

कश्मीर विश्वविद्यालय के भू-सूचना विज्ञान विभाग के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर समन्वयक डॉ. इरफान राशिद ने ईटीवी भारत को बताया कि हिंदू कुश, काराक्रम, हिमालय और तिब्बती पठार में लगभग 18,000 ग्लेशियर और झीलें हैं, जिन्हें तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है. डॉ. इरफान ने बदलते मौसम के आलोक में समझाया कि ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते. हालांकि, पर्यावरण के अनुकूल उपाय किए जा सकते हैं, उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को हिमालयी क्षेत्र में अपरंपरागत साधनों के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. जिसमें सौर ऊर्जा या सीएनजी से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल एक पहल हो सकती है.

पढ़ें: धनबाद आईआईटी आईएसएम का शोध, हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में पिघलते ग्लेशियर पर जताई चिंता

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक कार्य करने की उनकी क्षमता का आकलन कर पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटकों के प्रवाह को सुगम बनाया जा सकता है. ऊर्जा की जरूरतें या ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों को पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि बादल फटने जैसी भारी बारिश भी ग्लेशियर झील में बाढ़ आने का कारण बन सकती है. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बादल फटने की आवृत्ति बढ़ी है. यह झीलों के आसपास के गांवों और क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के लिए एक बड़ा खतरा हो सकती है.

उन्होंने कहा कि विश्वसनीय उपग्रह डेटा के अवलोकन के आधार पर नई ग्लेशियर झीलों के निर्माण और क्षेत्र में मौजूदा झीलों के विस्तार का संकेत देते हैं. ग्लेशियर मॉडलिंग के अध्ययन से पता चलता है कि ये ग्लेशियर जम्मू और कश्मीर में बनी ग्लेशियर झीलें हैं. डॉ. इरफान ने कहा कि हिमनदों में एक स्नूज होता है जिसमें से पानी निकलता है. इसे प्रो-ग्लेशियर झीलों नामक जल रूपों में डाल देता है. ये झीलें लगातार बढ़ रही हैं. झीलों के बनने के साथ ही पानी की मात्रा में वृद्धि जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में 333 ग्लेशियर झीलों की पहचान की गई है, जिनमें से लगभग 65 ग्लेशियर संभावित रूप से खतरनाक हैं.

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में ग्लेशियर झीलें खतरनाक स्तर तक बढ़ गई हैं, जिससे इन ग्लेशियरों के आसपास रहने वाली आबादी को खतरा है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत, चीन और नेपाल में ग्लेशियर झीलों और जलाशयों में 40% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है. जो एक गंभीर खतरा है. ग्लेशियरों के पिघलने से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, बिहार और हिमाचल प्रदेश को खतरा है.

कश्मीर विश्वविद्यालय के भू-सूचना विज्ञान विभाग के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर समन्वयक डॉ. इरफान राशिद ने ईटीवी भारत को बताया कि हिंदू कुश, काराक्रम, हिमालय और तिब्बती पठार में लगभग 18,000 ग्लेशियर और झीलें हैं, जिन्हें तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है. डॉ. इरफान ने बदलते मौसम के आलोक में समझाया कि ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते. हालांकि, पर्यावरण के अनुकूल उपाय किए जा सकते हैं, उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को हिमालयी क्षेत्र में अपरंपरागत साधनों के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. जिसमें सौर ऊर्जा या सीएनजी से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल एक पहल हो सकती है.

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उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक कार्य करने की उनकी क्षमता का आकलन कर पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटकों के प्रवाह को सुगम बनाया जा सकता है. ऊर्जा की जरूरतें या ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों को पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि बादल फटने जैसी भारी बारिश भी ग्लेशियर झील में बाढ़ आने का कारण बन सकती है. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बादल फटने की आवृत्ति बढ़ी है. यह झीलों के आसपास के गांवों और क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के लिए एक बड़ा खतरा हो सकती है.

उन्होंने कहा कि विश्वसनीय उपग्रह डेटा के अवलोकन के आधार पर नई ग्लेशियर झीलों के निर्माण और क्षेत्र में मौजूदा झीलों के विस्तार का संकेत देते हैं. ग्लेशियर मॉडलिंग के अध्ययन से पता चलता है कि ये ग्लेशियर जम्मू और कश्मीर में बनी ग्लेशियर झीलें हैं. डॉ. इरफान ने कहा कि हिमनदों में एक स्नूज होता है जिसमें से पानी निकलता है. इसे प्रो-ग्लेशियर झीलों नामक जल रूपों में डाल देता है. ये झीलें लगातार बढ़ रही हैं. झीलों के बनने के साथ ही पानी की मात्रा में वृद्धि जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में 333 ग्लेशियर झीलों की पहचान की गई है, जिनमें से लगभग 65 ग्लेशियर संभावित रूप से खतरनाक हैं.

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