राजनांदगांव: राजनीति में सत्ता हथियाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी तरह के प्रपंच रचे जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव में देखने को मिला. उस वक्त खरीद-फरोख्त का यह मामला चर्चा का विषय था.
दरअसल, राजनांदगांव जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद हथियाने के लिए भाजपा के ही अध्यक्ष पद की उम्मीदवार प्रेमबाई मंडावी को ढाई लाख रुपए देकर कांग्रेस में प्रवेश कराया गया था.
दूसरे ही दिन बीजेपी में लौट प्रेमबाई
इस सियासी घटनाक्रम की पूरे राज्य में चर्चा रही. इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर लगातार आरोप भी लगते रहे. हालांकि रुपए के लेन-देन की बात की पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन इसका असर ये हुआ कि दूसरे दिन ही प्रेमबाई भाजपा में लौट आई.
बीजेपी को मिला था जनादेश
यह ऐसा वक्त था जब विधानसभा चुनाव में बेहतर रिस्पॉन्स मिलने के बाद भाजपा जिला पंचायत चुनाव में फोकस कर रही थी. प्रेमबाई मंडावी साल 2000 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चित नाम थीं. भाजपा ने जिला पंचायत के चुनाव में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था. प्रेमबाई एसटी वर्ग से आती थीं और इस कैटेगरी से उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की और जिला पंचायत पहुंची. उस वक्त जिला पंचायत अध्यक्ष का पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित था. जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित होने की वजह से भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए प्रेमबाई मंडावी को प्रत्याशी घोषित किया. कांग्रेस सदस्यों की ओर से क्रॉस वोटिंग हुई और प्रेमबाई मंडावी अध्यक्ष चुनी गई. 1 मार्च 2000 से मई 2004 तक उनका कार्यकाल रहा.
बीजेपी ने प्रेमबाई को केंद्रीय नेतृत्व में भेजा
साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बेहतर रणनीति बनाई थी. इस रणनीति का मास्टरमाइंड पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को कहा जा रहा था. जिला पंचायत की सत्ता हथियाने के लिए मंडावी की खरीद-फरोख्त की बातें भी सामने आई, उनके कांग्रेस प्रवेश की घोषणा भी की गई. हालांकि वे दूसरे दिन भाजपा में लौट आईं. इस बीच भाजपा ने उन्हें केंद्रीय नेतृत्व में बतौर राष्ट्रीय आदिवासी आयोग का सदस्य भी बनाया.
'लगातार हुआ है उलटफेर'
वरिष्ठ पत्रकार खेमराज वर्मा का कहना है कि 'जिला पंचायत राजनांदगांव के चुनाव में हमेशा से ही उलटफेर होते रहे हैं. हर बार कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है. साल 2000 में हुए जिला पंचायत चुनाव में नजर डालें, तो भाजपा समर्थित प्रत्याशी प्रेमबाई को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस में प्रवेश कराने में कामयाब, तो रहे लेकिन भाजपा अपनी तगड़ी राजनीति से दूसरे ही दिन उन्हें भाजपा में वापस ले आई. लिहाजा इस बार भी कांग्रेस की रणनीति में उलटफेर होने की काफी संभावनाएं हैं.