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Vrat Festivals of July 2022: जानिए कब शुरू होगा सावन, कब है गुरु पुर्णिमा - रथयात्रा और सावन की शुरूआत जुलाई माह में

जुलाई माह में रथयात्रा पर्व है. इसी माह सावन शुरू हो रही है. जुलाई माह को काफी खास माना जाता (Vrat Festivals of July 2022 ) है. इस माह में कई व्रत त्यौहार पड़ते हैं.

Vrat Festivals of July 2022
जुलाई 2022 के व्रत त्यौहार
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Published : Jun 25, 2022, 9:57 AM IST

रायपुर: जुलाई माह से सावन की शुरुआत हो जाएगी. जुलाई माह काफी खास है. क्योंकि जुलाई में कई व्रत और त्योहार पड़ रहे (Vrat Festivals of July 2022 ) हैं. इस महीने में जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होगी. इसी माह में देवशयनी एकादशी है, जिसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाता है. चातुर्मास में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता.

सावन का महीना भी जुलाई के महीने से ही शुरू होने वाला है. इतना ही नहीं आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का समापन, गुरु पूर्णिमा और हरियाली तीज भी जुलाई में ही पड़ने वाले हैं.

जुलाई माह के व्रत त्यौहार:

  • 1 जुलाई शुक्रवार: जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ
  • 3 जुलाई रविवार: विनायक चतुर्थी व्रत
  • 5 जुलाई मंगलवार:स्कंद षष्ठी
  • 6 जुलाई बुधवार: वैवस्वत पूजा
  • 8 जुलाई शुक्रवार: भड़ली नवमी
  • 9 जुलाई मंगलवार: आशा दशमी
  • 10 जुलाई रविवार: देवशयनी एकादशी, वासुदेव, द्वादशी, चातुर्मास प्रारंभ
  • 11 जुलाई सोमवार: सोम प्रदोष व्रत, वामन द्वादशी, विजया पार्वती व्रत
  • 13 जुलाई बुधवार: गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूजा
  • 14 जुलाई गुरुवार: श्रावण मास आरंभ
  • 16 जुलाई शनिवार: गणेश चतुर्थी व्रत
  • 19 और 26 जुलाई मंगलवार: मंगला गौरी व्रत
  • 24 जुलाई रविवार: कामिका एकादशी
  • 25 जुलाई सोमवार: प्रदोष व्रत
  • 28 जुलाई गुरुवार: हरियाली अमावस्या
  • 31 जुलाई रविवार: हरियाली तीज

जगन्नाथ यात्रा: हर साल आषाढ़ शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की अद्भुत और विशाल रथयात्रा निकाली जाती है. इस बार यह रथ यात्रा 1 जुलाई को निकाली जाएगी. इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं. माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ साल में एक बार इसी महीने में अपनी मौसी गुंडिचा माता के मंदिर जाते हैं. लोगों की धारणा है कि यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ लोगों के बीच ही रहते हैं. कहा जाता है कि इस रथयात्रा में शामिल होने मात्र से ही भक्तों को 100 यज्ञों के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है. मृत्यु के बाद ये लोग मोक्ष प्राप्त करते हैं.

यह भी पढ़ें: Ashadha Ravi pradosh vrat 2022: जानिए आखिर क्यों खास है आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत

देवशयनी एकादशी:10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. माना जाता है कि इस दिन नारायण योग निद्रा के लिए चले जाते हैं. वे चार माह तक निद्रा में रहते हैं और देवउठनी एकादशी पर जागते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है. इस बीच सभी तरह के धार्मिक कार्यों को करने की मनाही होती है.

गुरु पूर्णिमा:13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है. इस दिन को भगवान वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन वेद व्यास की पूजा के अलावा सभी गुरुओं की विशेष रूप से पूजा की जाती है.

श्रावण मास:14 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो जाएगा. ये महीना पूजा पाठ के लिहाज से बहुत पवित्र माना गया है और शिव जी को समर्पित होता है. इस महीने में कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश महिला प्रधान होते हैं जैसे हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज आदि. माह के अंतिम दिन रक्षाबंधन होता है.

