नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में सूचित किया कि साल 2019 में 523, 2020 में 785 और 2021 में 1,050 के साथ पिछले तीन वर्षों में देश में बाल विवाह के 2,358 मामले सामने आए हैं. यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल अधिकारिता मंत्री स्मृति ईरानी ने केरल कांग्रेस (एम) के सांसद जोस के मणि के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए साझा की. उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या सरकार के पास पिछले तीन वर्षों में देश में हुए बाल विवाहों की संख्या और इसके राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के आंकड़ों का विवरण है?
पिछले तीन वर्षों में देश में हुए ऐसे मामलों का सांख्यिकीय विश्लेषण देते हुए, जिसके अनुसार पिछले तीन वर्षों में 2021 में 273, 2020 में 184 और 2019 में 111 ऐसे मामलों के साथ कर्नाटक सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद असम में 408 कुल मामलों में 2021 के 155, 2020 के 138 और 2019 के 115 मामले, तमिलनाडु में 292 कुल मामलों के साथ 2021 में 169, 2020 में 77, 2019 में 46 मामले और पश्चिम बंगाल 271 कुल मामलों के साथ 2021 में 105, 2020 में 98 और 2019 में 68 मामले दर्ज हुए हैं.
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आंकड़ों के अनुसार मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लद्दाख, लक्षद्वीप और अरुणाचल प्रदेश में बाल विवाह के शून्य मामले दर्ज किए गए. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान बाल विवाह की घटनाओं में वृद्धि देखी है, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 'मामलों की उच्च रिपोर्टिंग बाल विवाह के मामलों की संख्या में वृद्धि को जरूरी नहीं दर्शाती है, लेकिन ऐसा मंत्रालय द्वारा लागू बेटी बचाओ-बेटी पढाओ (बीबीबीपी), महिला हेल्पलाइन (181) और चाइल्डलाइन (1098) जैसी पहलों और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा कानून के बेहतर प्रवर्तन के कारण ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए नागरिकों के बीच बढ़ती जागरूकता के कारण हो सकता है.'