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नए साल पर घूमने के शौकीनों के लिए बड़ी खबर, छत्तीसगढ़ के इन पर्यटन स्थलों का जरूर करें रूख

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 24, 2023, 8:07 PM IST

Updated : Jan 1, 2024, 1:57 PM IST

New Year Destination in Chhattisgarh: नए साल पर घूमने जाने का अगर आप प्लान बना रहे हैं तो छत्तीसगढ़ के ये खास डेस्टिनेशन आपके लिए बेस्ट है. इन जगहों पर जाकर आप अपने नए साल को और भी बेहतर बना सकते हैं.Chhattisgarh on naya saal 2024

Chhattisgarh on naya saal 2024
छत्तीसगढ़ के इन पर्यटन स्थलों का जरूर करें रूख

रायपुर: क्या आपको भी घूमने जाना पसंद है? अगर आप भी घूमने जाने के शौकीन हैं और नए साल के मौके पर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो छत्तीसगढ़ आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हैं. यहां आपको प्रकृति की असली सुंदरता देखने को मिलेगी. साथ ही यहां की हरियाली आपके मन को शांति प्रदान करेगी. तो आइए आपको हम बताते हैं छत्तीसगढ़ के खास टूरिस्ट स्पॉट के बारे में, जहां जाने के बाद आपको लगेगा कि यही धरती का असली स्वर्ग है.

बस्तर के ये टूरिस्ट प्लेस हैं टॉप पर: छत्तीसगढ़ में घूमने के लिए बस्तर सबसे टॉप में हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर में अक्सर टूरिस्ट सुकून के पल बिताने आते हैं. यहां देश ही नहीं विदेश से भी टूरिस्ट पहुंचते हैं. यहां मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में स्थित है. यहां करीब 30-40 फीट की चौड़ाई से गिरता हुआ जल बेहद ही खूबसूरत है.

तीरथगढ़ जलप्रपात बस्तर की जान: बस्तर के कांगेर वेली नेशनल पार्क में बस्तर का दूसरा बड़ा पर्यटन स्थल तीरथगढ़ जलप्रपात है. इस जलप्रपात को बस्तर की जान कहा जाता है. इसमें मुनगा बहार नदी का पानी गिरता है. इसके बाद कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही विशालकाय गुफा भी है. जिसे कोटमसर गुफा या कुटुंबसर गुफा कहा जाता है. ये गुफा काफी बड़ा और लगभग 5 हजार फीट चौड़ा है. गुफा के अंदर अलग-अलग तरह की आकृतियां बनी हुई है.

बस्तर में दलपत सागर झील: जगदलपुर शहर दलपत सागर नाम की एक झील है, जो करीब 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसे रियासत काल में बस्तर के राजा दलपत देव ने बनवाया था. उनके नाम पर इस झील का नाम दलपत सागर पड़ा.

सरगुजा का मैनपाट भी स्वर्ग से कम नहीं: छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहू मैनपाट भी घूमने से लिए बेस्ट प्लेस है. यहां की खूबसूरती देखने दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं. मैनपाट का टाइगर प्वाइंट जंगल के बीच में एक गहरा झरना है. यहां काफी ऊंचाई से पानी गिरता है. पानी के तेज प्रवाह की वजह से उड़ने वाली बूंदें लोगों का मन मोहती है.

मैनपाट का उल्टा पानी: मैनपाट जाने के रास्ते में उल्टा पानी नाम का पिकनिक स्पॉट पड़ता है. यहां आप कुदरत के अजीबो-गरीब करिश्मे देख सकते हैं. इस जगह का नाम उल्टापानी इसलिए भी पड़ा क्योंकि यहां पानी उल्टा बहता हुआ दिखाई पड़ता है. यहां पानी ढलान की ओर नहीं बल्कि चढ़ाई की ओर बहता है.

