सरगुजा : जिले में लड़कियों के गायब होने का मामला काफी पुराना है. एक ही क्षेत्र से एक एक कर गायब हुई लड़कियों की संख्या आधा दर्जन से अधिक पहुंच गई है. हर मामले में परिजनो ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई. लेकिन बड़े से बड़े मामलों को चुटकियों में सुलझा लेने वाली सरगुजा पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर पाई. सवाल खड़े हो रहे हैं कि पुलिस को सफलता क्यों नही मिली. ग्रामीणों के बयानों और आरोपों से समझते हैं कि आखिर मजरा क्या है.
पुलिस की भूमिका पर सवाल: मामला जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 35 किलोमीटर दूर बिलासपुर गांव का है. इस क्षेत्र में खांडसारी उद्योग (गुड़ बनाने की इकाई) हैं. यहां से बीते 8-9 साल में आधा दर्जन से अधिक लड़कियां गायब हो चुकी हैं. पुलिस के हाथ कुछ सफलता नहीं मिलने पर अब पुलिस और जिला प्रशासन की भूमिका पर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं.
6 साल से लापता है मद्धिम साय की बेटी : बिलासपुर निवासी मद्धिम साय प्रजापति बताते हैं कि "उनकी बेटी पिछले 6 सालों से लापता है. उस समय उसकी उम्र 13 वर्ष थी. बेटी के लापता होने की शिकायत थाने से लेकर कलेक्टर तक की. लेकिन आज तक उसका कोई सुराग नहीं लग सका. पूरा परिवार और गांव के लोग जिंदा या मुर्दा लाने की गुहार लगा रहे हैं."
मिली घर जला देने की धमकी: मद्धिम साय प्रजापति की पत्नी तीजो बाई बताती हैं कि "मेरी लड़की 6 साल से गायब है. जिस दिन वो गायब हुई, उस दिन रोज चलने वाली गुड़ फैक्ट्री बंद थी और वहां का एक कर्मचारी भी गायब था. फिर एक दिन धमकी मिला कि तुम्हारे घर को मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा देंगे."
गुड़ फैक्ट्री के कर्मचारी ले जाते हैं छ्त्तीसगढ़ से बाहर: सामाजिक कार्यकर्ता आस्था महंत ने बताया कि "इस क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक लड़कियां गायब हो चुकी हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पास में बने खांडसारी उद्योग में काम करने आने वाले दूसरे राज्यों के लोग फैक्ट्री में काम करने वाली लड़कियों को अपने चंगुल में फंसा लेते हैं. लड़कियों को बहला-फुसलाकर बाहर ले जाने का काम किया जाता है."
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3 बार छत्तीसढ़ के बाहर तलाश कर चुकी स्पेशल टीम: एडिशनल एसपी सरगुजा विवेक शुक्ला ने बताया कि "मामले में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है. 3 बार छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर टेक्निकल टीम की निशानदेही के आधार पर पुलिस टीम तलाश करने की गई थी. लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई है. अभी भी मामले की जांच जारी है."
संदेह के दायरे में गुड़ फैक्ट्री: घटनाक्रम में सीधे साधे आदिवासी लोग पीड़ित हैं. इन सबके बयानों में एक बात कॉमन है कि जिस दिन गांव से लड़की गायब हुई, उस उस दिन गुड़ फैक्ट्री या कर्मचारी रूम बंद मिला. हर एक लड़की के साथ ही गुड़ फैक्ट्री का एक कर्मचारी भी लापता हुआ. मतलब खांड़सारी उद्योग का इन घटनाओं से कुछ ना कुछ कनेक्शन तो है. कुछ नही तो जांच के दायरे में गुड फैक्ट्री आनी ही चाहिए. लेकिन इसके उलट खांडसारी उद्योग के संचालक के हौसले इतने बुलंद हैं कि ग्रामीणों की ओर से शिकायत किए जाने पर धमकी भी दी जाती है.