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राष्ट्रीय अवार्ड पाने वाले अम्बिकापुर के नागम गांव की जमीनी हकीकत

छत्तीसगढ़ के दो गांवों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. इसमें सरगुजा संभाग का नागम गांव और धमतरी जिले के नगरी पंचायत का सांकरा गांव शामिल है. ईटीवी भारत आज आपको राष्ट्रीय अवार्ड पाने वाले अम्बिकापुर के 'नागम' गांव की जमीनी हकीकत से रू-ब-रू कराने जा रहा है...

Nagam Village
नागम गांव
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Published : Apr 27, 2023, 11:15 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

अम्बिकापुर के नागम गांव की जमीनी हकीकत

अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के लुंड्रा विधानसभा का दूरस्थ गांव नागम इन दिनों चर्चा में हैं. इस गांव को गरीबी उन्मूलन और उन्नत आजीविका के लिए सम्मानित किया गया है. गांव की वास्तविक स्थिति क्या है? इसकी पड़ताल करने ETV भारत की टीम नागम गांव पहुंची. नागम गांव में बड़े बड़े पक्के मकान, दुकान, वाहनों की संख्या एक अलग ही एहसास करा रही थी. करीब 1400 की आबादी वाला ये गांव दूर से ही समृद्ध जान पड़ता है.

खेती पर निर्भर भरण पोषण : ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची, तो सबसे पहले सड़क किनारे एक चलती फिरती दुकान मिली. जैसी शहर के चौपाटी में हुआ करती है. ईटीवी भारत ने दुकानदार से पूछा तो उसने कहा कि वो किसान है. उसका नाम देवराज है. शाम को ठेला लेकर निकलता है. गांव में ही घूमकर सामान बेचता है. उसकी अर्थिक स्थिती ठीक है. गांव में भी लोगों की स्थिति ठीक है. इसके बाद रास्ते में नेतराम से मुलाकात हुई. नेतराम ने बताया कि वो खेती करते है. 6 से 7 एकड़ खेत हैं, जिसमे गन्ना, धान और गेहूं की फसल उगा कर वो अपना भरण पोषण करते हैं. यानी कि इस गांव के लोगों का मूल काम खेती है.

उन्नत खेती सीखकर बढ़ा मुनाफा: आगे ईटीवी भारत की टीम को किराना दुकान दिखा. दुकान में बैठे इंद्रदेव गुप्ता ने बताया कि "8-10 साल से गांव की आर्थिक स्थिती में काफी सुधार हुआ है. ग्राम पंचायत से नरेगा का जॉब कार्ड बना है, जिससे रोजगार मिला, राशन कार्ड बना, स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को काम मिला है. गांव की स्थिति अच्छी है, इसलिए अवार्ड मिला है. गांव वालों के साथ मिलकर पंचायत वालों ने भी परिश्रम किया है, तब जाकर इस गांव को अवार्ड मिला है."

गोबर से खाद बनाकर कमा रही पैसा:आगे गांव की महिला मुन्नी बाई मिली. उसने बताया कि, "खेती और घर गृहस्थी का काम करती हैं. आर्थिक स्थिती ठीक है. गांव के लोगों की भी स्थिती काफी अच्छी है. समूह का काम गांव की अन्य महिलाएं करती हैं." गांव की स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली महिला राम पति ने बताया, "गौठान में 2 रुपये किलो गोबर खरीदकर उसका खाद बनाकर उसको 10 रुपए किलो बेचते हैं. अच्छी आमदनी हो जाती है. घर में भी खेती किसानी होती है. गन्ना, धान, मकई, गेहूं, और टमाटर लगाते हैं, सुविधा मिल गई है, तो गांव के लोग खेती कर रहे हैं. 267 महिला समूह के माध्यम से काम करती हैं."

अवार्ड पाकर गर्वित हैं: गांव के सरपंच भंडारी राम एक रिटायर्ड हेड मास्टर हैं. पढ़े-लिखे सरपंच होने का फायदा भी इस गांव को मिल रहा है. सरपंच भंडारी राम कहते हैं, "दिल्ली में जब अवार्ड मिला तो हम काफी गर्वित हुए. महिलाओं को हम लोगों ने स्व सहायता समूह के माध्यम से जोड़ा, महिला मध्यान्ह भोजन चलाती है. राशन दुकान, गौठान में काम सहित कृषि के कार्य से भी महिलाओं को जोड़ा है."

ग्राम पंचायत ने दी सुविधा: सरपंच बताते हैं, "गांव में 100 फीसद लोगों का मनरेगा जॉब कार्ड बना है. सभी को राशन कार्ड दिलाया गया. 150 प्रधानमंत्री आवास बनवाये गये. 267 महिलाओं को समूह से जोड़ा गया. गांव के लोगों की कमाई का जरिया गन्ने और टमाटर की फसल है. गेहूं की फसल तो आम बात है सभी करते है."

यह भी पढ़ें: Etv bharat Impact: अंबिकापुर में जल्द होगा ट्रामा सेंटर निर्माण और एमआरआई मशीन खरीदी

गन्ने की खेती मुख्य साधन: नागम गांव गन्ना उत्पादन और गुड़ निर्माण के लिये जाना जाता है. यहां गन्ने की फसल अधिक होती है. किसान स्थानीय स्तर पर गन्ने से गुड़ बनाते हैं. यहां का शुद्ध देशी गुड़ बाजार में सीधे बेच दिया जाता है. जिसका मुनाफा लोगों को मिलता है. इसके अलावा गांव के उन्नत होने का सबसे अहम कारण यह है यहां की सिंचाई. इसलिए खेती किसानी से लोग लाभान्वित हैं. यहां की महिलाएं भी स्व सहायता समूह और गौठानों से जुड़कर आत्मनिर्भर हैं.

