राजनांदगांव: लॉकडाउन लागू होने के बाद पड़ोसी राज्यों में पलायन कर मजदूरी करने गए लोग लगातार जिले में लौट रहे हैं, लेकिन बॉर्डर पर ही उन्हें सरकारी आदेश के कारण रोक दिया गया है. हालांकि यह सरकारी आदेश ही लोगों के लिए कहीं मौत का कारण ना बन जाए, ये भी आशंका सती रही है, क्योंकि यहां पहुंचे लोगों के लिए जिला प्रशासन कोई भी व्यवस्था नहीं कर पाया है. तकरीबन 3 दिन से लोग परेशान हैं और खाना सहित रहने की समस्या से जूझ रहे हैं, बावजूद इसके प्रशासन ने इन्हें रोके रखा है. इनकी समस्याओं को हल करने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गई है.
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा पर लॉकडाउन के कारण लगी नाकेबंदी में फंसे सैकड़ों लोगों का कहना है कि हम कोराेना वायरस से नहीं, बल्कि इस हालात से ही दम तोड़ देंगे. बॉर्डर पर चार दिन से फंसे लोगों ने मंगलवार को लंबे समय तक धरना दिया. महाराष्ट्र से लगी सीमा पर ऐसी नाकेबंदी की गई है कि कोई भी इस पार नहीं आ सकता. स्थिति ये है कि बाग नदी के पास बॉर्डर पर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई हैं.
कलेक्टर ने छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर का लिया जायजा
जिला प्रशासन अपने स्तर पर लगा हुआ है. बुधवार को कलेक्टर ने अपनी टीम के साथ छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर पहुंचकर जायजा लिया. बाग नदी के स्कूल में कुछ लोगों को ठहराया गया है, लेकिन यहां सोने के लिए बेड तक नहीं है. लोगों को स्कूल के टेबल का उपयोग करना पड़ रहा है.
सीमा पर फंसे लोगों ने किया चक्काजाम
बता दें कि बाग नदी में फंसे बाहरी लाेगों ने तीन घंटे तक चक्काजाम किया. यहां झारखंड जाने वाले करीब 250 लोगों सहित 700 लोग चार दिन से फंसे हुए हैं. प्रशासन ने इन्हें रोका तो है लेकिन सुविधा नहीं दी है.