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मोटापा पीड़ितों को राहत दे सकती है बेरियाट्रिक सर्जरी

ओबेसिटी यानी मोटापा जब बीमारी का रूप अख्तियार कर लेता है, तो शरीर के अन्य अंगों तथा उनके कार्यों को भी प्रभावित करने लगता हैं. कई बार वजन कम करने के तमाम उपायों के बावजूद जब वजन कम ना हो और शरीर में रोग बढ़ते जाएं, ऐसी अवस्था में चिकित्सक बेरियाट्रिक सर्जरी की सलाह देते हैं.

Bariatric Surgery for Obesity patient
ओबेसिटी पीड़ितों के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी
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Published : Nov 28, 2020, 10:42 AM IST

हमारे आसपास जब भी कोई हद से ज्यादा मोटा व्यक्ति नजर आता है, तो वह सहज ही सबका ध्यान आकर्षित करता है, और कई बार मजाक का पात्र भी बन जाता है. अत्यधिक मोटापा यानी ओबेसिटी एक बीमारी है, जिसके होने पर हमारे शरीर के कई अंग ढंग से काम करना बंद कर देते हैं, जिसके चलते शरीर में कई अन्य रोग भी पनपने लगते हैं. ऐसे में जब व्यक्ति किसी भी प्रकार से अपना वजन कम ना कर पाए, तो चिकित्सक उसे बेरियाट्रिक सर्जरी की सलाह देते हैं.

vertical sleeve gastrectomy
ऊर्ध्वाधर आस्तीन गैस्ट्रेक्टॉमी

ETV भारत सुखीभवा टीम ने बेरियाट्रिक सर्जरी क्या है, इसके प्रकार और प्रभावों को लेकर वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संजय जैन से बात की, तो उन्होंने बताया की बेरियाट्रिक सर्जरी एक सामान्य सर्जरी नहीं होती है. इस सर्जरी के चलते पेट को काट कर छोटा कर दिया जाता हैं. जिसके चलते व्यक्ति की भूख कम हो जाती है और कम भोजन में ही उसका पेट भर जाता है. इस सर्जरी के बाद यदि स्वास्थ्य का सही तरीके से ध्यान ना रखा जाए, तो शरीर के विभिन्न अंगों और उनके कार्यों पर असर पड़ता है.

क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी

मोटापे को कम करने के लिए की जाने वाली इस सर्जरी में पेट के कुछ हिस्से को सर्जरी द्वारा अलग कर दिया जाता है, इस दौरान पेट पर जमा अतिरिक्त चर्बी को भी हटा दिया जाता है.

बेरियाट्रिक सर्जरी के प्रकार

ओबेसिटी के शिकार व्यक्तियों की शारीरिक अवस्था को देखते हुए अलग-अलग प्रकार से बेरियाट्रिक सर्जरी की जा सकती है, जो इस प्रकार है;

Types of Bariatric Surgery
बेरियाट्रिक सर्जरी के प्रकार

1. गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी

इस सर्जरी में अत्यधिक मोटापे के शिकार व्यक्तियों के पेट के आकार को लेप्रोस्कोपिक उपकरण की मदद से कम किया जाता है.

2. गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी

गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी पेट के ऊपरी हिस्से को बांधकर निचले हिस्से को छोटी आत से जोड़ दिया जाता है, जिससे भोजन सीधे छोटी आंत में पहुंच जाता है. आमतौर पर इस सर्जरी के उपरांत मरीज को काफी भूख भी लगती है.

3. एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड

एडजस्टेबल गैस्टिक बैंड को लैप बैंड सर्जरी नाम से भी जाना जाता है. इस विधि में पेट के ऊपरी हिस्से पर इलास्टिक बैंड लगाया जाता है और उसकी सहायता से पेट पर मौजूद एक्सट्रा फैट को निकाला जाता है.

4. ड्यूडेनल स्विच सर्जरी

ड्यूडेनल स्विच सर्जरी ऐसी वेट लॉस सर्जरी है, जिसमें ड्यूडेनम को छोटी आंत से जोड़ा जाता है, जिससे भोजन सीधे छोटी आंत पर पहुंचता है.

