राजनांदगांव : वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है. इस दौरान जरूरी चीजों को छोड़कर सभी सेवाएं बंद हैं. इस दौरान सरकारी सहायता के अलावा कई निजी संस्थान और लोग भी जरूरतमंदों और मजदूरों की सहायता कर रहे हैं, लेकिन डोंगरगढ़ में स्थित एक स्लीपर फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों ने लॉकडाउन के दौरान मैनेजमेंट पर शोषण करने का आरोप लगाया है.
मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री मे कोई भी नियम लागू नहीं होता है. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्य के भी मजदूर यहां काम कर रहे हैं, जिनसे बंधुआ की तरह काम लिया जा रहा है. मजदूरों का आरोप है कि उनसे काम लेने के बाद उनका वेतन भी नहीं के बराबर दिया जा रहा है. इससे आक्रोशित मजदूरों ने क्षेत्रीय विधायक भुनेश्वर बघेल के साथ मिलकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है और न्याय की गुहार लगाई है.
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स्लीपर फैक्ट्री में कार्यरत मजदूरों को वेतन देने में देरी के साथ ही उनके वेतन में कटौती किए जाने का आरोप है. दूसरी ओर डोंगरगढ़ में बेरोजगारी इतनी है कि ग्रामीणों को परिवार के पालन-पोषण के लिए अन्य राज्यों में जाना पड़ता है. वहीं यहां की फैक्ट्री में भी काम करने के लिए दूसरे राज्यों से मजदूर आते हैं, जिनका फायदा फैक्ट्री मालिक उठा रहे हैं.
फैक्ट्री मालिक कर रहे हैं सरकारी आदेश का उल्लंघन
मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्री में काम जारी है, लेकिन पेमेंट ठीक से नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 4 अप्रैल से वे फैक्ट्री में काम कर रहे हैं और उन्हें सिर्फ 3 हजार 750 रुपए दिया गया है, जिसके कारण उनके सामने परिवार चलाने की दिक्कत हो गई है. जानकारी के मुताबिक, फैक्ट्री में स्टाफ वर्ग को पूरा वेतन दिया जा रहा है और मजदूरों को वेतन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने का आरोप है. जबकि लॉकडाउन के दौरान जून तक किसी भी मजदूर का वेतन नहीं काटने के आदेश सरकार ने जारी किए हैं, लेकिन फैक्ट्री मालिक इसका उल्लंघन कर रहे हैं.