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संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा पर नियंत्रण जरूरी

सशस्त्र संघर्ष से कभी भी किसी राष्ट्र का भला नहीं हाेता. हार और जीत का यह खेल मानव जाति के लिए अभिशाप से कम नहीं. ऐसे संघर्षाें में समाज के कमजोर वर्ग विशेषकर महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हाेती हैं. इससे महिलाओं और बच्चाें काे बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, पढ़िये इस पर खास रिपाेर्ट....

संघर्ष
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Published : Jun 20, 2021, 2:22 PM IST

हैदराबाद : सशस्त्र संघर्ष में अनगिनत हताहत हाेते हैं, लेकिन कोई विजेता नहीं हाेता. इसे दुनिया के हर कोनों में देखा जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2015 के रिजोलूशन (resolution) ने 19 जून को बलात्कार, यौन दासता, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन गर्भधारण और जबरन नसबंदी की निंदा करने और इसे समाप्त करने का आह्वान करने के लिए एक दिन के रूप में घोषित किया है.

वर्ष 2020 पर तैयार की गई मार्च की एक रिपोर्ट में पाया गया कि COVID-19 के परिणामस्वरूप विस्थापन और यौन हिंसा, शोषण और तस्करी के बढ़े हुए जोखिम से सबसे ज्यादा महिलाएं और लड़कियां प्रभावित हुई हैं. काेराेना महामारी ने इस तरह के मामलाें की रोकथाम, सुरक्षा सेवाओं के प्रयासों को भी बाधित किया है.

परिभाषा

'संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा' शब्द बलात्कार, यौन दासता, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन गर्भावस्था, जबरन गर्भपात, जबरन नसबंदी, जबरन विवाह और महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों या लड़कों के खिलाफ यौन हिंसा के किसी भी रूप काे दर्शाता है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संघर्ष से जुड़ा हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक संघर्ष के दौरान रिपोर्ट किए गए रेप के मामलों में 10 से 20 केस में कोई प्रमाण नहीं हैं.

संयुक्त राष्ट्र के संकल्प (Resolutions)

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly)(ए / आरईएस / 69/293) ने प्रत्येक वर्ष 19 जून को संघर्ष में यौन हिंसा (sexual violence in conflict) के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day) घोषित किया, ताकि इसे समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. यह संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा, दुनिया भर में यौन हिंसा के पीड़ितों को सम्मानित करने का एक जरिया है साथ उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने इन अपराधों के उन्मूलन के लिए साहसपूर्वक अपना जीवन समर्पित कर दिया और अपनी जान गंवा दी. हिंसक उग्रवाद में वृद्धि के जवाब में सुरक्षा परिषद ने संकल्प (एस/आरईएस/2331 (2016) को अपनाया, जो तस्करी, यौन हिंसा, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच संबंध को बताता है. संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा से बचे लोगों पर COVID-19 का प्रभाव भी देखने काे मिला है. COVID-19 रोकथाम उपायों ने याैन-हिंसा और इससे जुड़े अन्य केस के राेकथाम की प्रक्रिया काे जटिल बना दिया है.

इसे भी पढ़ें : बेटे ने खेला खूनी खेल, मां, पिता, बहन और दादी की हत्या कर घर में ही दफनाया

हैदराबाद : सशस्त्र संघर्ष में अनगिनत हताहत हाेते हैं, लेकिन कोई विजेता नहीं हाेता. इसे दुनिया के हर कोनों में देखा जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2015 के रिजोलूशन (resolution) ने 19 जून को बलात्कार, यौन दासता, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन गर्भधारण और जबरन नसबंदी की निंदा करने और इसे समाप्त करने का आह्वान करने के लिए एक दिन के रूप में घोषित किया है.

वर्ष 2020 पर तैयार की गई मार्च की एक रिपोर्ट में पाया गया कि COVID-19 के परिणामस्वरूप विस्थापन और यौन हिंसा, शोषण और तस्करी के बढ़े हुए जोखिम से सबसे ज्यादा महिलाएं और लड़कियां प्रभावित हुई हैं. काेराेना महामारी ने इस तरह के मामलाें की रोकथाम, सुरक्षा सेवाओं के प्रयासों को भी बाधित किया है.

परिभाषा

'संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा' शब्द बलात्कार, यौन दासता, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन गर्भावस्था, जबरन गर्भपात, जबरन नसबंदी, जबरन विवाह और महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों या लड़कों के खिलाफ यौन हिंसा के किसी भी रूप काे दर्शाता है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संघर्ष से जुड़ा हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक संघर्ष के दौरान रिपोर्ट किए गए रेप के मामलों में 10 से 20 केस में कोई प्रमाण नहीं हैं.

संयुक्त राष्ट्र के संकल्प (Resolutions)

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly)(ए / आरईएस / 69/293) ने प्रत्येक वर्ष 19 जून को संघर्ष में यौन हिंसा (sexual violence in conflict) के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day) घोषित किया, ताकि इसे समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. यह संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा, दुनिया भर में यौन हिंसा के पीड़ितों को सम्मानित करने का एक जरिया है साथ उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने इन अपराधों के उन्मूलन के लिए साहसपूर्वक अपना जीवन समर्पित कर दिया और अपनी जान गंवा दी. हिंसक उग्रवाद में वृद्धि के जवाब में सुरक्षा परिषद ने संकल्प (एस/आरईएस/2331 (2016) को अपनाया, जो तस्करी, यौन हिंसा, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच संबंध को बताता है. संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा से बचे लोगों पर COVID-19 का प्रभाव भी देखने काे मिला है. COVID-19 रोकथाम उपायों ने याैन-हिंसा और इससे जुड़े अन्य केस के राेकथाम की प्रक्रिया काे जटिल बना दिया है.

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