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minority scholarship scam busted : अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में 145 करोड़ का 'घोटाला', फर्जी मिले 53 फीसदी संस्थान, CBI करेगी पूछताछ

अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के मामले में 145 करोड़ का घोटाला पकड़ा गया है.अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जांच में 53 फीसदी संस्थान फर्जी मिले हैं. जांच किए गए 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल पाया गया. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले को जांच के लिए सीबीआई के पास भेज दिया है. जानिए कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला.

Union Minister Smriti Irani
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
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Published : Aug 20, 2023, 5:20 PM IST

नई दिल्ली : अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत सक्रिय लगभग 53 प्रतिशत संस्थान 'फर्जी' पाए गए हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई एक आंतरिक जांच में 830 ऐसे संस्थानों में गहरे भ्रष्टाचार का पता चला, जिससे पिछले 5 वर्षों में 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (
Union Minister Smriti Irani) ने मामले को आगे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास भेज दिया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जानकारी सामने आई है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 10 जुलाई को इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी.

देश में एक लाख 80 हजार अल्पसंख्यक संस्थान : देश भर में करीब 1,80,000 अल्पसंख्यक संस्थान हैं, जिन्हें मंत्रालय की ओर से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत राशि मुहैया कराई जाती है. लाभार्थियों में कक्षा एक से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्र शामिल हैं. यह पहल शैक्षणिक वर्ष 2007-2008 में शुरू की गई थी.

ये है मामला : अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जांच में 34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ शामिल थी. जांच किए गए 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल पाया गया. संस्थानों ने इस कार्यक्रम के लिए फर्जी लाभार्थियों के साथ, हर साल अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का दावा किया था. सूत्रों ने कहा कि गैर-मौजूद या गैर-परिचालन होने के बावजूद, जांच किए गए कई संस्थान राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत होने में कामयाब रहे.

आंकड़े 34 में से 21 राज्यों से आए हैं, जबकि शेष राज्यों में संस्थानों की जांच अभी भी चल रही है.फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है.

रजिस्ट्रेशन से ज्यादा छात्रों को बांटी छात्रवृत्ति : जांच के दौरान कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. केरल के मलप्पुरम में एक बैंक शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियां वितरित कीं, जो छात्रवृत्ति के लिए पात्र अल्पसंख्यक छात्रों की पंजीकृत संख्या से अधिक है.

इसी तरह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में, 5,000 पंजीकृत छात्रों वाले एक कॉलेज ने 7,000 छात्रवृत्ति का दावा किया. यहां सबसे ज्यादा चौकाने वाला मामला ये था कि एक ही अभिभावक का मोबाइल नंबर 22 बच्चों से जुड़ा था. सभी कथित तौर पर नौवीं कक्षा में थे. एक अन्य संस्थान में छात्रावास की अनुपस्थिति के बावजूद, प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति का दावा किया.

असम में एक बैंक शाखा में कथित तौर पर 66,000 लाभार्थी थे, यहां एक मदरसे में जब जांच करने टीम गई तो उसे धमकी दी गई. पंजाब में अल्पसंख्यक छात्रों को स्कूल में नामांकित नहीं होने के बावजूद छात्रवृत्ति मिलती थी.

कहां-कितने संस्थान फर्जी पाए गए

  • छत्तीसगढ़ में सभी 62 संस्थान फर्जी या निष्क्रिय पाए गए.
  • राजस्थान में जांच किए गए 128 संस्थानों में से 99 फर्जी या गैर-परिचालन थे.
  • उत्तर प्रदेश में 44 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए.
  • पश्चिम बंगाल में 39 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए
  • असम में 68 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.
  • कर्नाटक में 64 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए.

830 संस्थानों के खाते फ्रीज : जांच में सामने आया है कि वास्तविक अल्पसंख्यक छात्रों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति पर इन फर्जी संस्थानों द्वारा दावा किया जा रहा था. नोडल अधिकारी और संस्थाएं बिना जमीनी जांच के छात्रवृत्ति का सत्यापन कर रहे थे. फर्जी लाभार्थी सफलतापूर्वक छात्रवृत्ति का दावा कर रहे थे. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 830 फंसे संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है.

