रायपुर: एनसीआरबी 2021 के रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि छत्तीसगढ़ में 22 हजार से अधिक महिलाएं गायब हुई है. ये आंकड़ा सचमुच चौंकाने वाला है. महिलाओं के गायब होने के मामले में छत्तीसगढ़ टॉप 10 में शामिल है. गायब होने के बाद कई महिलाएं पुलिस और प्रशासन की मदद से घर वापस आ गई. हालांकि बहुत सी महिलाएं आज भी गायब है, जिनका कोई अता-पता नहीं.
नौकरी का लालच देकर होती है तस्करी: ज्यादातर मामलों में वो ही महिलाएं गायब होती है, जो नौकरी पाने के झांसे में आकर शहर के बाहर जाने को तैयार हो जाती है. सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा कहती हैं, " आज चकाचौंध की जिंदगी हर कोई जीना चाहता है. इसी चकाचौंध को दिखाकर लड़कियों और महिलाओं को कुछ लोग ले जाते हैं. उन्हें अच्छी नौकरी का भरोसा देते हैं. नौकरी के लालच में इनको देश के अन्य राज्यों सहित विदेश ले जाया जाता है. नौकरी के नाम पर इनसे बंधुआ मजदूरी कराई जाती है. कई मामलों में महिलाओं को मुक्त करया जाता है, लेकिन सभी महिलाओं की घर वापसी नहीं हो पाती. कितनों का तो पता भी नहीं चलता है."
प्रेम जाल में फंसकर बनती है शिकार: युवतियां उम्र के एक पड़ाव में पहुंचकर वो गलती कर बैठती है, जिसका परिणाम उसके भविष्य को अंधकार में ले जाता है. अक्सर देखा जाता है कि युवतियों को प्रेम जाल में फंसाकर या फिर शादी का झांसा देकर घर से भगाया जाता है. बाद में उसे बेच दिया जाता है. ऐसी महिलाएं देह व्यापार में धकेल दी जाती है, जिसका बाहर आना लगभग नामुमकिन होता है. हालांकि ऐसे मामलों में भी कुछ महिलाओं को इस दलदल से निकाल लिया जाता है. लेकिन ऐसे मामलों में भी 100 फीसद वापसी नहीं होती है.
पुलिस की लापरवाही भी बड़ा कारण: कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं या युवतियों के गायब होने की जानकारी पुलिस को दी जाती है, लेकिन पुलिस सामान्य प्रक्रिया को पूरा करने में ही काफी वक्त लगा देती है. ऐसे में कई बार देरी होने के कारण भी युवतियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. जब तक पुलिस की प्रक्रिया पूरी होती है, तब तक गायब हुई महिला या युवती दलदल में फंस चुकी होती है.
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महिला सेल बनाने का भी कोई फायदा नहीं: महिलाओं की मदद के लिए पुलिस ने महिला सेल बनाया है. हालांकि ये सेल भी पूरी तरह से मददगार साबित नहीं होती है. क्योंकि स्वेच्छा से जाने वाले युवतियों के खिलाफ पुलिस ज्यादा कार्रवाई नहीं कर पाती. जब ऐसी युवतियां या फिर महिलाओं का शोषण होता है, तब परिजनों की गुहार के बाद पुलिस एक्टिव होती है. तब तक काफी देर हो चुकी होती है.
समाज और परिवार का जागरुक होना जरूरी: सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा कहती हैं, "प्रदेश में लगातार गायब हो रही महिला और बच्चियों के आंकड़ों को कम करने के लिए समाज और परिवार को जागरुक होना पड़ेगा. हर व्यक्ति की इसमें जवाबदारी है. खासकर परिवार को जागरूक होना पड़ेगा कि कहीं पैसे कमाने के चक्कर में उनके बच्चे गलत काम तो नहीं कर रहे हैं."
साल 2020 में गायब हुई 3 हजार 269 लड़कियां: यदि एनसीआरबी 2020 की रिपोर्ट पर गौर करें, तो छत्तीसगढ़ में 4 हजार 47 बच्चे गायब हुए हैं. इसमें से 3 हजार 269 लड़कियां और 778 लड़के शामिल हैं. साल 2020 की बात की जाए तो कुल 2 हजार 459 बच्चे गायब हैं, जिसमें 2 हजार 107 लड़कियां और 352 लड़के शामिल हैं. गायब होने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या लड़कियों की है.
इतनों की हुई घर वापसी: छत्तीसगढ़ में कुल गायब बच्चों में से साल 2020 तक 2 हजार 530 बच्चों की घर वापसी हुई है. इनमें 2 हजार 143 लड़कियां और 387 लड़के शामिल है.
अधिकतर मामले प्रेम प्रसंग के: छत्तीसगढ़ में गायब हुई जो युवतियां वापस घर आई हैं, उनमें ज्यादातर लड़कियां प्रेम प्रसंग में फंसकर गायब हुई हैं. ये नाबालिग लड़कियां मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मिली है. कई लड़कियां तो बाहर घूमने के नियत से निकली थी.