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सूरजपुर: ग्राम पंचायत सचिव संविलियन की मांग तेज, पदाधिकारियों ने रखी ये मांग

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Published : Aug 18, 2020, 12:52 PM IST

सूरजपुर में ग्राम पंचायत सचिवों की संविलियन की मांग तेज हो रही है. पंचायत सचिव संघ के पदाधिकारियों ने संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की.

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ग्राम पंचायत सचिव संविलियन की मांग तेज

सूरजपुर: जिले में शिक्षाकर्मीयों के संविलियन के बाद अब ग्राम पंचायत सचिव संविलियन की मांग तेज हो रही है. पंचायत सचिवों के संघ के नवगठन के बाद जिले के पंचायत सचिव संघ के पदाधिकारियों ने संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की. जहां सचिव संघ के पदाधिकारियों ने सचिवों की परिविक्षा अवधी को खत्म कर उन्हें भी संविलियन किए जाने की मांग की.

ग्राम पंचायत सचिव संविलियन की मांग तेज

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मियों को संविलियन कर अच्छी पहल की है. वहीं पंचायत सचिव जो कोरोना संकट काल के इस दौर में पंचायत के आखिरी व्यक्ति तक समस्त योजनाओं के लाभ पहुंचाने का काम लगातार कर रहे हैं, उनके संविलियन के लिए कोई ध्यान नहीं देता. संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े ने बताया कि पंचायत सचिवों की मांग पर विचार कर उचित निर्णय राज्य सरकार लेगी.

पढ़ें- रायपुर: प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश, कई जगह पर यलो अलर्ट

बता दें कि साल 2019 में प्रदेश में 25 हजार शिक्षाकर्मी ऐसे हैं, जो वर्तमान में संविलियन से वंचित हैं. इस वक्त सभी पंचायत विभाग में सेवा दे रहे हैं और शिक्षा विभाग में संविलियन की राह देख रहे हैं. आने वाले बजट सत्र से पहले शिक्षाकर्मी संविलियन के पक्ष में माहौल बनाने में लगे हैं.

रमन सिंह ने किया था ऐलान

साल 2018 के आंदोलन में शिक्षाकर्मी प्रदेश सरकार से अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए थे. लेकिन ऐलान के बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी और अब प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी है. दरअसल, 2018 में शिक्षाकर्मियों ने स्कूल से निकल कर जमीन की लड़ाई लड़ी थी. आंदोलन के खत्म होने के बाद सोशल मीडिया में जंग जारी रही. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन का ऐलान करना पड़ा था, लेकिन अब सरकार बदल चुकी है और शिक्षाकर्मियों की मांग अबतक पूरी नहीं हुई है.

सूरजपुर: जिले में शिक्षाकर्मीयों के संविलियन के बाद अब ग्राम पंचायत सचिव संविलियन की मांग तेज हो रही है. पंचायत सचिवों के संघ के नवगठन के बाद जिले के पंचायत सचिव संघ के पदाधिकारियों ने संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की. जहां सचिव संघ के पदाधिकारियों ने सचिवों की परिविक्षा अवधी को खत्म कर उन्हें भी संविलियन किए जाने की मांग की.

ग्राम पंचायत सचिव संविलियन की मांग तेज

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मियों को संविलियन कर अच्छी पहल की है. वहीं पंचायत सचिव जो कोरोना संकट काल के इस दौर में पंचायत के आखिरी व्यक्ति तक समस्त योजनाओं के लाभ पहुंचाने का काम लगातार कर रहे हैं, उनके संविलियन के लिए कोई ध्यान नहीं देता. संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े ने बताया कि पंचायत सचिवों की मांग पर विचार कर उचित निर्णय राज्य सरकार लेगी.

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बता दें कि साल 2019 में प्रदेश में 25 हजार शिक्षाकर्मी ऐसे हैं, जो वर्तमान में संविलियन से वंचित हैं. इस वक्त सभी पंचायत विभाग में सेवा दे रहे हैं और शिक्षा विभाग में संविलियन की राह देख रहे हैं. आने वाले बजट सत्र से पहले शिक्षाकर्मी संविलियन के पक्ष में माहौल बनाने में लगे हैं.

रमन सिंह ने किया था ऐलान

साल 2018 के आंदोलन में शिक्षाकर्मी प्रदेश सरकार से अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए थे. लेकिन ऐलान के बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी और अब प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी है. दरअसल, 2018 में शिक्षाकर्मियों ने स्कूल से निकल कर जमीन की लड़ाई लड़ी थी. आंदोलन के खत्म होने के बाद सोशल मीडिया में जंग जारी रही. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन का ऐलान करना पड़ा था, लेकिन अब सरकार बदल चुकी है और शिक्षाकर्मियों की मांग अबतक पूरी नहीं हुई है.

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