राजनांदगांव: डोंगरगढ़ नगर पालिका परिषद के नए CMO ने पहले अवैध करार हुए 6 विकास कार्यों का दोबारा टेंडर निकाला दिया है. बता दें, डोंगरगढ़ नगर पालिका के पूर्व कार्यकाल में अध्यक्ष निधि से किए गए 6 विकास कार्यों को अवैध करार घोषित किया गया था. आरोप था कि बिना टेंडर निकाले ही सभी निर्माण कार्य पूरे कर लिए गए और मामला उजागर होने के बाद आनन-फानन में निविदा का प्रकाशन कर लीपापोती की गई. उन्हीं अवैध कार्यों का फिर से दोबारा टेंडर निकाला गया है. जबकि पूर्व कार्यकाल में इन्हीं विकास कार्यों को प्रशासन ने अवैध करार दे दिया था.
डोंगरगढ़ नगर पालिका हमेशा भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियों में रहा है. इस बार तो CMO ने प्रशासन के आदेश को ही ठेंगा दिखा दिया. दरअसल पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल में जो फर्जी टेंडर निकालकर काम करवाया गया था. उसे प्रशासन ने अवैध करार देकर निरस्त कर दिया था, क्योंकि टेंडर निकालने से पहले ही सभी काम पूरे हो गए थे. ऐसे में सभी कार्यों के भुगतान को रोकने के आदेश जारी किए गए थे. साथ ही उस काम को प्रशासन ने अवैध करार कर दिया था, लेकिन नगर पालिका में सत्ता परिवर्तन के बाद नियमों को ताक में रखकर CMO हेमशंकर देशलहरा और इंजीनियर विजय मेहरा ने निवेदा समिति पूरी किए बिना ही उसी अवैध कार्यों के लिए फिर से टेंडर जारी कर दिया हैं.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
पूरे हो चुके निर्माण कार्यों का वर्तमान CMO ने फिर से टेंडर निकाला दिया है, लेकिन बिल भुगतान होने से पहले ही मामले का खुलासा हो गया. जांच कमेटी ने भी 6 कार्यों के निर्माण को गलत बताया था. बावजूद इसके आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए संबंधित अफसरों पर कार्रवाई के बजाय संरक्षण दिया गया था. अब वहीं गलती वर्तमान CMO ने फिर की है.
पढ़ें: धमतरी: सीएम भूपेश के बर्थडे पर जमकर थिरके कांग्रेसी, कोरोना खतरा को किया अनदेखा
पूर्व कार्यकाल में विकासकार्यों के लिए 19 लाख 38 हजार रुपए का टेंडर निकाला गया था, लेकिन वहीं 6 कार्यों का निर्माण सितंबर 2019 में पूरा हो गया था. उसके बाद चुपके से टेंडर निकालकर औपचारिकता पूरी की गई थी, लेकिन प्रशासन की जांच में सभी कार्य अवैध घोषित हो गए और भुगतान पर रोक लगा दी गई.
पढ़ें: सूरजपुर: ग्रामीणों का वन अमले पर आरोप, कहा- 'विभाग की लापरवाही से जा रही हाथियों की जान'
वहीं गलती को साल भर बाद वर्तमान CMO ने दोहराया और छह में से पांच कार्यों के लिए करीब 16 लाख का टेंडर निकालकर अखबार में प्रकाशन करा दिया, जो कि अब जांच का विषय है. इसके लिए जांच टीम भी गठित कर दी गई है. एसडीएम अविनाश भोई ने बताया कि उन्हें पूर्व में अवैध हुए कार्यों के टेंडर निकालने की जानकारी मिली है, जो की पूरी तरह से गलत है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो टेंडर निकाले गए हैं उसकी जांच के लिए अफसरों की टीम गठित कर दी गई है. जांच टीम से रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
गुणवत्ता जांचने मौके पर गए ही नहीं अफसर
सभी 6 निर्माण कार्य जब शहर में चल रहे थे, तब नगर पालिका के अफसर मौके पर गए ही नहीं और न ही उन्होंने गुणवत्ता जांची. अब सवाल यह उठता है कि जब कार्य बिना टेंडर के चल रहे थे तो अवैध करार क्यों नहीं दिया गया. इससे साफ है कि निर्माण कार्य की जानकारी मिलने के बाद भी नगर पालिका के जिम्मेदार चुप्पी साधे रहे. जबकि टेंडर से ठीक पहले ही उधारी पुलिया के पास चल रहे दीवार सौंदर्यीकरण का काम निर्माण के दौरान ही गिर गया था. तब तत्कालीन CMO ने सुभाष दीक्षित ठेकेदार से दोबारा निर्माण कराने की बात कही थी.
पूर्व कार्यकाल के बाद अब फिर वैसा ही घोटाला
20 सितंबर 2019 को आनन-फानन में निवेदा का प्रकाशन कराया गया था, जिसके बाद 14 अक्टूबर को जांच कमेटी बनी थी. जांच कमेटी ने सभी निर्माण कार्यों को अवैध बताया था. वहीं 28 नवंबर को जांच रिपोर्ट आई थी, जिसके बाद भी आरोपियों खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय क्लीन चिट दे दी गई. वहीं 19 मई 2020 को वर्तमान CMO ने इन्हीं अवैध करार हुए कार्यों के लिए फिर से टेंडर निकाला दिया, जिसकी शिकायत के बाद अब जांच कमेटी बनाई गई है. इसमें आरईएस पीडब्ल्यूडी राजस्व के अफसरों को जांच की जिम्मेदारी दी गई है.