रायपुर: देश दुनिया में अब तक कोरोना का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. इसी बीच मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ सा गया है. दुनिया भर के लगभग 12 देशों में मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीज मिल चुके हैं, जिसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को सावधान रहने की चेतावनी दी (Monkeypox side effects) है. हाल ही के दिनों में यूरोपीय और अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंकीपॉक्स के कई मामलों की पहचान की है. इसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर मरीज युवा पुरुष है.
इस विषय में ईटीवी भारत ने स्किन स्पेशलिस्ट से बातचीत की. मंकीपॉक्स को लेकर स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर मृत्युंजय सिंह ने बताया, "मंकीपॉक्स स्माल पॉक्स की तरह एक वायरस है. लेकिन मंकीपॉक्स स्माल पॉक्स जितना गंभीर नही है. मंकीपॉक्स 7 से 21 दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है."
क्या होता है मंकीपॉक्स: मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेंट और प्राइमेंट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी इंसान भी संक्रमित हो जाता है. इस तरीके के ज्यादातर मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए हैं. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिक ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप हुए था. इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है.
क्लोज कॉन्टैक्ट में आने से फैलता है मंकीपॉक्स: स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर मृत्युंजय सिंह ने बताया, "मंकीपॉक्स किसी भी व्यक्ति के क्लोज कांटेक्ट में रहने पर ही इसके फैलने के चांसेस रहते हैं. लंबे समय तक अगर व्यक्ति किसी के क्लोज कॉन्टैक्ट में है तभी मंकीपॉक्स फैलने के चांसेस रहते हैं. इसके अलावा गले मिलना, खांसी, छींक इससे भी ये फैल सकता है. इंडिया में फिलहाल मंकीपॉक्स के एक भी केस नहीं है, बाकी इसके सिम्टम्स वायरल इंफेक्शन वाले ही रहते हैं. बुखार आना, सर दर्द, ठंड लगना और थकान जैसे आम लक्षण होते हैं."
आम चक्कते और मंकीपॉक्स में क्या है अंतर: डॉक्टर मृत्युंजय सिंह कहते हैं, " आम चक्कते जिसको आम भाषा मे "माता आना" भी कहते है. शरीर के किसी एक हिस्से में अगर दाने आते हैं, तो शरीर के सभी हिस्से में एक ही तरह के दाने आएंगे. लेकिन अगर मंकीपॉक्स की बात करें तो मंकीपॉक्स शरीर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से नजर आता (difference between common rash and monkeypox ) है. जैसे मंकीपॉक्स होने पर हाथ के एक हिस्से में अगर दाने आएंगे तो दूसरे हिस्से में दाने आकर पस निकलना चालू होगा. तीसरे में वह रेशेष की तरह दिखने लगेगा."
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ऐसे लोगों को अधिक बचाव की जरूरत: डॉक्टर कहते हैं, "मंकीपॉक्स जैसा वायरल इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है. इसमें ऐज लिमिट या जेंडर मैटर नहीं करता. लेकिन छोटे बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और जो लंबे समय से बीमार व्यक्ति हैं. उनमें मंकीपॉक्स जैसे वायरस जल्दी अटैक कर सकते है. भारत में जो स्मॉल पॉक्स देखने को मिलता है. मंकीपॉक्स उसी का माइल्ड वर्जन है. मंकीपॉक्स देखने से स्मालपॉक्स जैसे लगता है, लेकिन मंकीपॉक्स कम घातक रहता है."
मंकीपॉक्स के लक्षण और इलाज: मंकीपॉक्स उसी वायरस फैमिली से संबंधित है, जिसका सदस्य चेचक यानी स्मॉल पॉक्स है. चेचक के मुकाबले इसके लक्षण हल्के होते हैं. मंकीपॉक्स से पीड़ित लोगों में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान के लक्षण देखे जाते हैं. इसके अलावा गंभीर तौर पर संक्रमित लोगों के चेहरे और हाथों पर दाने और घाव हो सकते हैं. यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. 7 से 21 दिनो तक इसका असर बना रहता है. ऐसे मामले में हॉस्पिटल में एडमिट होने की आशंका कम होती है.
मंकीपॉक्स को लेकर भारत सरकार की एडवाइजरी जारी: एपिडेमिक कंट्रोल हेड डॉक्टर सुभाष मिश्रा ने बताया, " मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो जानवरों से मनुष्य में फैलता है. मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है. विश्व के कुछ देशों में इसकी रिपोर्ट मिलने पर भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर चौकसी बढ़ा दी है. भारत सरकार ने राज्यों को भी एडवाइजरी जारी की है. छत्तीसगढ़ में भी राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में एडवाइजरी जारी कर दी गई है."
लक्षण पाए जाने पर व्यक्ति की निकाली जाएगी हिस्ट्री: संक्रमण वाले देश से आने वाले व्यक्तियों को खासकर निगरानी रखनी है. मंकीपॉक्स बीमारी में बुखार के साथ शरीर में दाने होते हैं. इसके साथ-साथ हाथ पैर के जोड़ों में गठान भी बन जाती है. किसी भी व्यक्ति में अगर ऐसे लक्षण पाए जाते हैं, तो प्राथमिकता से उससे आइसोलेशन में रखकर जांच और उपचार करना है. साथ ही उस व्यक्ति की हिस्ट्री लेकर कांटेक्ट ट्रेसिंग भी करना है.
सरकार कराएगी मंकीपॉक्स की नि:शुल्क जांच: शासन द्वारा मंकीपॉक्स की निशुल्क जांच और इलाज की पूरी व्यवस्था है. इस तरह के पॉक्स मूलतः 7 से 21 दिन में ठीक हो जाते हैं, लेकिन किसी किसी में यह गंभीर रूप से भी देखने को मिल सकता है. इस तरह के बीमारी में या लक्षण दिखने पर सावधान रहने की जरूरत है.