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मध्य प्रदेश: नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे 17 आरोपी गिरफ्तार - black marketing of drugs so far

इंदौरः विजय नगर थाना पुलिस ने कोरोना के नकली इंजेक्शन बाजार में बेचने के आरोप में एक साथ 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. विजय नगर थाना पुलिस अब तक कुल 17 आरोपियों को कालाबाजारी करने के आरोप में पकड़ चुकी है.

accused arrested for black marketing of remdesivir
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी
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Published : May 8, 2021, 2:03 PM IST

इंदौरः पुलिस लगातार कोरोना मरीजों को लगने वाले जीवन रक्षक इंजेक्शन और दवाइयों की काला बाजारी करने वाले आरोपियों की धरपकड़ कर रही है. इसी कड़ी में विजय नगर थाना पुलिस ने एक साथ 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. विजय नगर थाना पुलिस अब तक कुल 17 आरोपियों को कालाबाजारी करने के आरोप में पकड़ चुकी है. पकड़े गए आरोपियों से पुलिस बारीकी से पूछताछ कर रही है. प्रारंभिक पूछताछ में यह बात भी सामने आई है. जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने तकरीबन एक हजार से ज्यादा नकली इंजेक्शन बाजार में बेच चुके हैं.

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

एक हजार से ज्यादा खपा दिए इंजेक्शन

विजय नगर थाना पुलिस ने एक साथ 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रीवा का रहने वाला सुनील मिश्रा नाम का व्यक्ति गुजरात के मोरबी में एक नकली फैक्ट्री बनाकर वहां पर रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार कर रहा था. सुनील मिश्रा के संपर्क में इंदौर की गैंग के सदस्य धीरज और दिनेश भी पहले से ही संपर्क में थे. सुनील मिश्रा ने इन दोनों के माध्यम से इंदौर में तकरीबन एक हजार से अधिक नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर में खपा दिए. इसी तरह से सुनील मिश्रा ने जबलपुर और प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर भी अपने गिरोह से जुड़े हुए लोग तैयार कर लिए थे. इन्हीं की मदद से उसने अलग-अलग शहरों में कई रेमडेसिविर इंजेक्शन खपा दिया हैं.

पढ़ेंः सब्जी मंडी शिफ्ट कराने गई पुलिस टीम पर हमला, देंखे वीडियो

हर इंजेक्शन की कीमत जरूरतमंद की डिमांड पर होती थी तय

प्रारंभिक पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि अभी तक इन्होंने जितने भी नकली इंजेक्शन बाजार में खपाये गए. उन इंजेक्शन को मनमाने दाम पर पीड़ित तक पहुंचाए जाते थे. यह अपने शिकार को सोशल मीडिया के माध्यम से ढूंढते थे और फिर मनमाने ढंग से उसकी जरूरत के मुताबिक उसे यह इंजेक्शन दे देते थे. लेकिन पुलिस पूछताछ में यह बात सामने आई कि प्रत्येक इंजेक्शन को यह लोग 25 से 30 हजार व अधिक रुपयों में बेच चुके हैं. जिसके कारण उन्होंने अभी तक लाखों रुपया कमा लिया है. इसी के साथ पुलिस लगातार गुजरात पुलिस के संपर्क में है और मुख्य आरोपी सुनील मिश्रा को इंदौर लाने की कोशिश करने में जुटी है. पुलिस का अनुमान है कि जल्द ही उसे प्रोडक्शन वारंट पर इंदौर लाया जाएगा.

रेमडेसिविर के साथ अन्य दवाइयों की कालाबाजरी

पुलिस के आला अधिकारियों का यह भी कहना है कि अभी तक रेमडेसिविर इंजेक्शन की ही कालाबाजारी हो रही थी. लेकिन अब इसके अलावा फेबि फ्लू, टोपा के साथ ही अन्य दवाइयों की भी कालाबाजारी शुरू हो चुकी है और इसके लिए भी पुलिस ने एक अलग तरह की योजना बनाई है. पुलिस का अनुमान है कि यदि आगे कोई भी कालाबाजारी की जाएगी और उन पर पुलिस की निगाह बनी हुई है और जल्द ही उन लोगों को भी गिरफ्तार किया जाएगा.

मध्यप्रदेश के तीन शहरों में सप्लाई की जानकारी

पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में यह भी जानकारी दी है कि उन्होंने अभी तक इंदौर, जबलपुर और देवास में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ ही टोसि की भी सप्लाई की हुई है. फिलहाल पुलिस पकड़े गए आरोपियों से काफी सख्ती से पूछताछ करने में जुटी है और पुलिस का अनुमान है कि जल्दी इस पूरे मामले में आरोपियों के द्वारा कुछ और अहम जानकारियां भी दी जा सकती है. इसी के साथ पुलिस को यह भी अनुमान है कि जिस तरह से इन्होंने इंदौर, देवास और जबलपुर में नकली इंजेक्शन की सप्लाई की है, तो उसी तर्ज पर उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में भी इसकी सप्लाई की होगी.