हरियाली तीज: 31 जुलाई रविवार को हरियाली तीज है. हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. यह पर्व करवा चौथ के बराबर होता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन भोजन और जल ग्रहण नहीं किए बिना दूसरे दिन स्नान-पूजा के बाद व्रत का पारण करती हैं. इस व्रत को करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

रायपुर: जुलाई माह से सावन की शुरुआत हो जाएगी. जुलाई माह काफी खास है. क्योंकि जुलाई में कई व्रत और त्योहार पड़ रहे (Vrat Festivals of July 2022 ) हैं. इस महीने में जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होगी. इसी माह में देवशयनी एकादशी है, जिसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाता है. चातुर्मास में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता.

सावन का महीना भी जुलाई के महीने से ही शुरू होने वाला है. इतना ही नहीं आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का समापन, गुरु पूर्णिमा और हरियाली तीज भी जुलाई में ही पड़ने वाले हैं.

जुलाई माह के व्रत त्यौहार:

  • 1 जुलाई शुक्रवार: जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ
  • 3 जुलाई रविवार: विनायक चतुर्थी व्रत
  • 5 जुलाई मंगलवार:स्कंद षष्ठी
  • 6 जुलाई बुधवार: वैवस्वत पूजा
  • 8 जुलाई शुक्रवार: भड़ली नवमी
  • 9 जुलाई मंगलवार: आशा दशमी
  • 10 जुलाई रविवार: देवशयनी एकादशी, वासुदेव, द्वादशी, चातुर्मास प्रारंभ
  • 11 जुलाई सोमवार: सोम प्रदोष व्रत, वामन द्वादशी, विजया पार्वती व्रत
  • 13 जुलाई बुधवार: गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूजा
  • 14 जुलाई गुरुवार: श्रावण मास आरंभ
  • 16 जुलाई शनिवार: गणेश चतुर्थी व्रत
  • 19 और 26 जुलाई मंगलवार: मंगला गौरी व्रत
  • 24 जुलाई रविवार: कामिका एकादशी
  • 25 जुलाई सोमवार: प्रदोष व्रत
  • 28 जुलाई गुरुवार: हरियाली अमावस्या
  • 31 जुलाई रविवार: हरियाली तीज

जगन्नाथ यात्रा: हर साल आषाढ़ शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की अद्भुत और विशाल रथयात्रा निकाली जाती है. इस बार यह रथ यात्रा 1 जुलाई को निकाली जाएगी. इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं. माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ साल में एक बार इसी महीने में अपनी मौसी गुंडिचा माता के मंदिर जाते हैं. लोगों की धारणा है कि यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ लोगों के बीच ही रहते हैं. कहा जाता है कि इस रथयात्रा में शामिल होने मात्र से ही भक्तों को 100 यज्ञों के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है. मृत्यु के बाद ये लोग मोक्ष प्राप्त करते हैं.

यह भी पढ़ें: Ashadha Ravi pradosh vrat 2022: जानिए आखिर क्यों खास है आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत

देवशयनी एकादशी:10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. माना जाता है कि इस दिन नारायण योग निद्रा के लिए चले जाते हैं. वे चार माह तक निद्रा में रहते हैं और देवउठनी एकादशी पर जागते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है. इस बीच सभी तरह के धार्मिक कार्यों को करने की मनाही होती है.

गुरु पूर्णिमा:13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है. इस दिन को भगवान वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन वेद व्यास की पूजा के अलावा सभी गुरुओं की विशेष रूप से पूजा की जाती है.

श्रावण मास:14 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो जाएगा. ये महीना पूजा पाठ के लिहाज से बहुत पवित्र माना गया है और शिव जी को समर्पित होता है. इस महीने में कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश महिला प्रधान होते हैं जैसे हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज आदि. माह के अंतिम दिन रक्षाबंधन होता है.

हरियाली तीज: 31 जुलाई रविवार को हरियाली तीज है. हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. यह पर्व करवा चौथ के बराबर होता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन भोजन और जल ग्रहण नहीं किए बिना दूसरे दिन स्नान-पूजा के बाद व्रत का पारण करती हैं. इस व्रत को करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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