रायपुर / हैदराबाद : हिंदू धर्म में सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर गमन करना बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि जब सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है. इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना गया है. लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता Importance and recognition of Surya Uttarayan है. तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं. इस दौरान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है. जो कि हिंदू धर्म में एक बड़ा पर्व है. उत्तरायण के बाद ऋतु और मौसम में परिवर्तन होने लगता Surya Uttarayan in Hinduism है.इसके फलस्वरूप शरद ऋतु यानि ठंड का मौसम धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है. उत्तरायण की वजह से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं. जब सूर्य उत्तरायण होता है तो यह तीर्थ और उत्सवों का समय होता है.
उत्तरायण में होने वाले अनुष्ठान : शास्त्रों में Surya Uttarayan काल को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है जबकि दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि उत्तरायण काल के दौरान किए गए कार्य शुभ फल देने वाले होते हैं.Rituals in Uttarayan
1. उत्तरायण काल को ऋषि मुनियों ने जप, तप और सिद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना है
2. उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है। क्योंकि इस समय सूर्य देवताओं का अधिपति होता है
3. मकर संक्रांति उत्तरायण काल का पहला दिन होता है लिहाजा इस दिन स्नान, दान, और पुण्य करना शुभ फलदायी होता है
4. 6 महीने का समय उत्तरायण काल कहलाता है. भारतीय महीने के अनुसार यह माघ से आषाढ़ महीने तक माना जाता है
5. उत्तरायण काल में गृह प्रवेश, दीक्षा ग्रहण, विवाह और यज्ञोपवित संस्कार शुभ माना जाता है
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उत्तरायण काल से जुड़ीं पौराणिक मान्यताएं : Surya Uttarayan काल के महत्व का वर्णन शास्त्रों में भी मिलता Mythological beliefs related to Uttarayan period है. हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि '' उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में पृथ्वी प्रकाशमय होती है, इसलिए इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.'' महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था. उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था. उत्तरायण काल के पहले दिन यानि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व है.पौराणिक कथा के अनुसार महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए वर्षों की तपस्या करके गंगा जी को पृथ्वी पर आने को मजबूर कर दिया था. इसी दिन गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुईं. मकर संक्रांति पर ही महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था और उनके पीछे चलते-चलते गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समा गईं थीं.