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Gujarat Assembly 2022 : उत्तर गुजरात में कांग्रेस के क्षेत्रों पर भाजपा का दबदबा - गुजरात चुनाव परिणाम 2022

गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में भी भाजपा ने अपना दबदबा बनाते हुए कई सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस के परंपरागत दलित वोट बैंक पर भी भाजपा सेंध लगाने में कामयाब रही. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Gujarat Assembly 2022
गुजरात विधानसभा 2022
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Published : Dec 8, 2022, 4:00 PM IST

गुजरात : गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने जीत का परचम लहराया है. इसमें भाजपा उत्तरी गुजरात में न केवल जाट विद्रोह को काबू करने में कामयाब रही बल्कि उसने अरावली और बनासकांठा जिलों में कांग्रेस के मजबूत किले को भी ध्वस्त कर दिया.उत्तरी गुजरात का प्रमुख समुदाय चौधरी, जो कि भाजपा का पारंपरिक वोट रहा है और अपने नेता विपुल चौधरी को गिरफ्तार किए जाने और उन्हें जेल भेजे जाने से भाजपा के खिलाफ उग्र हो गया था. परंतु विधानसभा चुनाव में अपने असंतोष को अस्थायी रूप से एक तरफ करते हुए वह इस बार भी भाजपा के पीछे लामबंद हो गया.

भाजपा ने राजनीति में विपुल चौधरी के प्रतिद्वंद्वी शंकर चौधरी और विपुल की दूधसागर डेयरी और शंकर की बनासकांठा डेयरी टीम के वर्चस्व की लड़ाई के रूप में व्यापार के मोर्चे पर भी समुदाय के बीच एकता को विभाजित किया.

उत्तर में बीजेपी की क्लीन स्वीप का मतलब खाम (क्षत्रिय, ओबीसी, आदिवासी और मुस्लिम) कांग्रेस के तुष्टिकरण के लिए खतरे की घंटी है. वहीं भाजपा का मानना ​​था कि इससे उन्हें गुजरात के ग्रामीण इलाकों में भरपूर लाभ मिलेगा.

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (आप) ने क्षेत्र में मजबूत चौधरी समुदाय द्वारा बनाई गई संस्था 'अर्बुदा सेना' के साथ गठबंधन बनाने की असफल कोशिश की. हालांकि वह जल्द ही इन क्षेत्रों में भाजपा के लिए मुख्य विपक्ष के रूप में उभरेगी, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी का सफाया हो जाएगा. यहां तक ​​कि असंतुष्ट चौधरी ने भी कांग्रेस के ऊपर आप को तरजीह दी, जिससे भाजपा को इस क्षेत्र में स्पष्ट बहुमत मिला. बीजेपी ने उत्तर गुजरात की 32 में से 24 सीटों पर जीत हासिल की जो 2017 में 14 सीटों से 10 सीटें अधिक हैं. वहीं कांग्रेस को 2017 की अपनी 12 सीटों में से सिर्फ 6 सीटों पर जीत हासिल कर संतोष करना पड़ा.

उत्तर गुजरात में आप की किस्मत अरावली जिले के अनुसूचित जनजाति आरक्षित भिलोदा निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित है. यहां से कांग्रेस के रूपसिंह भगोडा विधायक रहे. हालांकि इस बार भाजपा के पीसी बरंडा ने चुनाव में जीत दर्ज की. वहीं आप के रूपसीभाई बाबूभाई भगोरा दूसरे स्थान पर रहे. इसी तरह धनेरा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार मावजीभाई मगनभाई देसाई (MAVJIBHAI MAGANBHAI DESAI) 35696 वोटों से जीत गए हैं. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार मावजीभाई मगनभाई देसाई (MAVJIBHAI MAGANBHAI DESAI) को 96053 वोट मिले हैं. वहीं भाजपा के भगवान जी चौधरी (Bhagwan ji chaudhary) को 60357 वोट मिले हैं. कांग्रेस के नथाभाई पटेल (Natha Bhai Patel) 38260 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं. मावजीभाई देसाई बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध महासंघ (बनास डेयरी) के उपाध्यक्ष और प्रमुख चौधरी समुदाय के बीच एक मजबूत चेहरे दीसा की कृषि उत्पादक विपणन कंपनी के अध्यक्ष हैं. इसी तरह वडगाम विधानसभा सीट पर पिछली बार जिग्नेश ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज की थी. वह इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

वहीं कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक से दलितों ने भी इस चुनाव में उन्हें छोड़ दिया. यहां तक ​​कि उत्तर गुजरात क्षेत्र के एक ओबीसी क्षत्रिय नेता जगदीश ठाकोर का कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चयन भी उन्हें ओबीसी वोट बैंक का विश्वास जीतने में मदद करने में विफल रहा.

आम तौर पर गुजरात और विशेष रूप से उत्तरी गुजरात में कांग्रेस पार्टी का प्रचार काफी कम रहा. कांग्रेस का मानना ​​था कि उनके मजबूत वोट बैंक के बीच सत्ताधारी बीजेपी की प्रशासनिक खामियों को निशाना बनाकर घर-घर जाकर प्रचार करने से उन्हें इस क्षेत्र में भरपूर लाभ मिलेगा. हालांकि, प्रचार में उनके सबसे करिश्माई नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने कांग्रेस में मतदाताओं के विश्वास में सेंध लगा दी. बीजेपी, हमेशा की तरह, मोदी फैक्टर पर सवार होकर प्रभावी रूप से ग्रामीण आबादी के बीच सत्ता विरोधी भावनाओं को छिपाने में कामयाब रही.