आगे क्या? : अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इन संस्थानों के उन नोडल अधिकारियों की जांच करेगी जिन्होंने अनुमोदन रिपोर्ट दी, जिला नोडल अधिकारी जिन्होंने फर्जी मामलों का सत्यापन किया और कैसे कई राज्यों ने इस घोटाले को वर्षों तक जारी रहने दिया. सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने यह भी सवाल उठाया है कि बैंकों ने फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी दस्तावेजों के साथ लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी.

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नई दिल्ली : अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत सक्रिय लगभग 53 प्रतिशत संस्थान 'फर्जी' पाए गए हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई एक आंतरिक जांच में 830 ऐसे संस्थानों में गहरे भ्रष्टाचार का पता चला, जिससे पिछले 5 वर्षों में 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (
Union Minister Smriti Irani) ने मामले को आगे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास भेज दिया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जानकारी सामने आई है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 10 जुलाई को इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी.

देश में एक लाख 80 हजार अल्पसंख्यक संस्थान : देश भर में करीब 1,80,000 अल्पसंख्यक संस्थान हैं, जिन्हें मंत्रालय की ओर से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत राशि मुहैया कराई जाती है. लाभार्थियों में कक्षा एक से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्र शामिल हैं. यह पहल शैक्षणिक वर्ष 2007-2008 में शुरू की गई थी.

ये है मामला : अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जांच में 34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ शामिल थी. जांच किए गए 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल पाया गया. संस्थानों ने इस कार्यक्रम के लिए फर्जी लाभार्थियों के साथ, हर साल अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का दावा किया था. सूत्रों ने कहा कि गैर-मौजूद या गैर-परिचालन होने के बावजूद, जांच किए गए कई संस्थान राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत होने में कामयाब रहे.

आंकड़े 34 में से 21 राज्यों से आए हैं, जबकि शेष राज्यों में संस्थानों की जांच अभी भी चल रही है.फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है.

रजिस्ट्रेशन से ज्यादा छात्रों को बांटी छात्रवृत्ति : जांच के दौरान कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. केरल के मलप्पुरम में एक बैंक शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियां वितरित कीं, जो छात्रवृत्ति के लिए पात्र अल्पसंख्यक छात्रों की पंजीकृत संख्या से अधिक है.

इसी तरह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में, 5,000 पंजीकृत छात्रों वाले एक कॉलेज ने 7,000 छात्रवृत्ति का दावा किया. यहां सबसे ज्यादा चौकाने वाला मामला ये था कि एक ही अभिभावक का मोबाइल नंबर 22 बच्चों से जुड़ा था. सभी कथित तौर पर नौवीं कक्षा में थे. एक अन्य संस्थान में छात्रावास की अनुपस्थिति के बावजूद, प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति का दावा किया.

असम में एक बैंक शाखा में कथित तौर पर 66,000 लाभार्थी थे, यहां एक मदरसे में जब जांच करने टीम गई तो उसे धमकी दी गई. पंजाब में अल्पसंख्यक छात्रों को स्कूल में नामांकित नहीं होने के बावजूद छात्रवृत्ति मिलती थी.

कहां-कितने संस्थान फर्जी पाए गए

  • छत्तीसगढ़ में सभी 62 संस्थान फर्जी या निष्क्रिय पाए गए.
  • राजस्थान में जांच किए गए 128 संस्थानों में से 99 फर्जी या गैर-परिचालन थे.
  • उत्तर प्रदेश में 44 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए.
  • पश्चिम बंगाल में 39 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए
  • असम में 68 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.
  • कर्नाटक में 64 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए.

830 संस्थानों के खाते फ्रीज : जांच में सामने आया है कि वास्तविक अल्पसंख्यक छात्रों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति पर इन फर्जी संस्थानों द्वारा दावा किया जा रहा था. नोडल अधिकारी और संस्थाएं बिना जमीनी जांच के छात्रवृत्ति का सत्यापन कर रहे थे. फर्जी लाभार्थी सफलतापूर्वक छात्रवृत्ति का दावा कर रहे थे. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 830 फंसे संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है.

आगे क्या? : अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इन संस्थानों के उन नोडल अधिकारियों की जांच करेगी जिन्होंने अनुमोदन रिपोर्ट दी, जिला नोडल अधिकारी जिन्होंने फर्जी मामलों का सत्यापन किया और कैसे कई राज्यों ने इस घोटाले को वर्षों तक जारी रहने दिया. सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने यह भी सवाल उठाया है कि बैंकों ने फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी दस्तावेजों के साथ लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी.

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