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SPECIAL: खाली है मुक्तांगन और जंगल सफारी का खजाना! खूबसूरत नजारों को है सैलानियों का इंतजार

राजधानी रायपुर स्थित पर्यटन स्थल पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी को कोरोना काल में लाखों-करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है. इन पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के नहीं पहुंचने से यहां दुकान लगाने वालों लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. ETV भारत की टीम ने दुकान लगाने वाले लोगों से बात की और उनका हाल जाना. थीम पार्क के प्रभारी से भी राजस्व नुकसान को लेकर बात की गई.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
कोरोना काल में पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी
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Published : Oct 11, 2020, 2:25 PM IST

Updated : Oct 12, 2020, 7:24 AM IST

रायपुर: साल 2020 के मार्च महीने से कोरोना ने अपने पैर छत्तीसगढ़ में भी पसार लिए. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से सभी क्षेत्र प्रभावित हुए और लोगों के सामने आर्थिक संकट ने विकराल रूप ले लिया. महामारी के चलते राजधानी रायपुर के कई एम्यूजमेंट और थीम पार्क बंद हैं. जो पर्यटन स्थल खुले हैं, कोरोना संक्रमण के डर से लोग वहां भी नहीं जा रहे. ETV भारत ने नया रायपुर में बने पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी का जायजा लिया.

कोरोना काल में पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी

लॉकडाउन से लेकर अबतक पर्यटन विभाग को लाखों का नुकसान हो चुका है. पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी के बाहर छोटे दुकान लगाकर अपना गुजारा करने वाले लोगों पर भी रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. ETV भारत की टीम ने इन दोनों ही पर्यटन स्थल के आस-पास दुकान लगाने वाले लोगों से बात की और उनका हाल जाना. थीम पार्क के प्रभारी से भी राजस्व नुकसान को लेकर बात की गई.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
जंगल सफारी नया रायपुर

अबतक बंद हैं पुरखौती मुक्तांगन के दरवाजे

साल 2006 में नया रायपुर में बना पुरखौती मुक्तांगन छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक दिखाता है. अपने आप में प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही बस्तर के ग्रामीण अंचलों के दृश्यों, परंपरागत प्रतिमाओं, शिल्पों और कलाकृतियों से लबरेज यह थीम पार्क लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. लेकिन बीते 6-7 महीनों से कोरोना संकट की वजह से पुरखौती मुक्तांगन के दरवाजे लोगों के लिए बंद हैं.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
पुरखौती मुक्तांगन में बस्तर की कलाकृतियां

बीते 6-7 महीने में करीब 10 लाख का नुकसान

प्रभारी जेआर भगत ने ETV भारत को बताया कि कोरोना काल के पहले पुरखौती मुक्तांगन में आने वाले पर्यटकों से एक महीने की आय करीब 1 लाख 50 हजार तक होती थी. लेकिन बीते 6-7 महीने से बंद होने के कारण करीब 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि थीम पार्क के बंद होने से गेट के बाहर दुकान लगातार अपनी आजीविका चलाने वाले छोटे दुकानदारों को भी काफी नुकसान हुआ है.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
पुरखौती मुक्तांगन में बस्तर की कलाकृतियां

थीम पार्क को आम नागरिकों के लिए खोलने के सवाल पर प्रभारी ने बताया कि पुरखौती मुक्तांगन बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. ऐसे में वहां आने वाले पर्यटकों पर पूरी तरह से निगरानी रखना संभव नहीं है. इसलिए आम नागरिकों के लिए पुरखौती मुक्तांगन को नहीं शुरू किया गया है.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
पुरखौती मुक्तांगन नया रायपुर

पुरखौती मुक्तांगन के बाहर दुकान लगाने वाले मायूस

पर्यटकों के नहीं आने से यहां आस-पास खाने-पीने सहित जरूरत की चीजों की दुकान लगाने वाले दुकानदार चिंतित हैं. उनका कहना है कि जब लोग पुरखौती मुक्तांगन देखने आते थे, उसी से उनकी दुकान चलती थी. थोड़े बहुत पैसे कमाकर वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर लेते थे, लेकिन अब उनके लिए घर चलाना बहुत मुश्किल का काम हो चुका है.