नमक और ग्लूकोज के पानी से तैयार कर रहे थे नकली इंजेक्शन

पकड़े गए आरोपियों से जब सख्ती से पूछताछ की थी वह नकली इंजेक्शन किस तरह से तैयार करते थे तो उन्होंने बताया कि गुजरात का रहने वाला सुनील मिश्रा इन नकली इंजेक्शन को उसकी फैक्ट्री पर तैयार करता था और इसमें वह ग्लूकोस का पानी और नमक मिलाकर तैयार करता था. नमक और ग्लूकोज का पानी डिब्बी में भरे होने के कारण कोई भी व्यक्ति आसानी से इस पर विश्वास कर लेता था और फिर इन्हें असली तरह की दिखने वाली इंजेक्शन की डिब्बियों में भरकर बेच दिया करते थे. लेकिन जब खरीदने के बाद डॉक्टर को इस इंजेक्शन को दिया जाता तो वह देखते ही इसे समझ जाता था और फरियादी को नकली इंजेक्शन की जानकारी लगती थी.

पहचान करवाने के लिए लेकर आई गुजरात पुलिस

जैसे ही इस रैकेट की जानकारी पुलिस को लगी पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क किया और गुजरात पुलिस ने पिछले दिनों कार्रवाई करते हुए सुनील मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया था. इंदौर के रहने वाले असीम भाले और धीरज सुनील मिश्रा के संपर्क में थे लेकिन फोन के माध्यम से ही दोनों सुनील मिश्रा के संपर्क में थे और पुलिस पूछताछ में जैसे ही उन्होंने सुनील मिश्रा की जानकारी दी तो इंदौर पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क किया. उसके बाद गुजरात पुलिस पहचान करवाने के लिए सुनील मिश्रा को मात्र कुछ घंटो के लिए इंदौर लेकर पहुंची और पहचान करवाने के बाद उसे वापस अपने साथ गुजरात लेकर गई. आने वाले दिनों में इंदौर पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर इंदौर लेकर आएगी.

गुजरात में नकली इंजेक्शन का सप्लाई

फिलहाल प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि सुनील मिश्रा इंदौर में इन लोगों से जुड़ा हुआ था लेकिन वह गुजरात के विभिन्न शहरों में इन नकली इंजेक्शन को बेच रहा था और उसी कड़ी में गुजरात पुलिस ने भी वहां पर कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार किया है. सुनील मिश्रा का गुजरात के अधिकतर शहरों में काफी होल्ड है और उसने वहां पर कई नकली इंजेक्शन खपा दिये हैं. इसी के साथ जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की खपत बढ़ी तो उन्होंने टोसि इंजेक्शन को भी नकली बनाकर बेच दिया प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में बड़ी मात्रा में इसने नकली इंजेक्शन सप्लाई किये हैं.

इंदौरः पुलिस लगातार कोरोना मरीजों को लगने वाले जीवन रक्षक इंजेक्शन और दवाइयों की काला बाजारी करने वाले आरोपियों की धरपकड़ कर रही है. इसी कड़ी में विजय नगर थाना पुलिस ने एक साथ 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. विजय नगर थाना पुलिस अब तक कुल 17 आरोपियों को कालाबाजारी करने के आरोप में पकड़ चुकी है. पकड़े गए आरोपियों से पुलिस बारीकी से पूछताछ कर रही है. प्रारंभिक पूछताछ में यह बात भी सामने आई है. जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने तकरीबन एक हजार से ज्यादा नकली इंजेक्शन बाजार में बेच चुके हैं.

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

एक हजार से ज्यादा खपा दिए इंजेक्शन

विजय नगर थाना पुलिस ने एक साथ 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रीवा का रहने वाला सुनील मिश्रा नाम का व्यक्ति गुजरात के मोरबी में एक नकली फैक्ट्री बनाकर वहां पर रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार कर रहा था. सुनील मिश्रा के संपर्क में इंदौर की गैंग के सदस्य धीरज और दिनेश भी पहले से ही संपर्क में थे. सुनील मिश्रा ने इन दोनों के माध्यम से इंदौर में तकरीबन एक हजार से अधिक नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर में खपा दिए. इसी तरह से सुनील मिश्रा ने जबलपुर और प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर भी अपने गिरोह से जुड़े हुए लोग तैयार कर लिए थे. इन्हीं की मदद से उसने अलग-अलग शहरों में कई रेमडेसिविर इंजेक्शन खपा दिया हैं.

