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Muharram 2021: सूरजपुर के 'ताजिया' में दिखती है 'तिरंगे' की झलक - Hindu Muslim youth are presenting

सूरजपुर में हिंदू- मुसलमान एक साथ मिलकर मोहर्रम का त्योहार (Muharram 2021) मनाते हैं. ये जिला देश के चंद उन इलाकों में शामिल है जहां आज तक कभी भी हिंदू- मुसलमान संप्रदाय में तनाव की स्थिति निर्मित नहीं हुई.

Muharram 2021 Date
मोहर्रम
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Published : Aug 19, 2021, 10:36 PM IST

सूरजपुर: मोहर्रम (Muharram 2021) का महीना इस्लामिक कैलेंडर (islamic calendar) का पहला महीना होता है. यह महीना शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदाय (Shia and Sunni Muslim communities) के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस माह के 10वें दिन आशुरा मनाया जाता है. यह इस्लाम (Islam) मजहब का प्रमुख त्योहार है. त्योहार 19 या 20 अगस्त 2021 को मनाया जा सकता है.

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल

शुक्रवार को हसन हुसैन की शहादत (martyrdom of hasan hussain) का दिन है. इसे मुस्लिम समुदाय (Muslim community) मुहर्रम के रूप में मनाता है. देश और प्रदेश में सभी जगह मुहर्रम का ताजिया बनाया जा रहा है. सूरजपुर का ताजिया, समाज और देश के लिए एक मिसाल है. यह उन लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो यह कहते हैं देश में अल्पसंख्यक डर और भय में जीने को मजबूर हैं. जहां हिंदू- मुसलमान एक साथ मिलकर बापू के उस सपने को साकार कर रहे हैं. जैसे हिंदुस्तान की वे परिकल्पना किया करते थे.

सूरजपुर की मस्जिद पारा मोहल्ला, जहां मुहर्रम के लिए ताजिया बनाया जा रहा है. इस ताजिया को लगभग एक सप्ताह से मोहल्ले के युवाओं के द्वारा बनाया जा रहा है. इस ताजिया की खासियत यह है कि इसे दिन रात मेहनत कर हिंदू और मुसलमान युवा मिलकर बना रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इस मोहल्ले में पिछले कई दशकों से यही परंपरा चली आ रही है. अब यह युवा इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.

सूरजपुर: अकीदत से मनाया गया मोहर्रम, चंद लोगों के साथ निकली ताजिया की रैली

वहीं स्थानीय लोग भी युवाओं की यह एकता देखकर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. सूरजपुर हमेशा हिंदू- मुस्लिम एकता के लिए एक मिसाल रहा है. इस ताजिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें तिरंगा बना हुआ रहता है. सूरजपुर देश के चंद उन इलाकों में शामिल है जहां आज तक कभी भी हिंदू- मुसलमान संप्रदाय में तनाव की स्थिति निर्मित नहीं हुई. यहां सभी वर्ग और सभी धर्म के लोग आपसी भाईचारे से अपना जीवन बिताने में विश्वास रखते हैं.

जो लोग छोटा सा राजनैतिक लाभ के लिए लोगों को भड़काने का काम करते हैं और जो लोग उनके बहकावे में आ जाते हैं. उन सबको सूरजपुर के इन युवाओं से सीख लेने की जरूरत है. ताकि हमारा देश, समाज, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर इंसानियत और तरक्की की राह पर आगे बढ़ सके.

सूरजपुर: मोहर्रम (Muharram 2021) का महीना इस्लामिक कैलेंडर (islamic calendar) का पहला महीना होता है. यह महीना शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदाय (Shia and Sunni Muslim communities) के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस माह के 10वें दिन आशुरा मनाया जाता है. यह इस्लाम (Islam) मजहब का प्रमुख त्योहार है. त्योहार 19 या 20 अगस्त 2021 को मनाया जा सकता है.

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल

शुक्रवार को हसन हुसैन की शहादत (martyrdom of hasan hussain) का दिन है. इसे मुस्लिम समुदाय (Muslim community) मुहर्रम के रूप में मनाता है. देश और प्रदेश में सभी जगह मुहर्रम का ताजिया बनाया जा रहा है. सूरजपुर का ताजिया, समाज और देश के लिए एक मिसाल है. यह उन लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो यह कहते हैं देश में अल्पसंख्यक डर और भय में जीने को मजबूर हैं. जहां हिंदू- मुसलमान एक साथ मिलकर बापू के उस सपने को साकार कर रहे हैं. जैसे हिंदुस्तान की वे परिकल्पना किया करते थे.

सूरजपुर की मस्जिद पारा मोहल्ला, जहां मुहर्रम के लिए ताजिया बनाया जा रहा है. इस ताजिया को लगभग एक सप्ताह से मोहल्ले के युवाओं के द्वारा बनाया जा रहा है. इस ताजिया की खासियत यह है कि इसे दिन रात मेहनत कर हिंदू और मुसलमान युवा मिलकर बना रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इस मोहल्ले में पिछले कई दशकों से यही परंपरा चली आ रही है. अब यह युवा इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.

सूरजपुर: अकीदत से मनाया गया मोहर्रम, चंद लोगों के साथ निकली ताजिया की रैली

वहीं स्थानीय लोग भी युवाओं की यह एकता देखकर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. सूरजपुर हमेशा हिंदू- मुस्लिम एकता के लिए एक मिसाल रहा है. इस ताजिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें तिरंगा बना हुआ रहता है. सूरजपुर देश के चंद उन इलाकों में शामिल है जहां आज तक कभी भी हिंदू- मुसलमान संप्रदाय में तनाव की स्थिति निर्मित नहीं हुई. यहां सभी वर्ग और सभी धर्म के लोग आपसी भाईचारे से अपना जीवन बिताने में विश्वास रखते हैं.

जो लोग छोटा सा राजनैतिक लाभ के लिए लोगों को भड़काने का काम करते हैं और जो लोग उनके बहकावे में आ जाते हैं. उन सबको सूरजपुर के इन युवाओं से सीख लेने की जरूरत है. ताकि हमारा देश, समाज, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर इंसानियत और तरक्की की राह पर आगे बढ़ सके.

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