जंगल सफारी में कम हुई पर्यटकों की संख्या

नया रायपुर में बने नंदनवन जंगल सफारी को 1 जुलाई से शुरू कर दिया गया है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते पर्यटकों की संख्या बेहद कम हो गई है. जिसके चलते जंगल सफारी की आय में भी कमी आई है.

जंगल सफारी के असिस्टेंट डायरेक्टर विनोद सिंह ठाकुर ने बताया बढ़ते कोरोना संक्रमण के डर से पर्यटकों की संख्या जंगल सफारी में कम हो गई है. जंगल सफारी तक पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है. जिसके चलते पर्यटक भी कम आ रहे हैं. जिनके पास पर्सनल गाड़ियां हैं, सिर्फ वही लोग पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत 10 साल से कम उम्र और सीनियर सिटीजन के प्रवेश पर रोक है. इसकी वजह से भी लोगों की संख्या कम हुई है.

कोरोना काल में 25 प्रतिशत हुई जंगल सफारी की आय

कोरोना संक्रमण आने से पहले जंगल सफारी में हर दिन करीब 500 से 550 पर्यटक आया करते थे. जुलाई 2020 से सफारी को लोगों के लिए शुरू कर दिया, लेकिन संक्रमण के डर से लगभग 100 पर्यटक ही यहां पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि जंगल सफारी में पर्यटन से जो आय होती थी, वह घटकर अब सिर्फ 25 प्रतिशत हो गई है.

'लोगों की जान से बढ़कर नहीं है राजस्व का नुकसान'

पर्यटन स्थलों की दुर्दशा और इसे पुनर्जीवित करने को लेकर सरकार की क्या योजना है, इसकी जानकारी पर्यटन मंत्री के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय से ली गई. उन्होंने बताया कि हर तरफ कोरोना संक्रमण फैला हुआ है और लगातार बढ़ता जा रहा है. स्थिति धीरे-धीरे संतुलित हो रही है. प्रदेश में कई पर्यटन स्थलों के बंद होने से राज्य सरकार को नुकसान तो हो रहा है, लेकिन ये नुकसान लोगों की जान से बढ़कर नहीं है. विकास उपाध्याय ने बताया कि बंद पड़े पर्यटन स्थलों को खोलने के लिए सरकार ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है. स्थिति ठीक होने के बाद सभी जगहों को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.

पढ़ें- वन्यप्राणी सप्ताह: जंगल सफारी में आयोजित हुआ बर्ड वॉचिंग कार्यक्रम, सैलानियों ने उठाया लुत्फ

  • जनवरी 2019 से दिसंबर 2019 तक जंगल सफारी की कुल आय 2 करोड़ 22 लाख 70 हजार रुपए थी.
  • जनवरी 2019 से जुलाई 2019 तक जंगल सफारी की कुल आय 1 करोड़ 9 लाख 10 हजार 850 रुपए थी.
  • जनवरी 2020 से जुलाई 2020 तक जंगल सफारी में सिर्फ 54 लाख 69 हजार 45 रुपए की आय हुई.

पढ़ें- EXCLUSIVE: एशिया के सबसे बड़े मैन मेड जंगल सफारी में कैसे हो रही है जानवरों की सुरक्षा

  • जनवरी से जुलाई 2019 और जनवरी से जुलाई 2020 के जंगल सफारी की आय की तुलना की जाए तो जंगल सफारी को 50 प्रतिशत आय का नुकसान हो रहा है.
  • पुरखौती मुक्तांगन की मासिक आय लगभग 1 लाख 50 हजार से 2 लाख रुपए हुआ करती थी.
  • बीते 6 महीने से पुरखौती मुक्तांगन बंद होने के कारण लगभग 10 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
  • पर्यटन स्थल के बाहर काम करने वाले दुकानदारों और फुटकर व्यापारियों को करीब 90 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.

