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चुनावी किस्से: जब भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष पद की उम्मीदवार प्रेमबाई की हुई घर वापसी - राजनांदगांव

राजनीति में सत्ता हथियाने के लिए किए जाने वाले प्रपंच हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला राजनांदगांव में साल 2000 में हुआ, जब जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद हथियाने के लिए भाजपा के ही अध्यक्ष पद की उम्मीदवार प्रेमबाई मंडावी को ढाई लाख रूपए देकर कांग्रेस में प्रवेश कराया गया, लेकिन दूसरे ही दिन वो बीजेपी में वापस लौट आई.

Prem Bai Mandavi was the topic of discussion in Rajnandgaon
प्रेम बाई मंडावी की घर वापसी
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Published : Jan 20, 2020, 11:56 PM IST

राजनांदगांव: राजनीति में सत्ता हथियाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी तरह के प्रपंच रचे जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव में देखने को मिला. उस वक्त खरीद-फरोख्त का यह मामला चर्चा का विषय था.

बीजेपी की प्रेमबाई मंडावी की घर वापसी का किस्सा

दरअसल, राजनांदगांव जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद हथियाने के लिए भाजपा के ही अध्यक्ष पद की उम्मीदवार प्रेमबाई मंडावी को ढाई लाख रुपए देकर कांग्रेस में प्रवेश कराया गया था.

दूसरे ही दिन बीजेपी में लौट प्रेमबाई

इस सियासी घटनाक्रम की पूरे राज्य में चर्चा रही. इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर लगातार आरोप भी लगते रहे. हालांकि रुपए के लेन-देन की बात की पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन इसका असर ये हुआ कि दूसरे दिन ही प्रेमबाई भाजपा में लौट आई.

बीजेपी को मिला था जनादेश

यह ऐसा वक्त था जब विधानसभा चुनाव में बेहतर रिस्पॉन्स मिलने के बाद भाजपा जिला पंचायत चुनाव में फोकस कर रही थी. प्रेमबाई मंडावी साल 2000 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चित नाम थीं. भाजपा ने जिला पंचायत के चुनाव में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था. प्रेमबाई एसटी वर्ग से आती थीं और इस कैटेगरी से उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की और जिला पंचायत पहुंची. उस वक्त जिला पंचायत अध्यक्ष का पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित था. जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित होने की वजह से भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए प्रेमबाई मंडावी को प्रत्याशी घोषित किया. कांग्रेस सदस्यों की ओर से क्रॉस वोटिंग हुई और प्रेमबाई मंडावी अध्यक्ष चुनी गई. 1 मार्च 2000 से मई 2004 तक उनका कार्यकाल रहा.

बीजेपी ने प्रेमबाई को केंद्रीय नेतृत्व में भेजा

साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बेहतर रणनीति बनाई थी. इस रणनीति का मास्टरमाइंड पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को कहा जा रहा था. जिला पंचायत की सत्ता हथियाने के लिए मंडावी की खरीद-फरोख्त की बातें भी सामने आई, उनके कांग्रेस प्रवेश की घोषणा भी की गई. हालांकि वे दूसरे दिन भाजपा में लौट आईं. इस बीच भाजपा ने उन्हें केंद्रीय नेतृत्व में बतौर राष्ट्रीय आदिवासी आयोग का सदस्य भी बनाया.

'लगातार हुआ है उलटफेर'

वरिष्ठ पत्रकार खेमराज वर्मा का कहना है कि 'जिला पंचायत राजनांदगांव के चुनाव में हमेशा से ही उलटफेर होते रहे हैं. हर बार कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है. साल 2000 में हुए जिला पंचायत चुनाव में नजर डालें, तो भाजपा समर्थित प्रत्याशी प्रेमबाई को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस में प्रवेश कराने में कामयाब, तो रहे लेकिन भाजपा अपनी तगड़ी राजनीति से दूसरे ही दिन उन्हें भाजपा में वापस ले आई. लिहाजा इस बार भी कांग्रेस की रणनीति में उलटफेर होने की काफी संभावनाएं हैं.

राजनांदगांव: राजनीति में सत्ता हथियाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी तरह के प्रपंच रचे जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव में देखने को मिला. उस वक्त खरीद-फरोख्त का यह मामला चर्चा का विषय था.

बीजेपी की प्रेमबाई मंडावी की घर वापसी का किस्सा

दरअसल, राजनांदगांव जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद हथियाने के लिए भाजपा के ही अध्यक्ष पद की उम्मीदवार प्रेमबाई मंडावी को ढाई लाख रुपए देकर कांग्रेस में प्रवेश कराया गया था.

दूसरे ही दिन बीजेपी में लौट प्रेमबाई

इस सियासी घटनाक्रम की पूरे राज्य में चर्चा रही. इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर लगातार आरोप भी लगते रहे. हालांकि रुपए के लेन-देन की बात की पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन इसका असर ये हुआ कि दूसरे दिन ही प्रेमबाई भाजपा में लौट आई.

बीजेपी को मिला था जनादेश

यह ऐसा वक्त था जब विधानसभा चुनाव में बेहतर रिस्पॉन्स मिलने के बाद भाजपा जिला पंचायत चुनाव में फोकस कर रही थी. प्रेमबाई मंडावी साल 2000 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चित नाम थीं. भाजपा ने जिला पंचायत के चुनाव में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था. प्रेमबाई एसटी वर्ग से आती थीं और इस कैटेगरी से उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की और जिला पंचायत पहुंची. उस वक्त जिला पंचायत अध्यक्ष का पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित था. जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित होने की वजह से भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए प्रेमबाई मंडावी को प्रत्याशी घोषित किया. कांग्रेस सदस्यों की ओर से क्रॉस वोटिंग हुई और प्रेमबाई मंडावी अध्यक्ष चुनी गई. 1 मार्च 2000 से मई 2004 तक उनका कार्यकाल रहा.