ये भी पढ़ें - Gujarat Election Results 2022 : फिर बनी भाजपा सरकार, अगली बार जरूर टूटेगा पश्चिम बंगाल का रिकार्ड..!

गुजरात : गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने जीत का परचम लहराया है. इसमें भाजपा उत्तरी गुजरात में न केवल जाट विद्रोह को काबू करने में कामयाब रही बल्कि उसने अरावली और बनासकांठा जिलों में कांग्रेस के मजबूत किले को भी ध्वस्त कर दिया.उत्तरी गुजरात का प्रमुख समुदाय चौधरी, जो कि भाजपा का पारंपरिक वोट रहा है और अपने नेता विपुल चौधरी को गिरफ्तार किए जाने और उन्हें जेल भेजे जाने से भाजपा के खिलाफ उग्र हो गया था. परंतु विधानसभा चुनाव में अपने असंतोष को अस्थायी रूप से एक तरफ करते हुए वह इस बार भी भाजपा के पीछे लामबंद हो गया.

भाजपा ने राजनीति में विपुल चौधरी के प्रतिद्वंद्वी शंकर चौधरी और विपुल की दूधसागर डेयरी और शंकर की बनासकांठा डेयरी टीम के वर्चस्व की लड़ाई के रूप में व्यापार के मोर्चे पर भी समुदाय के बीच एकता को विभाजित किया.

उत्तर में बीजेपी की क्लीन स्वीप का मतलब खाम (क्षत्रिय, ओबीसी, आदिवासी और मुस्लिम) कांग्रेस के तुष्टिकरण के लिए खतरे की घंटी है. वहीं भाजपा का मानना ​​था कि इससे उन्हें गुजरात के ग्रामीण इलाकों में भरपूर लाभ मिलेगा.

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (आप) ने क्षेत्र में मजबूत चौधरी समुदाय द्वारा बनाई गई संस्था 'अर्बुदा सेना' के साथ गठबंधन बनाने की असफल कोशिश की. हालांकि वह जल्द ही इन क्षेत्रों में भाजपा के लिए मुख्य विपक्ष के रूप में उभरेगी, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी का सफाया हो जाएगा. यहां तक ​​कि असंतुष्ट चौधरी ने भी कांग्रेस के ऊपर आप को तरजीह दी, जिससे भाजपा को इस क्षेत्र में स्पष्ट बहुमत मिला. बीजेपी ने उत्तर गुजरात की 32 में से 24 सीटों पर जीत हासिल की जो 2017 में 14 सीटों से 10 सीटें अधिक हैं. वहीं कांग्रेस को 2017 की अपनी 12 सीटों में से सिर्फ 6 सीटों पर जीत हासिल कर संतोष करना पड़ा.

उत्तर गुजरात में आप की किस्मत अरावली जिले के अनुसूचित जनजाति आरक्षित भिलोदा निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित है. यहां से कांग्रेस के रूपसिंह भगोडा विधायक रहे. हालांकि इस बार भाजपा के पीसी बरंडा ने चुनाव में जीत दर्ज की. वहीं आप के रूपसीभाई बाबूभाई भगोरा दूसरे स्थान पर रहे. इसी तरह धनेरा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार मावजीभाई मगनभाई देसाई (MAVJIBHAI MAGANBHAI DESAI) 35696 वोटों से जीत गए हैं. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार मावजीभाई मगनभाई देसाई (MAVJIBHAI MAGANBHAI DESAI) को 96053 वोट मिले हैं. वहीं भाजपा के भगवान जी चौधरी (Bhagwan ji chaudhary) को 60357 वोट मिले हैं. कांग्रेस के नथाभाई पटेल (Natha Bhai Patel) 38260 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं. मावजीभाई देसाई बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध महासंघ (बनास डेयरी) के उपाध्यक्ष और प्रमुख चौधरी समुदाय के बीच एक मजबूत चेहरे दीसा की कृषि उत्पादक विपणन कंपनी के अध्यक्ष हैं. इसी तरह वडगाम विधानसभा सीट पर पिछली बार जिग्नेश ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज की थी. वह इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

वहीं कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक से दलितों ने भी इस चुनाव में उन्हें छोड़ दिया. यहां तक ​​कि उत्तर गुजरात क्षेत्र के एक ओबीसी क्षत्रिय नेता जगदीश ठाकोर का कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चयन भी उन्हें ओबीसी वोट बैंक का विश्वास जीतने में मदद करने में विफल रहा.

आम तौर पर गुजरात और विशेष रूप से उत्तरी गुजरात में कांग्रेस पार्टी का प्रचार काफी कम रहा. कांग्रेस का मानना ​​था कि उनके मजबूत वोट बैंक के बीच सत्ताधारी बीजेपी की प्रशासनिक खामियों को निशाना बनाकर घर-घर जाकर प्रचार करने से उन्हें इस क्षेत्र में भरपूर लाभ मिलेगा. हालांकि, प्रचार में उनके सबसे करिश्माई नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने कांग्रेस में मतदाताओं के विश्वास में सेंध लगा दी. बीजेपी, हमेशा की तरह, मोदी फैक्टर पर सवार होकर प्रभावी रूप से ग्रामीण आबादी के बीच सत्ता विरोधी भावनाओं को छिपाने में कामयाब रही.

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