नई दिल्ली : कहने को तो फरवरी का महीना साल का सबसे छोटा महीना है, लेकिन यह बहुत बड़ी-बड़ी घटनाओं के साथ इतिहास में दर्ज है. 26 फरवरी की बात करें तो दो बरस पहले की याद सबके जहन में ताजा होगी, जब भारतीय वायु सेना के विमानों ने नियंत्रण रेखा को पार कर पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद द्वारा चलाए जा रहे आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया था.
इससे पहले 14 फरवरी को पुलवामा में भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर किए गए कायराना आत्मघाती बम हमले ने पूरे देश का सीना छलनी कर दिया था. हमले में केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल के 46 जवान शहीद हो गए थे और पाकिस्तान के इस्लामी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने बड़ी बेहयाई से इस हमले की जिम्मेदारी ली.
बता दें, आज ही के दिन भारतीय वायुसेना के वीर जवानों ने पाकिस्तान की धरती में घुस कर आतंकवादियों का सफाया किया था और पाकिस्तान को इसकी भनक भी नहीं लगी थी. आज 26 फरवरी को उस बालाकोट एयर स्ट्राइक के दो साल पूरे हो गए, जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुस कर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर बमबारी कर उसे तबाह कर दिया था. 14 फरवरी को हुए जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी की देर रात इसका बदला लिया था और पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश के आतंकी कैंप को नेस्तानबूद कर दिया था. भारतीय वायुसेना के इस एयर स्ट्राइक में जैश के करीब 250 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया था.
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दरअसल, पाकिस्तान में बालाकोट एयर स्ट्राइक पुलवामा आतंकी हमले का बदला था. 14 फरवरी को जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था. सामान्य दिन की तरह ही उस दिन भी सीआरपीएफ के वाहनों का काफिला अपनी धुन में जा रहा था. तभी एक कार ने सड़क की दूसरी तरफ से आकर इस काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्कर मार दी. इसके साथ ही एक जबरदस्त धमाका हुआ. यह आत्मघाती हमला इतना बड़ा था कि मौके पर ही सीआरपीएफ के करीब 42 जवान शहीद हो गए. पुलवामा आतंकी हमले से पूरे देश में रोष पैदा हो गया.