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रायपुर: बुजुर्ग के दिल की विद्युत परिपथ में आई खराबी, डॉक्टरों की टीम ने ऐसे दिया 'जीवनदान'

रायपुर में एक बुजुर्ग के दिल की विद्युत परिपथ में खराबी आ गई थी, लेकिन डॉक्टरों की टीम ने फिजियोलॉजिकल लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक से इलाज किया. अब मरीज के दिल की धड़कन सामान्य है.

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बुजुर्ग के दिल की विद्युत परिपथ में आई खराबी
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Published : Dec 13, 2020, 3:50 AM IST

रायपुर: 60 वर्षीय एक बुजुर्ग के दिल के प्राकृतिक विद्युत परिपथ (इलेक्ट्रिक सर्किंट) में खराबी के कारण दिल की धड़कनें अनियंत्रित हो चुके थे. डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल में दिल की धड़कनों का सफल उपचार किया गया. एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में फिजियोलॉजिकल लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक से हुआ.

डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक का उपयोग किया गया. एसीआई में पहली बार दिल के विशेषज्ञों ने प्राकृतिक रूप से बने दिल की नसों के रास्ते पेस मेकर वायर को फिट किया. एसीआई के कैथलैब में हुए इस कार्डियक पेसिंग प्रोसीजर के बाद मरीज के दिल की धड़कन अब सामान्य है.

Successfully treated heartbeat of an elderly at Bhimrao Ambedkar Hospital in raipur
डॉक्टरों की टीम ने बुजुर्ग को दिया जीवनदान

पढ़ें: कोरोना संक्रमण के चलते राहत इंदौरी की हुई मृत्यु, लोगों ने जताया दुख

प्राकृतिक विद्युत संचार प्रणाली में खराबी

डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया एसीआई में इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी यानी ईपीएस तकनीक से दिल की नसों के प्राकृतिक विद्युत संचार प्रणाली में आई खराबी का उपचार होता आया है, लेकिन लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक पद्धति से एसीआई में पहली बार किसी मरीज का इलाज हुआ. दिल की नसों में प्राकृतिक इलेक्ट्रिक सर्किट होते हैं, जिनमें कई कारणों से खराबी आ जाती है.

तेलीबांधा के बुजुर्ग का हुआ इलाज

तेलीबांधा निवासी 60 वर्षीय बुजुर्ग जब एसीआई में पहुंचा, तब मरीज का हार्ट ब्लॉक हो चुका था. हृदय दर (हार्ट रेट) 30 धड़कन प्रति मिनट (bpm) था. इस स्थिति को ब्रेडीकॉर्डिया कहते हैं. मरीज का फौरन ईसीजी किया गया. मरीज के दिल की प्राकृतिक इलेक्ट्रिक सर्किट में खराबी थी. दिल की नसों में प्राकृतिक रूप से विद्युतीय प्रवाह अवरुद्ध था. ईसीजी को देखने के बाद मरीज के दिल के प्राकृतिक चैनल के माध्यम से विद्युत संचार के तार को फिट किया.

ऐसे हुआ प्रोसीजर

  • बायें कंधे के पास में एक चीरा देकर वहां एक पॉकेट बनाते हैं.
  • वहां से नस के माध्यम से एक तार के जरिये दिल के अंदर पहुंचते हैं.
  • विद्युत संचार प्रणाली की एक ईसीजी लेते हैं.
  • इस ईसीजी के जरिये यह सुनिश्चित करते हैं कि विद्युत संचार के प्राकृतिक चैनल कहां है.
  • वहां दिल के इंटर वेंट्रीकुलर सेप्टम में पेस मेकर लीड को फिट करते हैं.
  • इससे दिल का विद्युत परिपथ सही हो जाता है.
  • अनियत्रित हो चुकी दिल की धड़कनों में सुचारु रूप से विद्युत का संचार होने लगता है.
  • यह दिल के वेंट्रीकुलर को शारीरिक रूप से सक्रिय करने की नई पद्धति है.
  • 1 नवंबर 2017 से एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में अब तक 5234 इंटरवेंशन कार्डियक प्रोसीजर

रायपुर: 60 वर्षीय एक बुजुर्ग के दिल के प्राकृतिक विद्युत परिपथ (इलेक्ट्रिक सर्किंट) में खराबी के कारण दिल की धड़कनें अनियंत्रित हो चुके थे. डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल में दिल की धड़कनों का सफल उपचार किया गया. एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में फिजियोलॉजिकल लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक से हुआ.

डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक का उपयोग किया गया. एसीआई में पहली बार दिल के विशेषज्ञों ने प्राकृतिक रूप से बने दिल की नसों के रास्ते पेस मेकर वायर को फिट किया. एसीआई के कैथलैब में हुए इस कार्डियक पेसिंग प्रोसीजर के बाद मरीज के दिल की धड़कन अब सामान्य है.

Successfully treated heartbeat of an elderly at Bhimrao Ambedkar Hospital in raipur
डॉक्टरों की टीम ने बुजुर्ग को दिया जीवनदान

पढ़ें: कोरोना संक्रमण के चलते राहत इंदौरी की हुई मृत्यु, लोगों ने जताया दुख

प्राकृतिक विद्युत संचार प्रणाली में खराबी

डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया एसीआई में इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी यानी ईपीएस तकनीक से दिल की नसों के प्राकृतिक विद्युत संचार प्रणाली में आई खराबी का उपचार होता आया है, लेकिन लेफ्ट बंडल पेसिंग तकनीक पद्धति से एसीआई में पहली बार किसी मरीज का इलाज हुआ. दिल की नसों में प्राकृतिक इलेक्ट्रिक सर्किट होते हैं, जिनमें कई कारणों से खराबी आ जाती है.

तेलीबांधा के बुजुर्ग का हुआ इलाज

तेलीबांधा निवासी 60 वर्षीय बुजुर्ग जब एसीआई में पहुंचा, तब मरीज का हार्ट ब्लॉक हो चुका था. हृदय दर (हार्ट रेट) 30 धड़कन प्रति मिनट (bpm) था. इस स्थिति को ब्रेडीकॉर्डिया कहते हैं. मरीज का फौरन ईसीजी किया गया. मरीज के दिल की प्राकृतिक इलेक्ट्रिक सर्किट में खराबी थी. दिल की नसों में प्राकृतिक रूप से विद्युतीय प्रवाह अवरुद्ध था. ईसीजी को देखने के बाद मरीज के दिल के प्राकृतिक चैनल के माध्यम से विद्युत संचार के तार को फिट किया.

ऐसे हुआ प्रोसीजर

  • बायें कंधे के पास में एक चीरा देकर वहां एक पॉकेट बनाते हैं.
  • वहां से नस के माध्यम से एक तार के जरिये दिल के अंदर पहुंचते हैं.
  • विद्युत संचार प्रणाली की एक ईसीजी लेते हैं.
  • इस ईसीजी के जरिये यह सुनिश्चित करते हैं कि विद्युत संचार के प्राकृतिक चैनल कहां है.
  • वहां दिल के इंटर वेंट्रीकुलर सेप्टम में पेस मेकर लीड को फिट करते हैं.
  • इससे दिल का विद्युत परिपथ सही हो जाता है.
  • अनियत्रित हो चुकी दिल की धड़कनों में सुचारु रूप से विद्युत का संचार होने लगता है.
  • यह दिल के वेंट्रीकुलर को शारीरिक रूप से सक्रिय करने की नई पद्धति है.
  • 1 नवंबर 2017 से एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में अब तक 5234 इंटरवेंशन कार्डियक प्रोसीजर
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