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National Tribal Dance Festival 2021 : जानिये कैसे बनती हैं कोसा साड़ियां, देशभर में क्यों है इनकी डिमांड - National Tribal Dance Festival

अभी रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव चल रहा है. इसमें देश के कोने-कोने से कलाकार पहुंचे हुए हैं. एक ओर यहां आदिवासी नृत्य का महाकुंभ लगा हुआ है तो दूसरी ओर आकर्षक कपड़ों की भी बिक्री हो रही है. इसमें कोसा साड़ियों की बिक्री के लिए स्टॉल लगे हैं. ये साड़ियां देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं.

National Tribal Dance Festival 2021
कोसा साड़ी बनाने वाली महिला कारीगर
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Published : Oct 29, 2021, 9:13 PM IST

Updated : Oct 30, 2021, 3:50 PM IST

रायपुर : साड़ियां हमारे देश में महिलाओं का पारंपरिक परिधान है. यूं तो देश भर में कई प्रकार की साड़ियां बनती, मिलती और बिकती हैं. लेकिन आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं उन हस्त कलाकारों (Hand Artist) से, जो अपनी कड़ी मेहनत से कोसा की साड़ी (kosa Sari) तैयार करते हैं. उनके द्वारा यह साड़ी कई दिनों में दिन-रात मेहनत करके बनाई जाती है. इसके लिए उन्हें लंबी तैयारी भी करनी पड़ती है. तो आइये जानते हैं एक कोसा साड़ी तैयार करने में कितना समय लगता है. और किस तरह से कोसा साड़ी बनाई जाती है. इसे बनाने का ताना-बाना आखिर कैसा होता है.

कोसा साड़ी बनाने वाली महिला कारीगर

तीन से चार दिन लगते हैं सिम्पल साड़ी बनाने में

इन दिनों राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival 2021) में प्रदेश के विभिन्न जिलों से हस्तशिल्प कलाकर पहुंचे हैं. इसी आयोजन में बिलाईगढ़ के कारीगर भी हिस्सा लेने पहुंचे हुए हैं. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने बिलाईगढ़ से रायपुर पहुंची साड़ी बनाने वाली महिला कारीगर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि अगर कोसा की सिम्पल साड़ी बनाई जाती है तो उसमें कम से कम तीन से चार दिन का समय लगता है. जबकि ज्यादा डिजाइन वाली साड़ी बनाने में एक हफ्ते से लेकर 10 दिनों तक का समय लग जाता है. उन्होंने बताया कि यह उनका पुश्तैनी काम है, जो वे लोग कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. अब उनका बेटा भी यह काम सीख चुका है और वह भी परिवार के साथ इस काम में उन लोगों का हाथ बंटाता है.


डिफेक्टिव साड़ियों से कारीगरों का पूरा होता है शौक

जब महिला कारीगर से पूछा गया कि आप लोग इतनी मेहनत करके कोसा साड़ियों का निर्माण करते हैं तो क्या आप की इच्छा नहीं करती कि यह साड़ी पहनें. तो इस पर महिला कारीगर भावुक हो गईं. उन्होंने बताया कि मन तो हमारा भी बहुत करता है कि हम भी ये साड़ियां पहनें, लेकिन साड़ी की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि उसे पहनना संभव नहीं होता. हालांकि उन्होंने यह भी बताया है कि कई बार साड़ी बनाने के दौरान किसी तरह की खराबी होने के कारण जब उनसे वह साड़ी नहीं ली जाती है तो उन्हें काफी नुकसान होता है. बाद में यह साड़ी पहनकर वे कोसा साड़ी पहनने का अपना शौक पूरा कर लेती हैं.

जबकि महिला कारीगर के बेटे का भी कहना है कि वह अभी काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करता है. अपने परिवार की मदद करता है. वह भविष्य में एक बड़ा बिजनेसमैन बनना चाहता है. उसने बताया कि वह अपने इसी कारोबार को आगे बढ़ाएगा.

रायपुर : साड़ियां हमारे देश में महिलाओं का पारंपरिक परिधान है. यूं तो देश भर में कई प्रकार की साड़ियां बनती, मिलती और बिकती हैं. लेकिन आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं उन हस्त कलाकारों (Hand Artist) से, जो अपनी कड़ी मेहनत से कोसा की साड़ी (kosa Sari) तैयार करते हैं. उनके द्वारा यह साड़ी कई दिनों में दिन-रात मेहनत करके बनाई जाती है. इसके लिए उन्हें लंबी तैयारी भी करनी पड़ती है. तो आइये जानते हैं एक कोसा साड़ी तैयार करने में कितना समय लगता है. और किस तरह से कोसा साड़ी बनाई जाती है. इसे बनाने का ताना-बाना आखिर कैसा होता है.

कोसा साड़ी बनाने वाली महिला कारीगर

तीन से चार दिन लगते हैं सिम्पल साड़ी बनाने में

इन दिनों राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival 2021) में प्रदेश के विभिन्न जिलों से हस्तशिल्प कलाकर पहुंचे हैं. इसी आयोजन में बिलाईगढ़ के कारीगर भी हिस्सा लेने पहुंचे हुए हैं. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने बिलाईगढ़ से रायपुर पहुंची साड़ी बनाने वाली महिला कारीगर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि अगर कोसा की सिम्पल साड़ी बनाई जाती है तो उसमें कम से कम तीन से चार दिन का समय लगता है. जबकि ज्यादा डिजाइन वाली साड़ी बनाने में एक हफ्ते से लेकर 10 दिनों तक का समय लग जाता है. उन्होंने बताया कि यह उनका पुश्तैनी काम है, जो वे लोग कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. अब उनका बेटा भी यह काम सीख चुका है और वह भी परिवार के साथ इस काम में उन लोगों का हाथ बंटाता है.


डिफेक्टिव साड़ियों से कारीगरों का पूरा होता है शौक

जब महिला कारीगर से पूछा गया कि आप लोग इतनी मेहनत करके कोसा साड़ियों का निर्माण करते हैं तो क्या आप की इच्छा नहीं करती कि यह साड़ी पहनें. तो इस पर महिला कारीगर भावुक हो गईं. उन्होंने बताया कि मन तो हमारा भी बहुत करता है कि हम भी ये साड़ियां पहनें, लेकिन साड़ी की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि उसे पहनना संभव नहीं होता. हालांकि उन्होंने यह भी बताया है कि कई बार साड़ी बनाने के दौरान किसी तरह की खराबी होने के कारण जब उनसे वह साड़ी नहीं ली जाती है तो उन्हें काफी नुकसान होता है. बाद में यह साड़ी पहनकर वे कोसा साड़ी पहनने का अपना शौक पूरा कर लेती हैं.

जबकि महिला कारीगर के बेटे का भी कहना है कि वह अभी काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करता है. अपने परिवार की मदद करता है. वह भविष्य में एक बड़ा बिजनेसमैन बनना चाहता है. उसने बताया कि वह अपने इसी कारोबार को आगे बढ़ाएगा.

Last Updated : Oct 30, 2021, 3:50 PM IST
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