रामगढ़ से जुड़ी कई कहानियां: सरगुजा में रामगढ़ पड़ता है, जिसे रामगिरी पर्वत भी कहा जाता है. इसे कई कहानियों से भी जोड़ा गया है. इस जगह को भगवान राम के वनवास के समय के दंडकारण्य से जोड़ा जाता है. कुछ लोग इसे महाकवि कालिदास के पत्नी वियोग में रचित मेघदूतम से जोड़ते हैं. यहां के पर्वतों और जंगलों के अलावा यहां प्राचीन धरोहर में सबसे अधिक महत्वपूर्ण चीज देखी जा सकती है, वो है प्राचीन नाट्यशाला. ये एक ऐसा प्राचीन मंच है, जिसमें मंचन के लिए हर सुविधा मौजूद है.

बूढ़ा नाग झरना: बूढ़ा नाग झरना सरगुजा में पड़ता है. इस झरने का स्वच्छ जल उत्तराखंड की नदियों की याद दिलाता है. यहां का शांत वातावरण किसी का भी मन मोह ले. इस झरने के पास में मैनपाट के प्रथम पूज्य देवता बूढ़ा नाग स्थित हैं, जो यहां के लोगों के आस्था का केन्द्र है.

कवर्धा के इन डेस्टिनेशन का भी कर सकते हैं रूख: कवर्धा के पुराने और मशहूर भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से मशहूर है. यहां देश ही नहीं विदेश से भी सैलानी पहुंचते हैं. इस मंदिर को 11वीं सदी में नागवंशी राजाओं ने बनवाया था. मंदिर के अंदर खूबसूरत कलाकृति उकेरी गई है, जिन्हें देखकर पर्यटक आश्चर्य से भर जाते हैं. मंदिर के सामने एक तालाब मौजूद है, जिससे जुड़ी बहुत सी कहानियां सुनने को मिलती हैं. बताया जाता है यह तालाब रहस्यमयी है. इसका पानी कभी नहीं सूखता है.

कवर्धा का मैकल पर्वत: कवर्धा का मैकल पर्वत भी पर्यटकों का मन मोहता है. मनोरम वादियों के बीच मैकल पर्वत है. पर्वतों को काट कर बनाए रास्ते में एक तरफ मैकल पर्वत पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर ये पर्वत हजारों फिट गहरी खाई के रास्ते से होकर गुजरता है. ये रास्ता मध्यप्रदेश को छत्तीसगढ़ से जोड़ता भी है. मैकल पर्वत के बीच झरनों के साथ ही सरोदा बांध भी मौजूद है. यह बांध तीनों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है. इसके साथ ही इसके सामने एक खूबसूरत गार्डन भी है. यहां आने वाले सैलानी बांध का देखने के बाद अपनी थकान भूल जाते हैं.

प्रकृति प्रेमियों को सुकून देता है रमदहा: रमदहा जलप्रपात का पानी इतना साफ है कि लोग इसे देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. इस जलप्रपात को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं. यहां चट्टानों से टकरा कर गिरता पानी दूध की तरह सफेद दिखता है. ये दृश्य हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके आसपास के घने जंगल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो रमदहा जलप्रपात आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है.

बलरामपुर चनान नदी पर स्थित पवई वाटरफॉल: बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभयारण्य में चनान नदी पर पवई वाटरफॉल मौजूद है. यहां आपको नेचुरल ब्यूटी का एहसास होगा. यहां चारों ओर से घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. पर्यटक यहां ऊंचाई से गिरते झरने को देखने आते हैं. नए साल के मौके पर घूमने के लिए यह परफेक्ट डेस्टिनेशन है.

पलटन घाट बेस्ट पिकनिक स्पॉट: प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में से एक पलटन घाट रामानुजगंज शहर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. नदी के एक तरफ सफेद पत्थरों की श्रृंखला है. तो दूसरी तरफ काले रंग के पत्थर मौजूद हैं. नए साल के मौके पर यहां लोग पहुंचते हैं. पलटन घाट कन्हर नदी के बीच प्राकृतिक रूप से निर्मित सफेद और काले रंग के पत्थरों के बीच है. यहां के पर्यटन स्थल को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.