रायपुर: साल 2020 के मार्च महीने से कोरोना ने अपने पैर छत्तीसगढ़ में भी पसार लिए. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से सभी क्षेत्र प्रभावित हुए और लोगों के सामने आर्थिक संकट ने विकराल रूप ले लिया. महामारी के चलते राजधानी रायपुर के कई एम्यूजमेंट और थीम पार्क बंद हैं. जो पर्यटन स्थल खुले हैं, कोरोना संक्रमण के डर से लोग वहां भी नहीं जा रहे. ETV भारत ने नया रायपुर में बने पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी का जायजा लिया.

कोरोना काल में पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी

लॉकडाउन से लेकर अबतक पर्यटन विभाग को लाखों का नुकसान हो चुका है. पुरखौती मुक्तांगन और जंगल सफारी के बाहर छोटे दुकान लगाकर अपना गुजारा करने वाले लोगों पर भी रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. ETV भारत की टीम ने इन दोनों ही पर्यटन स्थल के आस-पास दुकान लगाने वाले लोगों से बात की और उनका हाल जाना. थीम पार्क के प्रभारी से भी राजस्व नुकसान को लेकर बात की गई.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
जंगल सफारी नया रायपुर

अबतक बंद हैं पुरखौती मुक्तांगन के दरवाजे

साल 2006 में नया रायपुर में बना पुरखौती मुक्तांगन छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक दिखाता है. अपने आप में प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही बस्तर के ग्रामीण अंचलों के दृश्यों, परंपरागत प्रतिमाओं, शिल्पों और कलाकृतियों से लबरेज यह थीम पार्क लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. लेकिन बीते 6-7 महीनों से कोरोना संकट की वजह से पुरखौती मुक्तांगन के दरवाजे लोगों के लिए बंद हैं.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
पुरखौती मुक्तांगन में बस्तर की कलाकृतियां

बीते 6-7 महीने में करीब 10 लाख का नुकसान

प्रभारी जेआर भगत ने ETV भारत को बताया कि कोरोना काल के पहले पुरखौती मुक्तांगन में आने वाले पर्यटकों से एक महीने की आय करीब 1 लाख 50 हजार तक होती थी. लेकिन बीते 6-7 महीने से बंद होने के कारण करीब 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि थीम पार्क के बंद होने से गेट के बाहर दुकान लगातार अपनी आजीविका चलाने वाले छोटे दुकानदारों को भी काफी नुकसान हुआ है.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
पुरखौती मुक्तांगन में बस्तर की कलाकृतियां

थीम पार्क को आम नागरिकों के लिए खोलने के सवाल पर प्रभारी ने बताया कि पुरखौती मुक्तांगन बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. ऐसे में वहां आने वाले पर्यटकों पर पूरी तरह से निगरानी रखना संभव नहीं है. इसलिए आम नागरिकों के लिए पुरखौती मुक्तांगन को नहीं शुरू किया गया है.

Tourist destination Pukhuti Muktangan and jungle safari
पुरखौती मुक्तांगन नया रायपुर

पुरखौती मुक्तांगन के बाहर दुकान लगाने वाले मायूस

पर्यटकों के नहीं आने से यहां आस-पास खाने-पीने सहित जरूरत की चीजों की दुकान लगाने वाले दुकानदार चिंतित हैं. उनका कहना है कि जब लोग पुरखौती मुक्तांगन देखने आते थे, उसी से उनकी दुकान चलती थी. थोड़े बहुत पैसे कमाकर वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर लेते थे, लेकिन अब उनके लिए घर चलाना बहुत मुश्किल का काम हो चुका है.