पढ़ेंः सब्जी मंडी शिफ्ट कराने गई पुलिस टीम पर हमला, देंखे वीडियो

हर इंजेक्शन की कीमत जरूरतमंद की डिमांड पर होती थी तय

प्रारंभिक पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि अभी तक इन्होंने जितने भी नकली इंजेक्शन बाजार में खपाये गए. उन इंजेक्शन को मनमाने दाम पर पीड़ित तक पहुंचाए जाते थे. यह अपने शिकार को सोशल मीडिया के माध्यम से ढूंढते थे और फिर मनमाने ढंग से उसकी जरूरत के मुताबिक उसे यह इंजेक्शन दे देते थे. लेकिन पुलिस पूछताछ में यह बात सामने आई कि प्रत्येक इंजेक्शन को यह लोग 25 से 30 हजार व अधिक रुपयों में बेच चुके हैं. जिसके कारण उन्होंने अभी तक लाखों रुपया कमा लिया है. इसी के साथ पुलिस लगातार गुजरात पुलिस के संपर्क में है और मुख्य आरोपी सुनील मिश्रा को इंदौर लाने की कोशिश करने में जुटी है. पुलिस का अनुमान है कि जल्द ही उसे प्रोडक्शन वारंट पर इंदौर लाया जाएगा.

रेमडेसिविर के साथ अन्य दवाइयों की कालाबाजरी

पुलिस के आला अधिकारियों का यह भी कहना है कि अभी तक रेमडेसिविर इंजेक्शन की ही कालाबाजारी हो रही थी. लेकिन अब इसके अलावा फेबि फ्लू, टोपा के साथ ही अन्य दवाइयों की भी कालाबाजारी शुरू हो चुकी है और इसके लिए भी पुलिस ने एक अलग तरह की योजना बनाई है. पुलिस का अनुमान है कि यदि आगे कोई भी कालाबाजारी की जाएगी और उन पर पुलिस की निगाह बनी हुई है और जल्द ही उन लोगों को भी गिरफ्तार किया जाएगा.

मध्यप्रदेश के तीन शहरों में सप्लाई की जानकारी

पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में यह भी जानकारी दी है कि उन्होंने अभी तक इंदौर, जबलपुर और देवास में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ ही टोसि की भी सप्लाई की हुई है. फिलहाल पुलिस पकड़े गए आरोपियों से काफी सख्ती से पूछताछ करने में जुटी है और पुलिस का अनुमान है कि जल्दी इस पूरे मामले में आरोपियों के द्वारा कुछ और अहम जानकारियां भी दी जा सकती है. इसी के साथ पुलिस को यह भी अनुमान है कि जिस तरह से इन्होंने इंदौर, देवास और जबलपुर में नकली इंजेक्शन की सप्लाई की है, तो उसी तर्ज पर उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में भी इसकी सप्लाई की होगी.

नमक और ग्लूकोज के पानी से तैयार कर रहे थे नकली इंजेक्शन

पकड़े गए आरोपियों से जब सख्ती से पूछताछ की थी वह नकली इंजेक्शन किस तरह से तैयार करते थे तो उन्होंने बताया कि गुजरात का रहने वाला सुनील मिश्रा इन नकली इंजेक्शन को उसकी फैक्ट्री पर तैयार करता था और इसमें वह ग्लूकोस का पानी और नमक मिलाकर तैयार करता था. नमक और ग्लूकोज का पानी डिब्बी में भरे होने के कारण कोई भी व्यक्ति आसानी से इस पर विश्वास कर लेता था और फिर इन्हें असली तरह की दिखने वाली इंजेक्शन की डिब्बियों में भरकर बेच दिया करते थे. लेकिन जब खरीदने के बाद डॉक्टर को इस इंजेक्शन को दिया जाता तो वह देखते ही इसे समझ जाता था और फरियादी को नकली इंजेक्शन की जानकारी लगती थी.

पहचान करवाने के लिए लेकर आई गुजरात पुलिस

जैसे ही इस रैकेट की जानकारी पुलिस को लगी पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क किया और गुजरात पुलिस ने पिछले दिनों कार्रवाई करते हुए सुनील मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया था. इंदौर के रहने वाले असीम भाले और धीरज सुनील मिश्रा के संपर्क में थे लेकिन फोन के माध्यम से ही दोनों सुनील मिश्रा के संपर्क में थे और पुलिस पूछताछ में जैसे ही उन्होंने सुनील मिश्रा की जानकारी दी तो इंदौर पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क किया. उसके बाद गुजरात पुलिस पहचान करवाने के लिए सुनील मिश्रा को मात्र कुछ घंटो के लिए इंदौर लेकर पहुंची और पहचान करवाने के बाद उसे वापस अपने साथ गुजरात लेकर गई. आने वाले दिनों में इंदौर पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर इंदौर लेकर आएगी.

गुजरात में नकली इंजेक्शन का सप्लाई

फिलहाल प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि सुनील मिश्रा इंदौर में इन लोगों से जुड़ा हुआ था लेकिन वह गुजरात के विभिन्न शहरों में इन नकली इंजेक्शन को बेच रहा था और उसी कड़ी में गुजरात पुलिस ने भी वहां पर कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार किया है. सुनील मिश्रा का गुजरात के अधिकतर शहरों में काफी होल्ड है और उसने वहां पर कई नकली इंजेक्शन खपा दिये हैं. इसी के साथ जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की खपत बढ़ी तो उन्होंने टोसि इंजेक्शन को भी नकली बनाकर बेच दिया प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में बड़ी मात्रा में इसने नकली इंजेक्शन सप्लाई किये हैं.

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