किन्हे करवानी चाहिए बेरियाट्रिक सर्जरी

ओबेसिटी यानी मोटापे के शिकार ऐसे व्यक्ति जिनका बीएमआई जरूरत अनुसार ना हो तथा जिन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मेटाबॉलिक सिंड्रोम तथा दिल की बीमारी इत्यादि समस्या हो, तो उस स्थिति में सर्जन उसे बेरियाट्रिक सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं. इसके अलावा जो लोग हर तरीके से वजन कम करने में नाकामयाब रहते हैं, वे भी सर्जरी की मदद ले सकते हैं.

बेरियाट्रिक सर्जरी का शरीर पर प्रभाव

बेरियाट्रिक सर्जरी के शरीर पर प्रभावों को लेकर डॉ. संजय जैन ने बताया कि दरअसल हमारे शरीर के सभी अंग भोजन से मिलने वाले पोषण पर निर्भर करते हैं, इस सर्जरी के उपरांत जब हमारे शरीर में भोजन की मात्रा कम हो जाती हैं, उसका असर हमारे पोषण पर भी पड़ता है. जिसका सीधा असर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है. इसके अतिरिक्त सर्जरी के उपरांत कई बार मरीजों में एसिडिटी, भोजन के पचने में परेशानी, गोल्स्टोन जैसी समस्या, शरीर में रक्त शर्करा में कमी, श्वसन संबंधी समस्या, वजन संबंधी समस्या तथा डंपिंग सिंड्रोम जैसी समस्याएं देखने में आती हैं.

डॉ. जैन कहते हैं की यह सर्जरी जरूरतमंद लोगों के लिए काफी फायदा कर सकती है, लेकिन ऐसे लोग जो सिर्फ वजन कम करने के उद्देश्य से यह सर्जरी करवाते हैं, उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है.

सर्जरी के बाद की सावधानियां

डॉ. जैन बताते हैं की बेरियाट्रिक सर्जरी के ऑपरेशन के बाद कुछ सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है, साथ ही जरूरी है एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करने की. इसके अलावा स्वास्थ्य की नियमित जांच, खाने में एक निर्धारित डाइट प्लान का सख्ती से पालन और नियमित रूप से व्यायाम बहुत जरूरी हैं.

हमारे आसपास जब भी कोई हद से ज्यादा मोटा व्यक्ति नजर आता है, तो वह सहज ही सबका ध्यान आकर्षित करता है, और कई बार मजाक का पात्र भी बन जाता है. अत्यधिक मोटापा यानी ओबेसिटी एक बीमारी है, जिसके होने पर हमारे शरीर के कई अंग ढंग से काम करना बंद कर देते हैं, जिसके चलते शरीर में कई अन्य रोग भी पनपने लगते हैं. ऐसे में जब व्यक्ति किसी भी प्रकार से अपना वजन कम ना कर पाए, तो चिकित्सक उसे बेरियाट्रिक सर्जरी की सलाह देते हैं.

vertical sleeve gastrectomy
ऊर्ध्वाधर आस्तीन गैस्ट्रेक्टॉमी

ETV भारत सुखीभवा टीम ने बेरियाट्रिक सर्जरी क्या है, इसके प्रकार और प्रभावों को लेकर वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संजय जैन से बात की, तो उन्होंने बताया की बेरियाट्रिक सर्जरी एक सामान्य सर्जरी नहीं होती है. इस सर्जरी के चलते पेट को काट कर छोटा कर दिया जाता हैं. जिसके चलते व्यक्ति की भूख कम हो जाती है और कम भोजन में ही उसका पेट भर जाता है. इस सर्जरी के बाद यदि स्वास्थ्य का सही तरीके से ध्यान ना रखा जाए, तो शरीर के विभिन्न अंगों और उनके कार्यों पर असर पड़ता है.

