रायपुर: छत्तीसगढ़ उद्योग संचालनालय से मिले आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकार ने दिसंबर 2022 तक पिछले 4 साल में 13 से अधिक सेक्टरों में 189 एमओयू किए. इसमें 19 प्रोडक्शन में है. वहीं 130 एमओयू प्रक्रियाधीन है. इसमें कुल प्रस्तावित निवेश लगभग 92429.71 करोड़ रुपए हैं. वहीं आने वाले उद्योगों से 1 लाख 34 हजार 444 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का टारगेट रखा गया है.
स्टील सेक्टर में हुए सबसे ज्यादा एमओयू: छत्तीसगढ़ सरकार ने स्टील सेक्टर में सबसे अधिक एमओयू किए हैं. अब तक 189 एमओयू में ज्यादातर 102 एमओयू स्टील सेक्टर से है. जिसमें 61686 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है. स्टील सेक्टर हुए एमओयू से 78000 से अधिक लोगों को रोजगार देने का टारगेट रखा गया है.
डिफेंस के क्षेत्र में प्रदेश में पहली बार हुए 5 एमओयू: छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार डिफेंस सेक्टर क्षेत्र में काम किया जा रहा है. इस सेक्टर के लिए सरकार ने 5 एमओयू किया है. इसमें लगभग 600.45 करोड़ रुपए का प्रस्तावित निवेश है. 5 प्रोजेक्ट में 2 प्रोजेक्ट प्रोडकशन में आ गए है, बाकी 3 प्रॉजेक्ट प्रकिया में है. उद्योग संचालनालय से मिली जानकारी के अनुसार, दुर्ग में स्थापित प्रोजेक्ट में बुलेट प्रूफ जैकेट बनाया जाएगा.दूसरा प्रोजेक्ट भी बुलेट प्रूफ जैकेट से जुड़ा है. जिसकी यूनिट बिलासपुर में स्थापित है. बिलासपुर में तो बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का काम शुरू भी हो चुका है. तीसरा प्रोजेक्ट ड्रोन बनाने से जुड़ा है. इसकी यूनिट नया रायपुर में शुरू होने वाली है. यूनिट पूरी तरह से शुरू होने के बाद 4100 से अधिक लोगों को रोजगार की संभावना है.
छत्तीसगढ़ में 0.1 फीसदी है बेरोजगारी दर: सीएमआईई ने 1 दिसम्बर 2022 को बेरोजगारी दर के संबंध में रिपोर्ट जारी किया है. जिसके मुताबिक नवम्बर 2022 में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में 0.1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है. वहीं इसी अवधि में 1.2 फीसदी के साथ उत्तराखंड दूसरे स्थान पर है. ओड़िसा 1.6 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है. मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 6.2 प्रतिशत है और गुजरात में यह आंकड़ा 2.5 प्रतिशत रहा है. दूसरी ओर नवंबर 2022 में सर्वाधिक बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है. जहां 30.6 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है. जम्मू एवं काश्मीर में बेरोजगारी दर 23.9 फीसदी दर्ज की गई.
इस कारण बढ़ा छत्तीसगढ़ में रोजगार: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया. महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गांवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किए गए. इसमें सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर गोधन न्याय योजना के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया. जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोजगार मिला. रोजगार के नए अवसर सृजित हुए.
राज्य सरकार अपनी योजनाओं का लेती है श्रेय: 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन किया गया. इससे वनांचल में भी लोगों को रोजगार मिला. इसी तरह स्व-सहायता समूहों ने निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए सी-मार्ट प्रारंभ किए हैं. राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना के बाद उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी. राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा. राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर योजना के तहत पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली. राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई. जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किए गए. इससे उद्यमिता विकास को गति मिली.