तातापानी में गर्म जल कुंडों का रहस्य : तातापानी अपने गर्म जल स्त्रोत के लिए छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश भर में प्रसिद्ध है. यहां कई हजार वर्षों से धरती के अंदर से गर्म पानी निकल रहा है. यह प्रमुख धार्मिक स्थल भी है. तातापानी राष्ट्रीय राजमार्ग 343 के किनारे ही मौजूद है.

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रायपुर: क्या आपको भी घूमने जाना पसंद है? अगर आप भी घूमने जाने के शौकीन हैं और नए साल के मौके पर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो छत्तीसगढ़ आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हैं. यहां आपको प्रकृति की असली सुंदरता देखने को मिलेगी. साथ ही यहां की हरियाली आपके मन को शांति प्रदान करेगी. तो आइए आपको हम बताते हैं छत्तीसगढ़ के खास टूरिस्ट स्पॉट के बारे में, जहां जाने के बाद आपको लगेगा कि यही धरती का असली स्वर्ग है.

बस्तर के ये टूरिस्ट प्लेस हैं टॉप पर: छत्तीसगढ़ में घूमने के लिए बस्तर सबसे टॉप में हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर में अक्सर टूरिस्ट सुकून के पल बिताने आते हैं. यहां देश ही नहीं विदेश से भी टूरिस्ट पहुंचते हैं. यहां मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में स्थित है. यहां करीब 30-40 फीट की चौड़ाई से गिरता हुआ जल बेहद ही खूबसूरत है.

तीरथगढ़ जलप्रपात बस्तर की जान: बस्तर के कांगेर वेली नेशनल पार्क में बस्तर का दूसरा बड़ा पर्यटन स्थल तीरथगढ़ जलप्रपात है. इस जलप्रपात को बस्तर की जान कहा जाता है. इसमें मुनगा बहार नदी का पानी गिरता है. इसके बाद कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही विशालकाय गुफा भी है. जिसे कोटमसर गुफा या कुटुंबसर गुफा कहा जाता है. ये गुफा काफी बड़ा और लगभग 5 हजार फीट चौड़ा है. गुफा के अंदर अलग-अलग तरह की आकृतियां बनी हुई है.

बस्तर में दलपत सागर झील: जगदलपुर शहर दलपत सागर नाम की एक झील है, जो करीब 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसे रियासत काल में बस्तर के राजा दलपत देव ने बनवाया था. उनके नाम पर इस झील का नाम दलपत सागर पड़ा.

सरगुजा का मैनपाट भी स्वर्ग से कम नहीं: छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहू मैनपाट भी घूमने से लिए बेस्ट प्लेस है. यहां की खूबसूरती देखने दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं. मैनपाट का टाइगर प्वाइंट जंगल के बीच में एक गहरा झरना है. यहां काफी ऊंचाई से पानी गिरता है. पानी के तेज प्रवाह की वजह से उड़ने वाली बूंदें लोगों का मन मोहती है.

मैनपाट का उल्टा पानी: मैनपाट जाने के रास्ते में उल्टा पानी नाम का पिकनिक स्पॉट पड़ता है. यहां आप कुदरत के अजीबो-गरीब करिश्मे देख सकते हैं. इस जगह का नाम उल्टापानी इसलिए भी पड़ा क्योंकि यहां पानी उल्टा बहता हुआ दिखाई पड़ता है. यहां पानी ढलान की ओर नहीं बल्कि चढ़ाई की ओर बहता है.

रामगढ़ से जुड़ी कई कहानियां: सरगुजा में रामगढ़ पड़ता है, जिसे रामगिरी पर्वत भी कहा जाता है. इसे कई कहानियों से भी जोड़ा गया है. इस जगह को भगवान राम के वनवास के समय के दंडकारण्य से जोड़ा जाता है. कुछ लोग इसे महाकवि कालिदास के पत्नी वियोग में रचित मेघदूतम से जोड़ते हैं. यहां के पर्वतों और जंगलों के अलावा यहां प्राचीन धरोहर में सबसे अधिक महत्वपूर्ण चीज देखी जा सकती है, वो है प्राचीन नाट्यशाला. ये एक ऐसा प्राचीन मंच है, जिसमें मंचन के लिए हर सुविधा मौजूद है.

