रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में गतिविधियां तेज हुई हैं. यहां आए दिन जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो रही है. जिसमें कभी नक्सलियों की मौत होती है तो कभी जवान शहीद होते हैं. इस बीच नक्सलियों ने दावा किया है कि उनपर एयर स्ट्राइक हुई है. पुलिस ने नक्सलियों के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है.
नक्सलियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक का सच
बस्तर में पिछले कुछ दिन से अजीब स्थिति बनी हुई है. हिंसा से सत्ता तक पहुंचने पर विश्वास रखने वाले नक्सली पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि उन पर हवाई हमला हुआ है. ड्रोन से बम बरसाए गए हैं. पुलिस का कहना है कि कोई हमला नहीं किया है.
नक्सलियों ने किया था दावा
दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने पूर्व में एक प्रेस नोट जारी कर मीडिया को इस संबंध में दावा किया था. प्रेस नोट में प्रवक्ता ने दावा किया कि 19 अप्रैल की सुबह ड्रोन और हेलिकॉप्टर से माओवादियों पर 12 बम गिराए गए हैं. हालांकि ड्रोन हमले से पहले ही नक्सली अपना ठिकाना बदल चुके थे. जिसके चलते उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. नक्सलियों ने बम गिराए जाने का एक फोटो और एक वीडियो भी जारी किया है. फोटो में बम के अवशेषों को दिखाया गया था.
बस्तर IG सुंदरराज पी ने किया खंडन
हालांकि बस्तर IG सुंदरराज पी ने इसका खंडन कर दिया और इसे नक्सलियों का प्रोपेगेंडा बताया था.
इसके बाद फिर नक्सलियों ने एक पर्चा, आडियो और वीडियो जारी किया. जिसमें कहा गया कि यदि सरकार चाहती है कि हवाई हमले की सच्चाई हम बताएं तो मध्यस्थ टीम को भेजा जाए. हम उन्हें हमले वाले स्थान दिखाने को तैयार हैं. यही नहीं, नक्सलियों ने दावा किया कि हवाई हमले के बाद तस्वीर खींचने आई दो ड्रोन को भी गिराया गया है. नक्सलियों ने इस ड्रोन की फोटो और वीडियो भी जारी किया है.
नक्सलियों और पुलिस के बीच इतनी जल्दी-जल्दी और ऐसी वार्तालाप शायद पहले कभी नहीं हुई. इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच नक्सलियों के खिलाफ ड्रोन से किए गए एयर स्ट्राइक की खबर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. सभी लोग इस हमले के होने और ना होने के पीछे की सच्चाई को जानना चाहते हैं.
नक्सलियों का नया पैंतरा: पुलिस पर ड्रोन से हमले का आरोप, मध्यस्थता की मांग
सहानुभूति हासिल करने नक्सलियों की रणनीति: नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा
नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा का कहना है कि नक्सलियों द्वारा ड्रोन से हवाई हमला किए जाने का दावा किया जा रहा है. जो कहीं ना कहीं उनकी रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है. क्योंकि यदि यह मान भी लिया जाए कि जवानों ने ड्रोन का इस्तेमाल किया है तो वह पहले भी ड्रोन का इस्तेमाल कर नक्सल गतिविधियों का पता लगाते हैं. यह एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन इस ड्रोन के माध्यम से बम गिराने की बात नक्सली प्रसारित कर लोगों की सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं. खासकर उन लोगों की जो लगातार नक्सलियों के मानव अधिकार को लेकर आवाज उठाते रहे हैं. इसके पहले ही नक्सलियों ने जवान को अगवा कर यह प्रसारित किया कि उसकी निशर्त रिहाई की गई है. जबकि इसके पीछे एक नक्सली को छोड़े जाने की भी चर्चा है. इस तरह नक्सली यह साबित करना चाहते हैं कि वे शांति के लिए पहल कर रहे हैं. लेकिन सरकार और जवानों की ओर से उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई उस शांति प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न कर रही है.
'नक्सली दे रहे मानवाधिकार की दुहाई'
जिन नक्सलियों का प्रमुख हथियार निर्दोष ग्रामीणों का गला रेतना, बारूदी विस्फोट से गाड़ियां उड़ाना रहा है अब वे मानवधिकार की दुहाई दे रहे हैं और खुद पर हवाई हमले की बात कह रहे हैं. जो किसी के गले से नहीं उतर रहा है अब देखने वाली बात है कि इसका कितना असर नक्सलियों के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम पर पड़ेगा या फिर पुलिस को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएगा.