राजनांदगांव : दिवाली का पर्व लोगों के जीवन में खुशियां लाता है. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना होती है.ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की रात्रि को माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं.इसलिए माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भक्त दिवाली के दिन माता की आराधना करते हैं.बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो यहां भी माता लक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है. प्रदेश की संस्कारधानी राजनांदगांव में माता लक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में दिवाली के दिन भक्त विशेष पूजा करते हैं.
56 पकवानों का लगता है भोग : दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने के लिए हजारों की भीड़ इकट्ठा होती है.राजनांदगांव शहर के सदर लाइन में महालक्ष्मी के इस भव्य मंदिर में पूजन की विशेष तैयारी की जाती है.धन संपदा की देवी का आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है.माता को नए वस्त्र पहनाकर विशेष आरती का आयोजन होता है.
हजारों की संख्या में दीए जलाकर माता से मांगा आशीर्वाद : भक्त लक्ष्मी पूजा करने के लिए लंबी लाइन में खड़े रहते हैं.मुहूर्त के अनुसार माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं.दिवाली के दिन महालक्ष्मी मंदिर में भक्तों ने पूजा अर्चना की.इस दौरान भक्तों ने हजारों की संख्या में दीपक जलाकर माता के मंदिर को सजाया. भक्तों माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद माता से सुख और समृद्धि का आशीर्वाद लिया.
जिले में एकमात्र महालक्ष्मी मंदिर : राजनांदगांव जिले में महालक्ष्मी का ये मंदिर इकलौता है. आजादी से पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी.उस दौरान मंदिर का आकार काफी छोटा था.लेकिन साल 1993 में शाकद्विपीय ब्राह्मण समाज ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.इसके बाद राजस्थान के जयपुर से प्रतिमा मंगवाकर राजनांदगांव में प्रतिमा की स्थापना की गई.