बूढ़ा नाग झरना: बूढ़ा नाग झरना सरगुजा में पड़ता है. इस झरने का स्वच्छ जल उत्तराखंड की नदियों की याद दिलाता है. यहां का शांत वातावरण किसी का भी मन मोह ले. इस झरने के पास में मैनपाट के प्रथम पूज्य देवता बूढ़ा नाग स्थित हैं, जो यहां के लोगों के आस्था का केन्द्र है.

कवर्धा के इन डेस्टिनेशन का भी कर सकते हैं रूख: कवर्धा के पुराने और मशहूर भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से मशहूर है. यहां देश ही नहीं विदेश से भी सैलानी पहुंचते हैं. इस मंदिर को 11वीं सदी में नागवंशी राजाओं ने बनवाया था. मंदिर के अंदर खूबसूरत कलाकृति उकेरी गई है, जिन्हें देखकर पर्यटक आश्चर्य से भर जाते हैं. मंदिर के सामने एक तालाब मौजूद है, जिससे जुड़ी बहुत सी कहानियां सुनने को मिलती हैं. बताया जाता है यह तालाब रहस्यमयी है. इसका पानी कभी नहीं सूखता है.

कवर्धा का मैकल पर्वत: कवर्धा का मैकल पर्वत भी पर्यटकों का मन मोहता है. मनोरम वादियों के बीच मैकल पर्वत है. पर्वतों को काट कर बनाए रास्ते में एक तरफ मैकल पर्वत पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर ये पर्वत हजारों फिट गहरी खाई के रास्ते से होकर गुजरता है. ये रास्ता मध्यप्रदेश को छत्तीसगढ़ से जोड़ता भी है. मैकल पर्वत के बीच झरनों के साथ ही सरोदा बांध भी मौजूद है. यह बांध तीनों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है. इसके साथ ही इसके सामने एक खूबसूरत गार्डन भी है. यहां आने वाले सैलानी बांध का देखने के बाद अपनी थकान भूल जाते हैं.

प्रकृति प्रेमियों को सुकून देता है रमदहा: रमदहा जलप्रपात का पानी इतना साफ है कि लोग इसे देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. इस जलप्रपात को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं. यहां चट्टानों से टकरा कर गिरता पानी दूध की तरह सफेद दिखता है. ये दृश्य हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके आसपास के घने जंगल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो रमदहा जलप्रपात आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है.

बलरामपुर चनान नदी पर स्थित पवई वाटरफॉल: बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभयारण्य में चनान नदी पर पवई वाटरफॉल मौजूद है. यहां आपको नेचुरल ब्यूटी का एहसास होगा. यहां चारों ओर से घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. पर्यटक यहां ऊंचाई से गिरते झरने को देखने आते हैं. नए साल के मौके पर घूमने के लिए यह परफेक्ट डेस्टिनेशन है.

पलटन घाट बेस्ट पिकनिक स्पॉट: प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में से एक पलटन घाट रामानुजगंज शहर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. नदी के एक तरफ सफेद पत्थरों की श्रृंखला है. तो दूसरी तरफ काले रंग के पत्थर मौजूद हैं. नए साल के मौके पर यहां लोग पहुंचते हैं. पलटन घाट कन्हर नदी के बीच प्राकृतिक रूप से निर्मित सफेद और काले रंग के पत्थरों के बीच है. यहां के पर्यटन स्थल को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.

तातापानी में गर्म जल कुंडों का रहस्य : तातापानी अपने गर्म जल स्त्रोत के लिए छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश भर में प्रसिद्ध है. यहां कई हजार वर्षों से धरती के अंदर से गर्म पानी निकल रहा है. यह प्रमुख धार्मिक स्थल भी है. तातापानी राष्ट्रीय राजमार्ग 343 के किनारे ही मौजूद है.

न्यू ईयर पर छत्तीसगढ़ की पर्यटन नगरी बलरामपुर में करिए सेलिब्रेशन, यहां की नेचुरल ब्यूटी आपको कर देगी रिफ्रेश !
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Last Updated : Jan 1, 2024, 1:57 PM IST
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