क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी

मोटापे को कम करने के लिए की जाने वाली इस सर्जरी में पेट के कुछ हिस्से को सर्जरी द्वारा अलग कर दिया जाता है, इस दौरान पेट पर जमा अतिरिक्त चर्बी को भी हटा दिया जाता है.

बेरियाट्रिक सर्जरी के प्रकार

ओबेसिटी के शिकार व्यक्तियों की शारीरिक अवस्था को देखते हुए अलग-अलग प्रकार से बेरियाट्रिक सर्जरी की जा सकती है, जो इस प्रकार है;

Types of Bariatric Surgery
बेरियाट्रिक सर्जरी के प्रकार

1. गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी

इस सर्जरी में अत्यधिक मोटापे के शिकार व्यक्तियों के पेट के आकार को लेप्रोस्कोपिक उपकरण की मदद से कम किया जाता है.

2. गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी

गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी पेट के ऊपरी हिस्से को बांधकर निचले हिस्से को छोटी आत से जोड़ दिया जाता है, जिससे भोजन सीधे छोटी आंत में पहुंच जाता है. आमतौर पर इस सर्जरी के उपरांत मरीज को काफी भूख भी लगती है.

3. एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड

एडजस्टेबल गैस्टिक बैंड को लैप बैंड सर्जरी नाम से भी जाना जाता है. इस विधि में पेट के ऊपरी हिस्से पर इलास्टिक बैंड लगाया जाता है और उसकी सहायता से पेट पर मौजूद एक्सट्रा फैट को निकाला जाता है.

4. ड्यूडेनल स्विच सर्जरी

ड्यूडेनल स्विच सर्जरी ऐसी वेट लॉस सर्जरी है, जिसमें ड्यूडेनम को छोटी आंत से जोड़ा जाता है, जिससे भोजन सीधे छोटी आंत पर पहुंचता है.

किन्हे करवानी चाहिए बेरियाट्रिक सर्जरी

ओबेसिटी यानी मोटापे के शिकार ऐसे व्यक्ति जिनका बीएमआई जरूरत अनुसार ना हो तथा जिन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मेटाबॉलिक सिंड्रोम तथा दिल की बीमारी इत्यादि समस्या हो, तो उस स्थिति में सर्जन उसे बेरियाट्रिक सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं. इसके अलावा जो लोग हर तरीके से वजन कम करने में नाकामयाब रहते हैं, वे भी सर्जरी की मदद ले सकते हैं.

बेरियाट्रिक सर्जरी का शरीर पर प्रभाव

बेरियाट्रिक सर्जरी के शरीर पर प्रभावों को लेकर डॉ. संजय जैन ने बताया कि दरअसल हमारे शरीर के सभी अंग भोजन से मिलने वाले पोषण पर निर्भर करते हैं, इस सर्जरी के उपरांत जब हमारे शरीर में भोजन की मात्रा कम हो जाती हैं, उसका असर हमारे पोषण पर भी पड़ता है. जिसका सीधा असर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है. इसके अतिरिक्त सर्जरी के उपरांत कई बार मरीजों में एसिडिटी, भोजन के पचने में परेशानी, गोल्स्टोन जैसी समस्या, शरीर में रक्त शर्करा में कमी, श्वसन संबंधी समस्या, वजन संबंधी समस्या तथा डंपिंग सिंड्रोम जैसी समस्याएं देखने में आती हैं.

डॉ. जैन कहते हैं की यह सर्जरी जरूरतमंद लोगों के लिए काफी फायदा कर सकती है, लेकिन ऐसे लोग जो सिर्फ वजन कम करने के उद्देश्य से यह सर्जरी करवाते हैं, उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है.

सर्जरी के बाद की सावधानियां

डॉ. जैन बताते हैं की बेरियाट्रिक सर्जरी के ऑपरेशन के बाद कुछ सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है, साथ ही जरूरी है एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करने की. इसके अलावा स्वास्थ्य की नियमित जांच, खाने में एक निर्धारित डाइट प्लान का सख्ती से पालन और नियमित रूप से व्यायाम बहुत जरूरी हैं.

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