राजनांदगांव: कोरोना काल में भी लोग आपदा में अवसर ढूंढने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी बीच खैरागढ़ से शराब दुकान का पैसा ब्याज में चलाए जाने का मामला सामने आया है. जिसपर खैरागढ़ थाने में शिकायत दर्ज की गई है. जानकारी के मुताबिक खैरागढ़ थाना अंतर्गत शराब दुकानों में रोजाना पैसा का कलेक्शन कर बैंक में जमा किया जाता था. इसी बीच शराब दुकान के करीब 32 लाख रुपये को ब्याज में देने का मामला सामने आया है.
32 लाख की हेराफेरी
जानकारी के मुताबिक शराब दुकान का पैसा कलेक्शन करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एजेंसी को इसका काम दिया है. इसी के तहत खैरागढ़ में भी एक एजेंसी को इसका काम दिया गया है. सूत्र बता रहे हैं कि ये काम सीएमसी कंपनी को दिया गया था. यहां पदस्थ कर्मचारी ने करीब 32 लाख रुपये ब्याज में किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया है. जिस पर कंपनी ने अपने कर्मचारी जिसका नाम अखिलेश सोनी बताया जा रहा है, उसके खिलाफ थाने में शिकायत की है. शिकायत के आधार पर जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई है.
ऐसे हुआ गड़बड़ी का खुलासा
शराब दुकान के पैसे को रोटेशन में बैंक में जमा किया जाता था. रोज का कलेक्शन लाखों में रहता था. रोटेशन में पैसा जमा होने के कारण यह पता नहीं चल पा रहा था कि बीच में की गई गड़बड़ी के पैसे कहां है. करीब दो महीने के लॉकडाउन के दौरान बैंक में पैसा जमा नहीं हुआ. करीब 32 लाख रुपये का हिसाब नहीं मिलने पर बैंक कर्मचारियों ने इसकी जांच शुरू की. तो पता चला कि कंपनी के कर्मचारी ने करीब 32 लाख रुपये की हेराफेरी की है. जिसकी शिकायत करने पर पता चला कि कर्मचारी अखिलेश सोनी ने उक्त 32 लाख रुपये अपने पहचान वालों को ब्याज में दिया है. अखिलेश के पैसे वापस मांगने पर सामने वाली पार्टी ने हाथ खड़े कर दिए.
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आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज
खैरागढ़ थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, शराब दुकान के पैसे का कलेक्शन कर बैंक में जमा नहीं होने की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ शिकायत हुई है. बताया जा रहा है कि आरोपी अखिलेश सोनी ने करीब 32 लाख रुपये की हेराफेरी करते हुए अमानत में खयानत का काम किया है.
सेफ हैं पैसे: आबकारी आयुक्त
राजनांदगांव सहायक आबकारी आयुक्त नवीन प्रताप तोमर का कहना है कि पैसा सेफ है. जिस एजेंसी को यह काम दिया गया है, उसकी जवाबदेही होती है कि वह पैसे को बैंक में जमा कराए. शराब दुकान से पैसा कलेक्शन करके एजेंसी की ओर से हमें रिसिप्ट दी जाती है. इसके बाद की जबावदारी उस एजेंसी की होती है. यदि बैंक में पैसा जमा नहीं होता है तो उसकी रिकवरी एजेंसी से की जाती है.