मुंबई: वर्धा जिले में अपने 25 वर्षीय पड़ोसी द्वारा कथित रूप से दुष्कर्म की शिकार 17 वर्षीय लड़की ने अपने 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया है. कोर्ट ने हिंगनघाट सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को आदेश दिया है कि वे तुरंत पीड़िता की जांच करें और कल उसकी स्वास्थ्य रिपोर्ट पेश करें. साथ ही जिला स्वास्थ्य अधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है.
बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति अभय मंत्री और न्यायमूर्ति अतुल चंदुरकर ने कहा है कि रिपोर्ट देखने के बाद निर्णय लिया जाएगा. छह महीने पहले, पीड़िता के साथ उसके पड़ोसी ने कथित तौर पर बलात्कार किया, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई. उसके रिश्तेदारों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और पोस्को अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.
पीड़िता को हिंगनघाट सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और रिश्तेदारों ने उसका गर्भपात कराने की मांग की. लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि हाईकोर्ट की अनुमति के बिना गर्भपात नहीं किया जा सकता. डॉक्टरों की सलाह पर परिजनों ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच का दरवाजा खटखटाया. अभियोजकों ने तर्क दिया कि पीड़िता अपने पड़ोसी द्वारा बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई थी.
उसे हिंगनघाट सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल के डॉक्टरों ने जब उसकी जांच की तो वह 24 सप्ताह की गर्भवती पाई गई. पीड़िता ने कोर्ट से गर्भपात कराने की इजाजत मांगी. वकील ने आगे कहा कि पीड़िता की हालत गंभीर है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि डॉक्टरों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही कोई उचित निर्णय लिया जा सकता है.
जस्टिस अतुल चंदुरकर और अभय मंत्री की पीठ ने हिंगनघाट सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों को पीड़िता की तुरंत जांच करने और कल अदालत को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया. सामाजिक कार्यकर्ता वर्षा विद्या विलास ने कहा कि 'यह नाबालिग से अत्याचार का मामला है. ऐसे अपराधों के खिलाफ समाज में जागरूकता पैदा करना जरूरी है. साथ ही पुलिस और सतर्कता समिति को इन घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.'