बीजेपी ने प्रेमबाई को केंद्रीय नेतृत्व में भेजा

साल 2000 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बेहतर रणनीति बनाई थी. इस रणनीति का मास्टरमाइंड पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को कहा जा रहा था. जिला पंचायत की सत्ता हथियाने के लिए मंडावी की खरीद-फरोख्त की बातें भी सामने आई, उनके कांग्रेस प्रवेश की घोषणा भी की गई. हालांकि वे दूसरे दिन भाजपा में लौट आईं. इस बीच भाजपा ने उन्हें केंद्रीय नेतृत्व में बतौर राष्ट्रीय आदिवासी आयोग का सदस्य भी बनाया.

'लगातार हुआ है उलटफेर'

वरिष्ठ पत्रकार खेमराज वर्मा का कहना है कि 'जिला पंचायत राजनांदगांव के चुनाव में हमेशा से ही उलटफेर होते रहे हैं. हर बार कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है. साल 2000 में हुए जिला पंचायत चुनाव में नजर डालें, तो भाजपा समर्थित प्रत्याशी प्रेमबाई को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस में प्रवेश कराने में कामयाब, तो रहे लेकिन भाजपा अपनी तगड़ी राजनीति से दूसरे ही दिन उन्हें भाजपा में वापस ले आई. लिहाजा इस बार भी कांग्रेस की रणनीति में उलटफेर होने की काफी संभावनाएं हैं.

Intro:राजनांदगांव राजनीति में सत्ता हथियाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी प्रपंच किए जाते हैं यह बात अक्सर सुनने को मिल जाती है लेकिन सन 2000 में राजनांदगांव के जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद हथियाने के लिए भाजपा के ही अध्यक्ष पद की उम्मीदवार प्रेम बाई मंडावी को ढाई लाख रूपए देकर कांग्रेस प्रवेश किए जाने का मामला पूरे राज्य भर में चर्चा का विषय रहा मामले को लेकर के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर लगातार आरोप भी लगते रहे हालांकि रुपयों के लेनदेन की बात की पुष्टि नहीं हो सकी लेकिन इसका असर ऐसा हुआ कि दूसरे दिन ही प्रेम भाई मंडावी भाजपा में लौट आई.
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बस यही से जिला पंचायत की सन 2000 की बॉडी में बड़ा उलटफेर सामने आया यह वक्त था जब विधानसभा चुनाव में बेहतर रिस्पॉन्स मिलने के बाद भाजपा जिला पंचायत चुनाव में फोकस कर रही थी प्रेम बाई मंडावी सन 2000 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चित नाम थी भाजपा ने प्रेम बाई को सन 2000 में जिला पंचायत के चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था प्रेम बाई एसटी वर्ग से आती थी और इसी कैटेगरी से उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की और जिला पंचायत पहुंची उस वक्त जिला पंचायत अध्यक्ष का पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित था जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित होने की वजह से भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए प्रेम भाई मंडावी को प्रत्याशी घोषित किया इस बार भी कांग्रेस सदस्यों की ओर से क्रास वोटिंग हुई और प्रेम भाई मंडावी अध्यक्ष चुनी गई 1 मार्च 2000 से मई 2004 तक उनका कार्यकाल रहा.

भाजपा ने भेजा केंद्रीय नेतृत्व में

सन 2000 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बेहतर रणनीति तैयार की थी इस रणनीति में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को मास्टरमाइंड कहा जा रहा था जिला पंचायत की सत्ता हथियाने के लिए प्रेम बाई मंडावी की खरीद-फरोख्त की बातें भी सामने आई उनके कांग्रेस प्रवेश की घोषणा भी की गई हालांकि वे दूसरे दिन भाजपा में लौट आई इस बीच भाजपा ने केंद्रीय नेतृत्व में बतौर राष्ट्रीय आदिवासी आयोग का सदस्य भी उन्हें बनाया.Conclusion:लगातार हुआ है उलटफेर
वरिष्ठ पत्रकार खेमराज वर्मा का कहना है कि जिला पंचायत राजनांदगांव के चुनाव में हमेशा से ही उलटफेर होते आया है हर बार कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है सन 2000 में हुए जिला पंचायत चुनाव में नजर डाले तो भाजपा समर्थित प्रत्याशी प्रेम भाई मंडावी को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेसमें प्रवेश कराने में तो कामयाब रहे लेकिन भाजपा अपनी तगड़ी राजनीति से दूसरे ही दिन उन्हें भाजपा में वापस ला लिया और अध्यक्ष पद तक भी ले जाने में कामयाब रही क्रास वोटिंग के चलते प्रेम बाई मंडावी को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी मिली और इसके बाद भाजपा ने उन्हें केंद्रीय आदिवासी आयोग का सदस्य भी बनाया पत्रकार वर्मा का कहना है कि वर्तमान में भी हो रहे चुनाव में कांग्रेस की रणनीति में उलटफेर होने की काफी संभावनाएं हैं. जो की थी ठीक 2000 में हुए जिला पंचायत के चुनाव जैसा ही दिखाई दे रहा है
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