सूरजपुर: जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर ओड़गी क्षेत्र में पुतकी गांव के बालमगढ़ पहाड़ पर वन विभाग को पुरानी ईंटों से बनी चारदीवारी और एक प्राचीन बॉवली मिली है.
![Ancient fort of King Balamdev found in Tamor Range in surajpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-srj-tamor-renje-avb-cgc10079_24052020135445_2405f_1590308685_932.jpg)
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार आसपास के क्षेत्र में यह किवदंती चली आ रही है कि यह क्षेत्र बालमराजा के आधिपत्य में था और यहां पर उन्होंने अपने किले का निर्माण करते हुए अपना साम्राज्य स्थापित किया था. तमोर रेंज का क्षेत्र प्राकृतिक तौर पर बेहद खूबसूरत है, जहां कई प्रकार के वन्यजीव के साथ दुर्लभ औषधीय पौधे भी मिलते हैं. अब इस प्राचीन भग्नावशेष के बाद वनविभाग इसे पर्यटन के तौर पर भी विकसित करने की योजना बना रहा है.
पढ़ें:महाशिवरात्रिः 11 सौ साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास, स्वयंभू हैं महादेव
चौकोर ईंटों के साथ लंबी चारदीवारी और पत्थर की बॉवली, वन विभाग की ओर से तैयार किया जा रहा है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सूरजपुर जिले का प्रतापपुर, भैयाथान और ओड़गी का क्षेत्र प्राचीन समय से ही किसी न किसी राजा या विशेष जनजाति के आधिपत्य वाले प्रमुख गढ़ के तौर पर विख्यात रहा है. समय-समय पर अलग-अलग क्षेत्र में राजाओं ने अपना आधिपत्य कायम रखते हुए अपना साम्राज्य विकसित किया था. इन्ही धारणाओं के अनुसार प्रतापपुर का रमकोला क्षेत्र और इसके आसपास के इलाके में गौड़ राजा के लंबे अंतराल तक वर्चस्व की मान्यता चली आ रही है.
राजपरिवार बालमराजा से जुड़ा हुआ है ये क्षेत्र
ऐसी मान्यता है कि गौड़ राजा रमकोला और आसपास क्षेत्र की पहाड़ियों पर अपने सुरक्षित रहने के स्थान का निर्माण करते हुए समुदाय के साथ रहा करते थे और एक बड़े भू-भाग में इनका आधिपत्य था. इसी मान्यता के साथ एक मान्यता यह भी है कि यह क्षेत्र सीधे जिले के क्षत्रिय राजपरिवार बालमराजा से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने ओड़गी के साथ भैयाथान के कई क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य किया था.
![Ancient fort of King Balamdev found in Tamor Range in surajpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-srj-tamor-renje-avb-cgc10079_24052020135445_2405f_1590308685_919.jpg)
कभी सार्वजनिक नहीं हो पाई जानकारी
इनका एक किला कुदरगढ़ पहाड़ पर भी स्थित है. अब इनके वंशज मध्यप्रदेश के सीधी जिले में निवास करते हैं. तमोर रेंज के इस हिस्से में भी बालमराजा को लेकर किदवंती वर्षों से चली आ रही है. उनके नाम पर पुतकी क्षेत्र का पहाड़ भी बालम पहाड़ के नाम से विख्यात है, लेकिन समय के साथ-साथ यह मान्यता इसी क्षेत्र में सिमटकर रह गई, क्योंकि यह क्षेत्र अभ्यारण क्षेत्र से काफी अंदर के हिस्से में है, इसलिए इसकी जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं हो पाई.
धार्मिक मान्यतानुसार हो रही है पूजा अर्चना
यह मामला एक महीने पहले उस समय प्रकाश में आया, जब वन विभाग को इस क्षेत्र में निर्माण कार्य के दौरान कुछ प्राचीन भग्नावशेष मिले. इन अवशेषों में एक प्राचीन बॉवली और काफी दूर तक फैली चारदीवारी है जो कि चौकोर ईंट से बनी है. इस स्थल को लेकर पुराने समय से आसपास के कई गांव में धार्मिक मान्यतानुसार पूजा अर्चना चली आ रही है. तमोर रेंज तमोर पिंगला अभ्यारण क्षेत्र का एक हिस्सा है, जो प्रतापपुर विकासखंड के जजावल क्षेत्र से आरंभ होकर ओड़गी के बड़े हिस्से में फैला हुआ है.