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अप्रैल महीने में एसईसीएल बिश्रामपुर कोयला उत्पादन के लक्ष्य में रहा पीछे - ओपन कास्ट खदानों में कोयला उत्पादन बंद

अप्रैल महीने में बिश्रामपुर एसईसीएल अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य से करीब 91 हजार टन पीछे चल रहा है. अप्रैल महीने में प्रबंधन करीब 30 हजार टन कोयले का ही उत्पादन कर सका है.

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कोयला उत्पादन में SECL विश्रामपुर पीछे
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Published : May 2, 2021, 8:36 PM IST

सूरजपुर: पिछले वित्तीय वर्ष में उत्पादन संकट के कारण 5 सौ करोड़ से अधिक घाटा सईसीएल बिश्रामपुर को हुआ था. अभी चालू वित्तीय वर्ष 2021- 22 का पहला महीना अप्रैल भी काफी महंगा साबित हुआ. चालू वित्तीय वर्ष के पहले महीने अप्रैल में भी उत्पादन संकट बरकरार है. अप्रैल महीने में बिश्रामपुर क्षेत्र अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य से करीब 91 हजार टन पीछे चल रहा है. विकराल उत्पादन संकट के कारण अप्रैल महीने में प्रबंधन करीब 30 हजार टन कोयला ही उत्पादन कर सका है.

लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा कोयला उत्पादन

तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले कई सालों से यह क्षेत्र काफी घाटे में चल रहा है. कोयला उत्पादन में भारी गिरावट के कारण राज्य शासन को भी राजस्व की भारी क्षति का सामना करना पड़ रहा है. बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर ने बिश्रामपुर क्षेत्र को 26 लाख 20 हजार टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया था. जिसके जवाब में बिश्रामपुर क्षेत्र करीब 3 लाख 88 हजार टन कोयले का उत्पादन कर सका है.

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ओपन कास्ट खदानों में शून्य उत्पादन

एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के ओपन कास्ट खदानों में कोयला उत्पादन की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. कहने को तो बिश्रामपुर क्षेत्र में 3 ओपन कास्ट खदानें हैं. बिश्रामपुर ओपन कास्ट खदान बंद होने की कगार पर है. करीब ढाई साल से भी अधिक समय से कोयला उत्पादन बंद है. यही कारण है कि चालू वित्तीय वर्ष में भी प्रबंधन ने इस खदान का कोयला उत्पादन लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है.

आमगांव ओपन कास्ट खदान और अमेरा ओपन कास्ट खदान भी घाटे में चल रहा है. अधिग्रहित भूमि का कब्जा मिलने में आ रही दिक्कतों के कारण पिछले करीब ढाई साल से इन दोनों खदानों में कोयला उत्पादन पूरी तरह बंद है. चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों ओपन कास्ट खदानों से 10 - 10 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन इन खदानों के बंद रहने के कारण चालू वित्तीय वर्ष के पहले माह अप्रैल में कोयला उत्पादन की स्थिति शून्य रही.

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भूमिगत खदानों की स्थिति भी खराब

क्षेत्र की भूमिगत खदानों की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है. काफी पुरानी हो चुकी कुमदा 7/8 भूमिगत खदान और बलरामपुर भूमिगत खदान के लिए चालू वित्तीय वर्ष में भी उत्पादन लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है. उसके बावजूद बलरामपुर खदान ने अप्रैल माह में करीब 23 सौ टन कोयला उत्पादन किया है. वहीं कुमदा भूमिगत खदान ने करीब 12 सौ टन कोयला उत्पादन किया है.

सूरजपुर: पिछले वित्तीय वर्ष में उत्पादन संकट के कारण 5 सौ करोड़ से अधिक घाटा सईसीएल बिश्रामपुर को हुआ था. अभी चालू वित्तीय वर्ष 2021- 22 का पहला महीना अप्रैल भी काफी महंगा साबित हुआ. चालू वित्तीय वर्ष के पहले महीने अप्रैल में भी उत्पादन संकट बरकरार है. अप्रैल महीने में बिश्रामपुर क्षेत्र अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य से करीब 91 हजार टन पीछे चल रहा है. विकराल उत्पादन संकट के कारण अप्रैल महीने में प्रबंधन करीब 30 हजार टन कोयला ही उत्पादन कर सका है.

लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा कोयला उत्पादन

तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले कई सालों से यह क्षेत्र काफी घाटे में चल रहा है. कोयला उत्पादन में भारी गिरावट के कारण राज्य शासन को भी राजस्व की भारी क्षति का सामना करना पड़ रहा है. बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर ने बिश्रामपुर क्षेत्र को 26 लाख 20 हजार टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया था. जिसके जवाब में बिश्रामपुर क्षेत्र करीब 3 लाख 88 हजार टन कोयले का उत्पादन कर सका है.

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ओपन कास्ट खदानों में शून्य उत्पादन

एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के ओपन कास्ट खदानों में कोयला उत्पादन की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. कहने को तो बिश्रामपुर क्षेत्र में 3 ओपन कास्ट खदानें हैं. बिश्रामपुर ओपन कास्ट खदान बंद होने की कगार पर है. करीब ढाई साल से भी अधिक समय से कोयला उत्पादन बंद है. यही कारण है कि चालू वित्तीय वर्ष में भी प्रबंधन ने इस खदान का कोयला उत्पादन लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है.

आमगांव ओपन कास्ट खदान और अमेरा ओपन कास्ट खदान भी घाटे में चल रहा है. अधिग्रहित भूमि का कब्जा मिलने में आ रही दिक्कतों के कारण पिछले करीब ढाई साल से इन दोनों खदानों में कोयला उत्पादन पूरी तरह बंद है. चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों ओपन कास्ट खदानों से 10 - 10 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन इन खदानों के बंद रहने के कारण चालू वित्तीय वर्ष के पहले माह अप्रैल में कोयला उत्पादन की स्थिति शून्य रही.

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भूमिगत खदानों की स्थिति भी खराब

क्षेत्र की भूमिगत खदानों की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है. काफी पुरानी हो चुकी कुमदा 7/8 भूमिगत खदान और बलरामपुर भूमिगत खदान के लिए चालू वित्तीय वर्ष में भी उत्पादन लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है. उसके बावजूद बलरामपुर खदान ने अप्रैल माह में करीब 23 सौ टन कोयला उत्पादन किया है. वहीं कुमदा भूमिगत खदान ने करीब 12 सौ टन कोयला उत्पादन किया है.

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