रायपुर: हर साल 17 नवंबर को प्रिमेच्योरिटी डे रूप (World Prematurity Day) में मनाया जाता है. इस दिन प्रिमेच्योर बर्थ यानी समय से पहले जन्म पर बात होती है. इससे जुड़ी समस्याओं और भविष्य में बच्चे को होने वाली दिक्कतों पर बात होती है. बता दें कि जब किसी बच्चे का जन्म निर्धारित तिथि से कम से कम 3 हफ्ते पहले हो जाता है, तो इस स्थिति को प्रिमेच्योर बर्थ कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो जब किसी बच्चे का जन्म गर्भकाल का 37वां सप्ताह शुरू होने से पहले हो जाता है तो उसे समय पूर्व जन्म या प्रिमेच्योर बर्थ कहा जाता है. जो बच्चे समय से पूर्व पैदा हो जाते हैं, खासतौर पर नियत तिथि से बहुत पहले जन्म लेने वाले बच्चों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. समयपूर्व हुए बच्चों को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है. बच्चे का जन्म जितना जल्दी होगा, उसमें उतनी ही ज्यादा समस्याएं होती हैं.
समस्याएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि बच्चे का जन्म कितने पहले हुआ है...
- लेट प्रिटर्म का मतलब ऐसे बच्चों से है, जिनका जन्म गर्भधारण के 34 से 36 हफ्तों के बीच होता है.
- मॉडरेट प्रिटर्म, जब बच्चे का जन्म गर्भधारण के 32 से 34 हफ्तों के बीच होता है.
- जब बच्चा गर्भवास्था के 32वें सप्ताह से पहले पैदा हो जाता है तो ऐसी डिलिवरी को वेरी प्रीटर्म कहा जाता है.
- जब बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 25 सप्ताह या उससे पहले होता है तो ऐसी स्थिति को एक्सट्रीमली प्रीटर्म कहते हैं.
- ज्यादातर प्रीमेच्योर जन्म लेट प्रीटर्म स्टेज में होते हैं. यानी 34 से 36 सप्ताह के बीच में होते हैं और यही वजह है कि उनमें स्वास्थ्य समस्याएं भी कम होती हैं.
ऐसे रखें प्रीमैच्योर बच्चों का ख्याल...
- प्रीमैच्योर बच्चों को जब आप अस्पताल से घर लाते हैं, तो उनमें इन्फेशन होने का खतरा भी कम हो जाता है, जो मां-बाप और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है. साथ ही बच्चे खुद से फीड करना सीखते हैं और परिवार लोगों के साथ बॉन्डिंग बढ़ती है.
- प्रीमैच्योर बेबी के लिए स्तनपान लाभदायक होता है. जैसा कि हम जानते हैं कि स्तनपान कराना मां बनने का सबसे अहम हिस्सा है. इसके कई फायदे भी हैं, इसमें पोषण और विटामिन्स की मात्रा उच्च होती है, जो प्रीमैच्योर बच्चे की ग्रोथ में तेजी लाएंगे और उसे जल्द हेल्दी बनाएंगे.
- स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट को प्रीमैच्योर बच्चे के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज माना गया है. आप इसके लिए बच्चे को नैपी पहनाकर उसे अपने सीने पर आराम करने दें. इससे बच्चा सुरक्षित महसूस करता है. इसके कई फायदे देखे गए हैं, जिनमें दर्द या तनाव का कम होना जो बच्चा महसूस कर रहा हो. इससे दिल की धड़कने और श्वसन में भी सुधार होता है.
- प्रीमैच्योर बेबी के लिए अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी होता है. नींद उनके विकास और सेहत में मदद करती है. जब बच्चा सो रहा हो, तो सुनिश्चित करें कि पेट के बल न सो रहा हो. साथ ही फ्लैट स्तह पर बिना किसी तकिए के सुलाएं.
- जन्म के कुछ बाद तक बच्चे को घर पर रखना ही सही है, इससे वे कई इन्फेक्शन से बचेंगे. हालांकि, डॉक्टर के पास ले जाना एक अलग बात है, रोजाना चेकअप जरूर करवाएं. शुरुआती महीनों में बच्चे की अच्छी सेहत के लिए उसे एक साफ और सुरक्षित जगह पर ही रखें. बाहर के लोगों से भी मिलना जुलना कम ही रखें.