अम्बिकापुर के नागम गांव की जमीनी हकीकत

अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के लुंड्रा विधानसभा का दूरस्थ गांव नागम इन दिनों चर्चा में हैं. इस गांव को गरीबी उन्मूलन और उन्नत आजीविका के लिए सम्मानित किया गया है. गांव की वास्तविक स्थिति क्या है? इसकी पड़ताल करने ETV भारत की टीम नागम गांव पहुंची. नागम गांव में बड़े बड़े पक्के मकान, दुकान, वाहनों की संख्या एक अलग ही एहसास करा रही थी. करीब 1400 की आबादी वाला ये गांव दूर से ही समृद्ध जान पड़ता है.

खेती पर निर्भर भरण पोषण : ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची, तो सबसे पहले सड़क किनारे एक चलती फिरती दुकान मिली. जैसी शहर के चौपाटी में हुआ करती है. ईटीवी भारत ने दुकानदार से पूछा तो उसने कहा कि वो किसान है. उसका नाम देवराज है. शाम को ठेला लेकर निकलता है. गांव में ही घूमकर सामान बेचता है. उसकी अर्थिक स्थिती ठीक है. गांव में भी लोगों की स्थिति ठीक है. इसके बाद रास्ते में नेतराम से मुलाकात हुई. नेतराम ने बताया कि वो खेती करते है. 6 से 7 एकड़ खेत हैं, जिसमे गन्ना, धान और गेहूं की फसल उगा कर वो अपना भरण पोषण करते हैं. यानी कि इस गांव के लोगों का मूल काम खेती है.

उन्नत खेती सीखकर बढ़ा मुनाफा: आगे ईटीवी भारत की टीम को किराना दुकान दिखा. दुकान में बैठे इंद्रदेव गुप्ता ने बताया कि "8-10 साल से गांव की आर्थिक स्थिती में काफी सुधार हुआ है. ग्राम पंचायत से नरेगा का जॉब कार्ड बना है, जिससे रोजगार मिला, राशन कार्ड बना, स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को काम मिला है. गांव की स्थिति अच्छी है, इसलिए अवार्ड मिला है. गांव वालों के साथ मिलकर पंचायत वालों ने भी परिश्रम किया है, तब जाकर इस गांव को अवार्ड मिला है."

गोबर से खाद बनाकर कमा रही पैसा:आगे गांव की महिला मुन्नी बाई मिली. उसने बताया कि, "खेती और घर गृहस्थी का काम करती हैं. आर्थिक स्थिती ठीक है. गांव के लोगों की भी स्थिती काफी अच्छी है. समूह का काम गांव की अन्य महिलाएं करती हैं." गांव की स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली महिला राम पति ने बताया, "गौठान में 2 रुपये किलो गोबर खरीदकर उसका खाद बनाकर उसको 10 रुपए किलो बेचते हैं. अच्छी आमदनी हो जाती है. घर में भी खेती किसानी होती है. गन्ना, धान, मकई, गेहूं, और टमाटर लगाते हैं, सुविधा मिल गई है, तो गांव के लोग खेती कर रहे हैं. 267 महिला समूह के माध्यम से काम करती हैं."

अवार्ड पाकर गर्वित हैं: गांव के सरपंच भंडारी राम एक रिटायर्ड हेड मास्टर हैं. पढ़े-लिखे सरपंच होने का फायदा भी इस गांव को मिल रहा है. सरपंच भंडारी राम कहते हैं, "दिल्ली में जब अवार्ड मिला तो हम काफी गर्वित हुए. महिलाओं को हम लोगों ने स्व सहायता समूह के माध्यम से जोड़ा, महिला मध्यान्ह भोजन चलाती है. राशन दुकान, गौठान में काम सहित कृषि के कार्य से भी महिलाओं को जोड़ा है."

ग्राम पंचायत ने दी सुविधा: सरपंच बताते हैं, "गांव में 100 फीसद लोगों का मनरेगा जॉब कार्ड बना है. सभी को राशन कार्ड दिलाया गया. 150 प्रधानमंत्री आवास बनवाये गये. 267 महिलाओं को समूह से जोड़ा गया. गांव के लोगों की कमाई का जरिया गन्ने और टमाटर की फसल है. गेहूं की फसल तो आम बात है सभी करते है."

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गन्ने की खेती मुख्य साधन: नागम गांव गन्ना उत्पादन और गुड़ निर्माण के लिये जाना जाता है. यहां गन्ने की फसल अधिक होती है. किसान स्थानीय स्तर पर गन्ने से गुड़ बनाते हैं. यहां का शुद्ध देशी गुड़ बाजार में सीधे बेच दिया जाता है. जिसका मुनाफा लोगों को मिलता है. इसके अलावा गांव के उन्नत होने का सबसे अहम कारण यह है यहां की सिंचाई. इसलिए खेती किसानी से लोग लाभान्वित हैं. यहां की महिलाएं भी स्व सहायता समूह और गौठानों से जुड़कर आत्मनिर्भर हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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