नई दिल्ली : अबकी बार देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त 2022 (Ganesh Chaturthi 2022 ) से मनाया जाएगा. इस दौरान 10 दिनों तक भक्त अपने अपने घरों व सार्वजनिक स्थानों पर मंगलमूर्ति गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं. इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा का धूमधाम से विसर्जन किया जाता है. कुछ जगहों पर गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपके मंगलमूर्ति भगवान गणेश के बारे में कुछ खास जानकारियां दे रहा है, जो आपके काम ही हो सकती हैं.
1. भगवान श्री गणेश हमारे देश की पूरी लंबाई और चौड़ाई में सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता के रुप में जाने जाते हैं. विशेष रूप से महाराष्ट्र, आंध्र व तेलंगाना जैसे राज्यों में दस से ग्यारह दिनों तक विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है, लेकिन प्रथम पूज्य होने के कारण हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों में सर्वाधिक पूज्य देवता के रुप में जाने जाते हैं. यही एक ऐसे देवता हैं, जिनकी प्रतिमा हर मंदिर में देखी जा सकती है.
2. श्री गणेश त्वरित निर्णय, ज्ञान, घटनाओं के तेज और विस्तृत दृष्टिकोण, बाधा निवारण के प्रतीक के रुप में पूजे जाते हैं. शुभता की आभा जगाने वाले देवता हैं. गणेश देवताओं, गणों, विद्वानों, द्रष्टाओं द्वारा भी पूजनीय हैं.
3. श्री गणेश किसी भी नई परियोजना या कार्य के पहले पूजित देवता हैं. इसीलिए बोलचाल की भाषा में काम शुरू करने को काम का श्री गणेश करना कहा जाता है.
4. श्री गणेश की ऊँ (ओम) के साथ समानता (Similarity of Shri Ganesha with Om) है. अगर आप ओम के प्रतीक को ध्यान से देखेंगे और अक्षर के ऊपरी भाग पर अपनी नजर ले जाएंगे तो वह हाथी के सिर जैसा दिखता है. पिछला भाग हाथी के दांत जैसा, निचला भाग भगवान गणेश के पेट जैसा और भगवान द्वारा खाये गये मोदक जैसा दिखता है,
5. श्री गणेश भगवान का 'स्वर' या 'ओंकार मातृ' प्रणव मंत्र के उनके निराकार गुण का प्रतीक है. भगवान को 'ऋद्धि' और 'सिद्धि' देवी के पति के रुप में जाना जाता है, जो अपनी अच्छी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान का स्मरण करके इमानदारी से काम करता है तो उसे सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों सुख प्राप्त होते हैं.
6. श्री गणेश भगवान के परिवार में पत्नी ऋद्धि और सिद्धि ( Lord Ganesha Wife Riddhi Siddhi) रहती हैं. भगवान गणेश के पुत्र के रूप में शुभ व लाभ को लोग जानते हैं. भगवान गणेश को सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए. लोक-परंपरा में इन्हें ही 'शुभ-लाभ' ( Lord Ganesha Son Kshem Labha) के नाम से जाना जाता है. जिन भक्तों को गणपति का आशीर्वाद मिल जाता है उनके पास भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की तरक्की मिलनी तय मानी जाती है.
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7. श्री गणेश के साथ लक्ष्मी की पूजा का प्राविधान है. गणेश वैदिक काल से प्राचीन भारत के 5 मुख्य देवताओं में से एक हैं. दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र मिलता है. ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है. इसके साथ साथ यजुर्वेद में भी इनका उल्लेख है.
8. गणेशजी के 12 नाम सर्वाधिक प्रचलित हैं, जिनमें सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, विघ्नराज, द्वैमातुर, गणाधिप, हेरम्ब, गजानन. इसके साथ साथ इनके कई अन्य नाम भी हैं, जिसमें चतुर्बाहु, अरुणवर्ण, गजमुख, अरण-वस्त्र, त्रिपुण्ड्र-तिलक, मूषकवाहन शामिल हैं.
9. श्री गणेश का स्वरूप भी अन्य देवताओं से अलग है. वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं. अपने चारों हाथों में वह क्रमश: पाश, अंकुश, मोदक पात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं. वह रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं. वह रक्त चंदन भी धारण करते हैं.
10. श्री गणेश की सवारी 'मूसक' अर्थात 'चूहा' है, जिसकी तीक्ष्ण दृष्टि होती है. वह अपने पास आयी प्रत्येक वस्तु को स्वीकार करने से पहले उसे काट देता है.
11. आधुनिक भारत में घर-घर होने वाली गणेश चतुर्थी की पूजा को सार्वजनिक उत्सव में बदलने और इसे एक प्रमुख उत्सव बनाने के लिए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आगे आए. मुख्य रूप से महाराष्ट्र के पूरे क्षेत्र में यह बड़े उत्सव के साथ मनाया जाता है. इसकी शुरुआत बालगंगाधर तिलक द्वारा विदेशी डोमेन के खिलाफ लड़ने और स्वराज प्राप्त करने के लिए महाराष्ट्र के लोगों को एकजुट करने के लिए शुरू की गयी थी. बाद में धार्मिक तौर पर पूरे देश में मनाया जाने लगा.
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