जंगल सफारी में कम हुई पर्यटकों की संख्या

नया रायपुर में बने नंदनवन जंगल सफारी को 1 जुलाई से शुरू कर दिया गया है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते पर्यटकों की संख्या बेहद कम हो गई है. जिसके चलते जंगल सफारी की आय में भी कमी आई है.

जंगल सफारी के असिस्टेंट डायरेक्टर विनोद सिंह ठाकुर ने बताया बढ़ते कोरोना संक्रमण के डर से पर्यटकों की संख्या जंगल सफारी में कम हो गई है. जंगल सफारी तक पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है. जिसके चलते पर्यटक भी कम आ रहे हैं. जिनके पास पर्सनल गाड़ियां हैं, सिर्फ वही लोग पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत 10 साल से कम उम्र और सीनियर सिटीजन के प्रवेश पर रोक है. इसकी वजह से भी लोगों की संख्या कम हुई है.

कोरोना काल में 25 प्रतिशत हुई जंगल सफारी की आय

कोरोना संक्रमण आने से पहले जंगल सफारी में हर दिन करीब 500 से 550 पर्यटक आया करते थे. जुलाई 2020 से सफारी को लोगों के लिए शुरू कर दिया, लेकिन संक्रमण के डर से लगभग 100 पर्यटक ही यहां पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि जंगल सफारी में पर्यटन से जो आय होती थी, वह घटकर अब सिर्फ 25 प्रतिशत हो गई है.

'लोगों की जान से बढ़कर नहीं है राजस्व का नुकसान'

पर्यटन स्थलों की दुर्दशा और इसे पुनर्जीवित करने को लेकर सरकार की क्या योजना है, इसकी जानकारी पर्यटन मंत्री के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय से ली गई. उन्होंने बताया कि हर तरफ कोरोना संक्रमण फैला हुआ है और लगातार बढ़ता जा रहा है. स्थिति धीरे-धीरे संतुलित हो रही है. प्रदेश में कई पर्यटन स्थलों के बंद होने से राज्य सरकार को नुकसान तो हो रहा है, लेकिन ये नुकसान लोगों की जान से बढ़कर नहीं है. विकास उपाध्याय ने बताया कि बंद पड़े पर्यटन स्थलों को खोलने के लिए सरकार ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है. स्थिति ठीक होने के बाद सभी जगहों को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.

पढ़ें- वन्यप्राणी सप्ताह: जंगल सफारी में आयोजित हुआ बर्ड वॉचिंग कार्यक्रम, सैलानियों ने उठाया लुत्फ

  • जनवरी 2019 से दिसंबर 2019 तक जंगल सफारी की कुल आय 2 करोड़ 22 लाख 70 हजार रुपए थी.
  • जनवरी 2019 से जुलाई 2019 तक जंगल सफारी की कुल आय 1 करोड़ 9 लाख 10 हजार 850 रुपए थी.
  • जनवरी 2020 से जुलाई 2020 तक जंगल सफारी में सिर्फ 54 लाख 69 हजार 45 रुपए की आय हुई.

पढ़ें- EXCLUSIVE: एशिया के सबसे बड़े मैन मेड जंगल सफारी में कैसे हो रही है जानवरों की सुरक्षा

  • जनवरी से जुलाई 2019 और जनवरी से जुलाई 2020 के जंगल सफारी की आय की तुलना की जाए तो जंगल सफारी को 50 प्रतिशत आय का नुकसान हो रहा है.
  • पुरखौती मुक्तांगन की मासिक आय लगभग 1 लाख 50 हजार से 2 लाख रुपए हुआ करती थी.
  • बीते 6 महीने से पुरखौती मुक्तांगन बंद होने के कारण लगभग 10 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
  • पर्यटन स्थल के बाहर काम करने वाले दुकानदारों और फुटकर व्यापारियों को करीब 90 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.
Last Updated : Oct 12, 2020, 7:24 AM IST
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