ETV Bharat / state

Myths of Holi : क्यों पहली होली मायके में मनाती हैं दुल्हन

author img

By

Published : Mar 3, 2023, 11:34 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 12:27 PM IST

भारत धार्मिक देश है. जहां हर त्योहार के पीछे कोई ना कोई धार्मिक कहानियां छिपी होती हैं. इसी वजह से कुछ चीजें या कोई से नियम किसी वर्ग के लिए प्रतिबंधित होते हैं. कुछ इसी तरह होलिका दहन के भी कुछ खास नियम है. जो घर की नई नवेली दुल्हन पर लागू होते हैं

Myths of Holi
क्यों पहली होली मायके में मनाती हैं दुल्हन
क्यों पहली होली मायके में मनाती हैं दुल्हन

रायपुर : साल 2023 की होली को लेकर अब ज्यादा समय नहीं बचा है. 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके बाद 8 तारीख की सुबह रंग गुलाल खेला जाएगा. ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद नई दुल्हन ससुराल में अपनी पहली होली नहीं खेलती है. यदि कोई भी दुल्हन ससुराल में अपनी होली खेलती है. तो उसके जिंदगी में अक्सर अशुभ काम ज्यादा होने लगते हैं.

क्यों पहली होली मायके में मनाती हैं दुल्हन : इस विषय पर अधिक जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पचौरी से बात की. शैलेंद्र पचौरी ने बताया कि " शादी की पहली होली लड़की और कन्या इसलिए अपने ससुराल में नहीं मनाती क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होलिका की तपिश काफी तेज होती है. किसी भी घर में जो नई दुल्हन होती है यदि उस पर होलिका की तपिश पड़े तो उसका वैवाहिक जीवन भी तपने लगता है.होलिका का प्रभाव उसके शरीर में समा जाता है.अक्सर घर में क्लेश और लड़ाई पति पत्नी के बीच होते हैं. यही वजह है कि नई दुल्हन को शादी के बाद पड़ने वाली पहली होली के दौरान उसके मायके में भेजा जाता है.



सास के साथ रिश्तों में आती है खटास : इसके अलावा कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ''यदि पहली होली दुल्हन अपनी ससुराल में मनाये तो सास के साथ उसके रिश्ते में खटास आ जाती है. वह खटास जिंदगी भर चलती रहती है. लाख सुधार करने के उपाय करने के बावजूद उस मनमुटाव का कोई भी समाधान नहीं निकलता है.इसके अतिरिक्त कुछ लोगों का मानना यह भी है कि यदि कोई भी नवविवाहित महिला अपनी पहली होली अपने मायके में मनाती है तो उसका वैवाहिक जीवन बहुत ही खूबसूरत तरीके से बीतता है. उसके आने वाले संतान का भाग्य भी बहुत अच्छा होता है.यदि कोई पति पत्नी अपनी पहली होली पत्नी के मायके में साथ मिलकर मनाए तो उनका वैवाहिक जीवन सदैव प्यार विनम्रता और सम्मान से भरा होता है.''

ये भी पढ़ें- जानिए भांग खाने का दिमाग पर असर

भारत में मान्यताओं का स्तर : अभी तक धार्मिक तथ्य किस हद तक असल जिंदगी में काम करते हैं. इस बात की गारंटी तो किसी ने भी नहीं ली है. लेकिन धार्मिक मान्यताओं को भारत देश में शुरू से ही माना जाता है. इसीलिए होली के समय भी इस तरह की मान्यताओं को मानने की परंपरा है. बड़े बुजुर्ग इन नियम को अपनी आने वाली पीढ़ियों को बताते हैं ताकि वो पीढ़ी दर पीढ़ी यूं ही चलती रहे.

क्यों पहली होली मायके में मनाती हैं दुल्हन

रायपुर : साल 2023 की होली को लेकर अब ज्यादा समय नहीं बचा है. 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके बाद 8 तारीख की सुबह रंग गुलाल खेला जाएगा. ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद नई दुल्हन ससुराल में अपनी पहली होली नहीं खेलती है. यदि कोई भी दुल्हन ससुराल में अपनी होली खेलती है. तो उसके जिंदगी में अक्सर अशुभ काम ज्यादा होने लगते हैं.

क्यों पहली होली मायके में मनाती हैं दुल्हन : इस विषय पर अधिक जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पचौरी से बात की. शैलेंद्र पचौरी ने बताया कि " शादी की पहली होली लड़की और कन्या इसलिए अपने ससुराल में नहीं मनाती क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होलिका की तपिश काफी तेज होती है. किसी भी घर में जो नई दुल्हन होती है यदि उस पर होलिका की तपिश पड़े तो उसका वैवाहिक जीवन भी तपने लगता है.होलिका का प्रभाव उसके शरीर में समा जाता है.अक्सर घर में क्लेश और लड़ाई पति पत्नी के बीच होते हैं. यही वजह है कि नई दुल्हन को शादी के बाद पड़ने वाली पहली होली के दौरान उसके मायके में भेजा जाता है.



सास के साथ रिश्तों में आती है खटास : इसके अलावा कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ''यदि पहली होली दुल्हन अपनी ससुराल में मनाये तो सास के साथ उसके रिश्ते में खटास आ जाती है. वह खटास जिंदगी भर चलती रहती है. लाख सुधार करने के उपाय करने के बावजूद उस मनमुटाव का कोई भी समाधान नहीं निकलता है.इसके अतिरिक्त कुछ लोगों का मानना यह भी है कि यदि कोई भी नवविवाहित महिला अपनी पहली होली अपने मायके में मनाती है तो उसका वैवाहिक जीवन बहुत ही खूबसूरत तरीके से बीतता है. उसके आने वाले संतान का भाग्य भी बहुत अच्छा होता है.यदि कोई पति पत्नी अपनी पहली होली पत्नी के मायके में साथ मिलकर मनाए तो उनका वैवाहिक जीवन सदैव प्यार विनम्रता और सम्मान से भरा होता है.''

ये भी पढ़ें- जानिए भांग खाने का दिमाग पर असर

भारत में मान्यताओं का स्तर : अभी तक धार्मिक तथ्य किस हद तक असल जिंदगी में काम करते हैं. इस बात की गारंटी तो किसी ने भी नहीं ली है. लेकिन धार्मिक मान्यताओं को भारत देश में शुरू से ही माना जाता है. इसीलिए होली के समय भी इस तरह की मान्यताओं को मानने की परंपरा है. बड़े बुजुर्ग इन नियम को अपनी आने वाली पीढ़ियों को बताते हैं ताकि वो पीढ़ी दर पीढ़ी यूं ही चलती रहे.

Last Updated : Mar 7, 2023, 12:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.