सूरजपुर: प्रतापपुर के शिवपुर में इस साल कोरोना काल के कारण सावन के पावन महीने में शिव भक्तों की भक्ति कम नहीं हुई है. मंदिरों की नगरी प्रतापपुर से लगे शिवपुर में हर साल सावन के महीने में कांवड़ मेले का भव्य आयोजन किया जाता रहा है. जिसमें शिव भक्त अंबिकापुर के शंकर घाट से जल उठाकर शिवपुर पहुंचते हैं. जिसके बाद सभी भक्त अपने आराध्य बाबा जलेश्वर नाथ का बड़े उत्साह के साथ रुद्राभिषेक करते हैं.
श्रद्धालुओं की मानें तो बाबा जलेश्वर नाथ का शिवलिंग स्वयंभू है. यहां पहाड़ों के नीचे से लगातार जल प्रवाह होता रहता है. जिसका शिवलिंग के पास उद्गम होता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि यह जल गंगा जल की तरह पवित्र और जीवाणु रोधी है. जिसे सालों तक बोतल में रखने पर भी खराब नहीं होता. सालभर लगातार जल का ये प्रवाह एक छोटे सरोवर से होते हुऐ शिवपुर के किसानों के खेत में पहुंचता है. जिससे किसानों का खेत सिंचित होता रहता है. यहां के रहवासी इसे किसी वरदान से कम नहीं मानते.
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भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना
बता दें कि सावन का महीना महादेव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है. इसके पीछे कई मान्यताएं हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शिवजी ने सावन के महीने में ही विष का पान किया था. वहीं दूसरी मान्यताओं के मुताबिक माता पार्वती ने सावन के महीने में ही भगवान शिव को पाने के लिए व्रत रखा था. ऐसी तमाम मान्यताएं हैं जो सावन की महिमा बताती हैं.
भगवान शिव का होता है अभिषेक
सावन का महीना भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी बेहद खास होता है. इस पूरे महीने में भक्त भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही कांवड़िए कांवड़ में जल लेकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. सावन महीने के शुरू होते ही कांवड़ियों की यात्रा भी शुरू हो जाती है.