राजनांदगांव/डोंगरगांव: सावन महीने के लगते ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस महीने में प्रकृति और परमेश्वर दोनों के भक्ति और आराधना का बहुत ज्यादा महत्व है. एक ओर जहां इस माह में भगवान शंकर की अपार कृपा बरसती है. वहीं दूसरी ओर भगवान राधाकृष्ण की भक्ति भी चारों तरफ दिखाई देती है. हरियाली तीज से ही नगर सहित क्षेत्र के मंदिरों और भक्तों के अपने घरों में झूला स्थापना करने की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की प्रतिमा विराजमान होती है.
नगर में बहुत सारे मंदिर हैं, जिनमें प्रमुख रूप से राधा-कृष्ण मंदिर (किला मंदिर), ठाकुर जुगलकिशोर जमात मंदिर, दुर्गा मंदिर, संजय चौक स्थित बोधीटोला राधाकृष्ण मंदिर मंदिर शामिल हैं, जहां हर साल सावन के महीने में झूला उत्सव को बड़े उत्साह, उमंग और धूमधाम से मनाया जाता था. इस दौरान मंदिरों में रामनाम सप्ताह, अखंड रामायण पाठ और सावन महात्म का परायण जैसे अनेक धार्मिक आयोजन किए जाते थे. वहीं इस दौरान मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था.
शासन के दिशा-निर्देशों के कारण मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं भक्त
चारों तरफ भक्ति की अविरल धारा बहती थी, लेकिन इस बार कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए और प्रशासन की बंदिशों की वजह से मंदिरों की रौनक श्रद्धालुओं के अभाव में पूरी तरह गायब है. प्रशासन की सख्ती के कारण लाउडस्पीकरों से गुंजाने वाली भक्ति संगीत भी कोरोना के भेंट चढ़ गई है. वहीं मंदिरों में भगवान और भक्तों के बीच की दूरी काफी बढ़ गई है. मंदिरों में सावन झूला उत्सव पूरी तरह फीका नजर आ रहा है. श्रद्धालुओं की मानें तो शासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के पालन और कड़ाई के कारण अधिकांश भक्तजन मंदिर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
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लोक कथाओं के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था. प्रत्येक सोमवार को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. आज के दिन पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी, जो पृथ्वी पर नहीं है. इसलिए आज के दिन बाबा भोले की जल और बेलपत्र से पूजा-अर्चना करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. आज शुक्ल सप्तमी भी है और सोमवारी भी जो भक्तों के लिए काफी कल्याणकारी है. बाबा भोले की पूजा-अर्चना करने से धन, वैभव, आरोग्यता से लोग परिपूर्ण होते हैं.