सूरजपुर: जिले में कुपोषण दूर करने के लिए सरकार तमाम कोशिशें कर रही है. कई योजनाएं चला रही है. बावजूद इसके कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कुपोषित बच्चों के आंकड़े दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. प्रशासन के लिए कुपोषण को खत्म करना चुनौती से कम नहीं है. सुपोषण अभियान का व्यापक असर होता नहीं दिख रहा है.
क्या है पोषण बाड़ी, जिससे इस गांव में हार रहा कुपोषण ?
कुपोषण दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है. जिले में बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है. आंगनबाड़ियों में सुपोषण आहार की व्यवस्था की जा रही है. तमाम व्यावस्थाओं के बाद एक बार फिर कुपोषण बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है. जिले के लगभग 13 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.
2500 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित
महिला एवं बाल विकास से मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 2500 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. अधिकारी कोरोना काल में सुपोषण अभियान में रुकावट का सहारा ले रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुपोषण खत्म करने के लिए काम करने की बात कह रहे हैं. महिला एंव बाल विकास के अधिकारी भी मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना और सुपोषण अभियान के तहत कुपोषण मुक्त करने की बात कह रहे हैं.
क्या मिल पाएगी कुपोषण से मुक्ति ?
सूरजपुर में कुपोषण दूर करने के लिए कई स्व सहायता समूह काम कर रहे हैं. बच्चों को मुनगा के पत्ते का दवा और आहार के रूप में दिया जा रहा है. बावजूद इसके कुपोषण के आंकड़े कम नजर नहीं आ रहे हैं. कुपोषण दूर करने के लिए शासन के दावे फेल दिख रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि स्वास्थ्य और महिला एंव बाल विकास विभाग कब आंकड़ों को खत्म कर पाते हैं.